Posted on 08 Dec, 2017 3:22 pm

हर माता-पिता की इच्छा होती है कि उसके बेटा-बेटी अच्छे स्कूल में पढ़ें। इसलिये अपनी आमदनी की परवाह किये बिना प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चों का एडमिशन करवा देते हैं। नर्सरी की फीस को आधार बनाकर सोचते हैं कि जैसे-तैसे 12वीं तक उसी स्कूल में बच्चे को पढ़ा लेंगे। इस कारण निजी स्कूल संचालक आये दिन किसी-ना किसी बहाने फीस बढ़ाने लगे थे। इन स्कूलों में फीस आदि की वृद्धि पर कोई नियंत्रण नहीं था। लेकिन अब राज्य सरकार फीस वृद्धि पर नियंत्रण के लिए विधेयक पारित कर चुकी है। अब पालकों पर निजी स्कूल अपनी मनमानी नहीं चला सकेंगे। देश में पहली बार मध्यप्रदेश में राज्य सरकार ने यह व्यवस्था सुनिश्चित की है।

न्यू इंदिरा नगर उज्जैन में रहने वाले विजय शर्मा का मानना है कि राज्य सरकार को निजी स्कूलों-कॉलेजों में फीस नियंत्रण करना ही चाहिए। हमारी वर्षों से इच्छा रही है कि निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगे। राज्य सरकार द्वारा मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबधित विषय का विनियमन) विधेयक-2017 पारित करने से न केवल फीस बल्कि कोर्स की किताबों की बिक्री, ड्रेस आदि में भी निजी स्कूलों की मनमानी पर नियंत्रण लगा है। कान्वेंट स्कूल उज्जैन में अपनी बच्ची को पढ़ा रहे राजेश ने एडमिशन जब करवाया था, तब महज 3 हजार रुपये वार्षिक फीस थी। आज यह बढ़कर 30 हजार रुपये से अधिक हो गई है। चार-पांच वर्षों में फीस चार गुना बढ़ गई है। अब राजेश को पूरा विश्वास हो गया है कि फीस नियंत्रण कानून के कारण 12वीं कक्षा तक उनकी बच्ची की स्कूल फीस आदि में वृद्धि नहीं होगी।

सेठीनगर उज्जैन में रहने वाले 57 वर्षीय एम.एल. सोनी अपनी पोती के एडमिशन को लेकर चिंता में रहते थे। वे पोती को ऐसे विश्वसनीय स्कूल में पढ़ाना चाह रहे थे, जो बार-बार फीस न बढ़ाये और अच्छी शिक्षा दे। सोनी जी राज्य शासन द्वारा फीस नियंत्रण कानूने बनाने पर खुश है और इसे सरकार की सही दिशा में सही सोच मानते हुए कहते हैं कि शिक्षा माफियाओं से लड़ने के लिए यही दृढ़ इच्छाशक्ति चाहिए। विष्णुपुरा, उज्जैन निवासी सतेन्द्र सिंह कहते हैं पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता के लिए फीस नियंत्रण कानून वरदान सिद्ध होगा। लोग लम्बे समय से इस कानून का इंतजार कर रहे थे।

महानंदा नगर निवासी ललित सुधाकर कहते हैं कि फीस नियंत्रण कानून सबको शिक्षा का बराबर का अधिकार प्रदान करेगा। कोट मोहल्ला निवासी मोहसिन खान अपने बच्चों को एक प्रतिष्ठित कान्वेंट स्कूल में पढ़ा रहे हैं। उन्होंने खुशी जाहिर की है कि फीस वृद्धि पर नियंत्रण के लिये प्रदेश में कानून अमल में लाया जा रहा है।

स्कूलों में फीस आदि की वृद्धि पर नियंत्रण को लेकर राज्य सरकार द्वारा पारित विधेयक का सकारात्मक प्रभाव माता-पिता में नई आशा जगाने में सफल रहा है। राज्य सरकार की इस पहल से अभिभावक राहत महसूस कर रहे हैं।

सफलता की कहानी (उज्जैन)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

 

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