No: 21 Dated: Dec, 12 2019

1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ (1) यह अधिनियम "बिहार माल और सेवा कर (संशोधन) अधिनियम, 2019" कहा जा सकेगा।
    (2) अन्यथा उपबंधित के सिवाय इस अधिनियम के उपबंध उस तारीख को प्रवृत्त होंगे, जो सरकार राजपत्र में, अधिसूचना द्वारा नियत करे।
2 बिहार माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 2 में संशोधन, बिहार माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 (जिसे इसमें इसके पश्चात् “मूल अधिनियम" कहा गया है) की धारा 2 के खंड (4) में, “अग्रिम विनिर्णय अपील प्राधिकारी, शब्दों के पश्चात्, “राष्ट्रीय अग्रिम विनिर्णय अपील प्राधिकरण, शब्द रखे जाएंगे।
3. मूल अधिनियम की धारा 10 में संशोधन मूल अधिनियम की धारा 10 में, -
    (क) उपधारा (1) में दूसरे परंतुक के पश्चात्, निम्नलिखित स्पष्टीकरण अंतःस्थापित किया जाएगा, अर्थातः
स्पष्टीकरण -दूसरे परंतुक के प्रयोजनों के लिए, जहां तक प्रतिफल को ब्याज या बट्टे के रूप में प्रदशित किया जाता है, निक्षेपों, ऋणों या अग्रिमों को विस्तारित करके छूट प्राप्त सेवाओं की पूर्ति के मूल्य को, राज्य में आवर्त के मूल्य के अवधारण के लिए गणना में नहीं लिया जाएगा। 
    (ख) उपधारा (2) में, -
      (i) खंड (घ) के अन्त में आने वाले “और शब्द का लोप किया जाएगा,
      (ii) खंड (ड.) में "अधिसूचित किया जाए"; शब्दों के स्थान पर, “अधिसूचित किया जाए; और' शब्द रखे जाएंगे,
     (iii) खंड (ड.) के पश्चात् निम्नलिखित खंड अंतःस्थापित किया जाएगा, अर्थात् :
       "(च) वह न तो कोई नैमित्तिक कराधेय व्यक्ति है और न ही कोई अनिवासी कराधेय व्यक्ति है:"; 
    (ग) उपधारा (2) के पश्चात. निम्नलिखित उपधारा अंत:स्थापित की जाएगी अर्थात :
    “(2क) इस अधिनियम में अंतर्विष्ट किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी, किन्तु धारा 9 की उपधारा (3) और उपधारा (4) के उपबंधों के अधीन रहते हुए, कोई रजिस्ट्रीकृत व्यक्ति, जो उपधारा (1) और उपधारा (2) के अधीन कर के संदाय का विकल्प लेने के लिए पात्र नहीं है और जिसका पूर्व वित्तीय वर्ष में सकल आवर्त पचास लाख रुपए से अधिक नहीं है, उसके द्वारा धारा 9 की उपधारा (1) के अधीन संदेय कर के स्थान पर, विहित की जाने वाली दर पर, जो राज्य में उसकी आवर्त के तीन प्रतिशत से अधिक नहीं होगी, संगणित कर की रकम का निम्नलिखित शर्तो के अधीन रहते हुए संदाय करने का विकल्प ले सकेगा, यदि वह,
    (क) किसी ऐसे माल या सेवाओं की पूर्ति करने में नहीं लगा है, जो इस अधिनियम के अधीन कर लगाने योग्य नहीं है,
     (ख) माल या सेवाओं की अंतरराज्यीय जावक पूर्ति करने में नहीं लगा है।
     (ग) किसी ऐसे इलैक्ट्रॉनिक वाणिज्यिक प्रचालक के माध्यम से माल या सेवाओं की ऐसी पूर्ति में नहीं लगा है, जिससे धारा 52 के अधीन स्रोत पर कर का संग्रहण करना अपेक्षित है;
    (घ) ऐसे माल का विनिर्माता या ऐसी सेवाओं का पूर्तिकार नहीं है, जो सरकार द्वारा परिषद् की सिफारिशों पर अधिसूचित की जाएं; और
     (ड.) न तो कोई नैमित्तिक कराधेय व्यक्ति है और न ही कोई अनिवासी कराधेय व्यक्ति है :
   परंतु जहां एक से अधिक रजिस्ट्रीकृत व्यक्तियों का आय-कर अधिनियम, 1961 के अधीन जारी स्थायी खाता संख्यांक एक ही है, वहां ऐसा रजिस्ट्रीकृत व्यक्ति इस उपधारा के अधीन तब तक स्कीम के लिए विकल्प का चुनाव करने का पात्र नहीं होगा, जब तक ऐसे सभी रजिस्ट्रीकृत व्यक्ति इस उपधारा के अधीन कर का संदाय करने के विकल्प का चुनाव नहीं करते हैं।" :
