No: 3-2797 Dated: Aug, 20 2007

1 संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ :- (1) यह नियमावली "बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) (संशोधन) नियमावली, 2007 कही जा सकेगी। 
     (2) इसका विस्तार संपूर्ण बिहार राज्य में होगा।
     (3) यह तुरंत प्रवृत्त होगी। 
2. “बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली, 2005 के नियम-14 का प्रतिस्थापन- 
उक्त नियमावली के नियम-14 को निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित किया जायेगा - 
   "14, लघु एवं वृहत् शास्तियाँ समुचित और यथेष्ट कारणों से तथा इसमें इसके बाद यथाउपबंधित, निम्नलिखित शस्तियाँ, सरकारी सेवक पर अधिरोपित की जा सकेंगी, यथा :
         लघु शस्तियाँ -
            (i) निन्दनः 
            (ii) प्रोन्नति रोकना; 
            (ii) लापरवाही या आदेशोल्लघंन के कारण सरकार को उसके द्वारा पहुँचायी गयी किसी वित्तीय हानि की उसके वेतन से पूरी या आंशिक वसूली:
            (iv) तीन वर्षों से अनधिक अवधि के लिये, संचयी प्रभाव के बिना कालमान वेतन में निम्नतर प्रक्रम पर अवनति; 
            (v) संचयी प्रभाव के बिना वेतनवृद्धियों को रोकना; 
         वृहत शस्तियाँ-
           (vi) संचयी प्रभाव के साथ वेतनवृद्धियों को रोकना; 
           (vii) इस नियम के खंड (iv) में यथा उपबंधित के सिवाय, कालमान वेतन में निम्नतर प्रक्रम पर किसी विनिर्दिष्ट अवधि के लिये अवनति, इन निर्देशों के साथ कि ऐसी अवनति की अवधि के दौरान सरकारी सेवक वेतनवृद्धियाँ अर्जित करेगा या नहीं तथा ऐसी अवधि की समाप्ति के बाद उक्त अवनति का प्रभाव उसकी मावी वेतनवृद्धियों को स्थगित रखने पर होगा या नहीं;
           (vii) निम्नतर कालमान वेतन, कोटि, पद या सेवा में अवनति. जो सामान्यतया सरकारी सेवक को उस कालमान वेतन, कोटि, पद या सेवा में जिससे वह अवनत किया गया हो, प्रोन्नति के लिये उस कोटि या पद या सेवा में जिससे सरकारी सेवक अवनत किया गया हो. प्रत्यावर्तन की शत्तों तथा उस कोटि. पद या सेवा में ऐसे प्रत्यावर्तन के फलस्वरूप उसकी वरीयता एवं वेतन के संबंध में दिये जानेवाले अगले निर्देशों के साथ या के बिना, अवरोधक होगा;
            (ix) अनिवार्य सेवानिवृत्तिः 
            (x) सेवाच्युति, जो सरकार के अधीन भविष्य में नियोजन के लिये निरर्हता नहीं होगी: 
            (xi) सेवा से बर्खास्तगी, जो सामान्यतया सरकार के अधीन भविष्य में नियोजन के लिये निरहता होगी: 
       परन्तु ऐसे हरेक मामले में जिसमें किसी पदीय कार्य करने या से प्रविरत करने के लिये हेतु या पुरस्कार के रूप में किसी व्यक्ति से, वैध पारिश्रमिक से भिन्न, कोई परितोषण स्वीकार किया जाना सिद्ध हो जाय, खंड (x) या खंड (xi) में उल्लेखित शास्ति अधिरोपित की जायेगी; 
       परन्तु और कि किसी आपवादिक मामले में तथा लिखित रूप में अभिलिखित किये जानेवाले विशेष कारणों से कोई अन्य शास्ति अधिरोपित की जा सकेगी। 
       स्पष्टीकरण - इस नियम के अर्थान्तर्गत निम्नलिखित को शास्ति नहीं माना जायेगा, यथा - 
           (i) किसी सरकारी सेवक की, जिस सेवा में वह है या जो पद वह धारण करता है उसे शासित करनेवाले नियमों या आदेशों या उसकी नियुक्ति के निबंधनों के अनुसार किसी विभागीय परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं होने पर, वेतन-वृद्धि रोक रखनाः 
          (ii) किसी सरकारी सेवक की, चाहे वह मौलिक या स्थानापन्न हैसियत में हो, किसी सेवा, कोटि या पद, जिसके लिये वह पात्र हो, के लिये उसके मामले पर विचारोपरान्त, प्रोन्नति रोक देना ; 
          (iii) किसी सरकारी सेवक की, चाहे वह मौलिक या स्थानापन्न हैसियत में हो, किसी सेवा, कोटि या पद, जिसके लिये चाह पात्र हो, के लिये उसके मामले पर विचारोपरान्त, प्रोन्नति नहीं मिलना ; 
          (iv) उच्चतर सेवा, कोटि या पद पर स्थानापन्न रूप में कार्यरत किसी सरकारी सेवक का. उसके आचरण से अनजुड़े किसी प्रशासनिक आधार पर निम्नतर सेवा, कोटि या पद पर प्रतिवर्तन 
          (v) परिवीक्षा पर किसी अन्य सेवा, कोटि या पद पर नियुक्त किसी सरकारी सेवक का, उसकी नियुक्ति के निबंधनों और शत्तों या ऐसी परिवीक्षा को शासित करनेवाले नियमों एवं आदेशों के अनुसार, परिवीक्षा अवधि की समाप्ति या उसके दौरान उसकी स्थायी सेवा, कोटि या पद पर प्रतिवर्तनः 
         (vi) किसी सरकारी सेवक की सेवा का, जिसकी सेवाएँ किसी राज्य सरकार से या किसी राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन के किसी प्राधिकार से उधार ली गयी हो, उस राज्य सरकार या उस प्राधिकार में प्रतिस्थापन, जिससे ऐसे सरकारी सेवक की सेवा उधार ली गयी थी। 
        (vi) अधिवार्षिकी या सेवानिवृत्ति से संबंधित बिहार सेवा संहिता के नियम-74 के उपबंधों के अनुसार किसी सरकारी सेवक की अनिवार्य सेवानिवृत्ति
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