Posted on 24 Sep, 2017 9:42 pm

 

आलीराजपुर जिले के अति दुर्गम विकासखण्ड कट्ठीवाड़ा के ग्राम कवछा में भिकली दीदी सब्जी बेचकर अपना गुजारा चलाती थी। भिकली दीदी का परिवार बहुत ही गरीब था,उनका घर भी कच्चा था। परिवार की वे सबसे बड़ी सदस्य है, पिता का आसरा पहले ही छूट चुका था, अतः परिवार की सारी जिम्मेदारी उन्होंने अपने उपर ली। पारिवारिक सम्पत्ति के रुप में एक छोटा सा खेत, जिसमें वे सब्जी उगाकर फेरी लगाकर बेचतीं और दैनिक आमदनी के रुप में बमुश्किल 100रू आय कमा पाती थी। सिंचाई सुविधा के नाम पर एक कच्चा कुऑ भी था किन्तु परिवार के भरण पोषण के लिए उनकी आय काफी नहीं थी। इस कारण उनके दोनों भाई मजदूरी करने जाते थे।

भिकली दीदी को आजीविका मिशनकर्मी से समूह बनाने की जानकारी मिली। समूह से संगठन की शक्ति एवं गरीबी से बाहर निकलने की झटपटाहट ने उन्हें स्वयं सहायता समूह से जोड़ा। समूह से जुडने पर उन्होनें छोटे-छोटे ऋण का लेन-देन किया। समूह में चर्चा एवं सहयोग ने उन्हें अपनी स्वंय की सब्जी की एक छोटी दुकान खोलने के लिये प्रोत्साहित। परिणाम स्वरुप उन्होंने समूह से बड़े ऋण के रुप में 15,000 रुपये लिये और हाट में दुकान लगाना प्रारंभ किया।

भिकली दीदी ने अपनी दुकान का नाम 'आजीविका फ्रेश रखा। भिकली गांव के परिवारों के यहां होने वाले छोटे-बड़े आयोजनो में सब्जी लाकर देने लगी, धीरे-धीरे उनके सब्जी के व्यापार में उत्तरोत्तर वृद्धि होना प्रारंभ हो गई। अब उसकी दैनिक आय 300 से 500 रू हो गई।

जब इन्सान की सोच बदलती है तो अभिनव प्रयास पनपने लगते है। भिकली दीदी ने सब्जी लाने के लिये पुरानी लेकिन अच्छी हालत का क्वालिस वाहन खरीद लिया है। अब वो प्रातः अपने स्वंय के वाहन से जाती हैं, अच्छी गुणवत्ता एवं ताजी सब्जी खरीद कर जल्दी वापिस आ पाती है। भिकली दीदी स्कूल के मध्यान्ह भोजन तैयार करने वाले समूह की महिलाओं से संपर्क कर आसपास के चार गांव के 8 स्कूलों मे सब्जी की पूर्ति करने लगी है। वर्तमान में भिकली दीदी की दैनिक आय 600 से 800 रू है। शादी ब्याह एवं अन्य आयोजन के समय भिकली दीदी की आय 1000 से 3000 रू. तक भी हो जाती है। भिकली दीदी ने अपना घर भी पक्का बना लिया है ओर पंचायत के सहयोग से घर में शौचालय भी बना लिया है। साथ ही कुआं भी पक्का करवा लिया है।

भिकली दीदी ने अपने ख्रेत में सिंचाई के लिये विद्युत मोटर लगवा ली हैं तथा नाबार्ड के बाड़ी कार्यक्रम के तहत सब्जी के अधिक उत्पादन के लिए बाड़ी और खाली पड़ी मेढों पर आम के पेड़ लगाये है। भिकली दीदी ने अपने क्वालिस वाहन को किराये पर भी चलाना शुरू कर दिया है। अपने भाई को भी सब्जी के व्यवसाय मे लगा दिया है जिससे उसके रोजगार में भी वृदि्ध हुई है। वर्तमान में भिकली दीदी की मासिक आय 20 से 24 हजार हो गई है। दीदी ने घर मे साधन सुविधाये जैसे-टीवी, पंखा आदि भी जुटा लिये हैं।

सामाजिक बदलाव के रुप में उन्होंने अपने दोनों भाईयों की शादियां की एवं छोटे भाई की शादी अपनी जिद़ पर पढ़ी-लिखी लड़की से ही करने पर जोर दिया और सफल भी रहीं।

आज भिकली दीदी अपने समूह की अध्यक्ष है और समूह की सक्रिय महिला भी है। दीदी ने ग्राम में 4 और समूह बनवाने मे भी सहयोग प्रदान किया है। भिकली दीदी भविष्य में गांव के बाजार में अपनी सब्जी की बड़ी दुकान और घर बनाना चाहती है। अपनी दुकान मे सब्जियों को ताजा रख्रने के लिये छोटा फ्रिजर भी रखना चाहती है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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