  (घ) ऐसे माल का विनिर्माता या ऐसी सेवाओं का पूर्तिकार नहीं है, जो सरकार द्वारा परिषद् की सिफारिशों पर अधिसूचित की जाएं; और
 (ड.) न तो कोई नैमित्तिक कराधेय व्यक्ति है और न ही कोई अनिवासी कराधेय व्यक्ति है :
     परंतु जहां एक से अधिक रजिस्ट्रीकृत व्यक्तियों का आय-कर अधिनियम, 1961 के अधीन जारी स्थायी खाता संख्यांक एक ही है, वहां ऐसा रजिस्ट्रीकृत व्यक्ति इस उपधारा के अधीन तब तक स्कीम के लिए विकल्प का चुनाव करने का पात्र नहीं होगा, जब तक ऐसे सभी रजिस्ट्रीकृत व्यक्ति इस उपधारा के अधीन कर का संदाय करने के विकल्प का चुनाव नहीं करते हैं।" :
(घ) उपधारा (3) में, “उपधारा (1)" शब्द, कोष्ठकों और अंक के स्थान पर दोनों स्थानों पर जहां वे आते हैं, "यथास्थिति, उपधारा (1) या उपधारा (2क)" शब्द, कोष्ठक, अंक और अक्षर रखे जाएंगे;
(ड.)( उपधारा (4) में, "उपधारा (1)” शब्द, कोष्ठकों और अंक के स्थान पर, “यथास्थिति, उपधारा (1) या उपधारा (2क)” शब्द कोष्ठक, अंक और अक्षर रखे जाएंगे ;
(च) उपधारा (5) में, उपधारा (1) शब्द, कोष्ठकों और अंक के स्थान पर, “यथास्थिति, उपधारा (1) या उपधारा (2क)” शब्द, कोष्ठक, अंक और अक्षर रखे जाएंगे ;
(छ) उपधारा (5) के पश्चात्, निम्नलिखित स्पष्टीकरण अंतःस्थापित किया जाएगा, अर्थात् :
"स्पष्टीकरण 1- इस धारा के अधीन किसी व्यक्ति की कर संदाय करने की पात्रता का अवधारण करने के लिए इसके संकलित आवर्त की संगणना करने के प्रयोजनों के लिए, “संकलित आवर्त पद के अंतर्गत किसी वित्तीय वर्ष के 1 अप्रैल से उस तारीख तक की पूर्तियां सम्मिलित होंगी, जिसको वह इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकरण का दायी बन जाता है, किन्तु जहां तक प्रतिफल को व्याज या बल्ले के रूप में प्रदर्शित किया जाता है, निक्षेपों, ऋणों या अग्रिमों को विस्तारित करके छूट प्राप्त सेवाओं की पूर्ति का मूल्य सम्मिलित नहीं होगा।
स्पष्टीकरण 2 -  इस धारा के अधीन किसी व्यक्ति द्वारा संदेय कर का अवधारण करने के प्रयोजनों के लिए, "राज्य में आवर्त" में निम्नलिखित पूर्तियों का मूल्य सम्मिलित नहीं होगा, अर्थात् :
    (i) किसी वित्तीय वर्ष के 1 अप्रैल से उस तारीख तक की पूर्तियां, जिसको वह इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकरण का दायी बन जाता है और
    (ii) जहां तक प्रतिफल को व्याज या बन्ने के रूप में प्रदर्शित किया जाता है, निक्षेपों, ऋणों या अग्निमों को विस्तारित करके छूट प्राप्त सेवाओं की पूर्ति ।।
4. मूल अधिनियम की धारा 22 में संशोधन - मूल अधिनियम की धारा 22 की उपधारा (1) में, दूसरे परंतुक के पश्चात् निम्नलिखित अंतःस्थापित किया जाएगा, अर्थात् :
     “परंतु यह भी कि सरकार, परिषद् की सिफारिशों पर, बीस लाख रुपए के संकलित आवर्त को ऐसी रकम तक बढ़ा सकेगी, जो किसी ऐसे पूर्तिकार की दशा में, जो माल की अनन्य पूर्ति में लगा है, चालीस लाख रुपए से अधिक नहीं होगी और यह ऐसी शर्तों और परिसीमाओं के अधीन रहते हुए किया जाएगा, जो अधिसूचित की जाए।
स्पष्टीकरण-   इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए. किसी व्यक्ति के बारे में तब भी यह समझा जाएगा कि वह माल की अनन्य पूर्ति में लगा है, यदि वह निक्षेपों, ऋणों या अग्रिमों को विस्तारित करके छट प्राप्त सेवाओं की पूर्ति में लगा हुआ है, जहां तक प्रतिफल को ब्याज या बट्टे के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।

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