No: 1 Dated: Dec, 18 2015

छत्तीसगढ़ के निक्षेपको के हितों का संरक्षण अधिनियम, 2005

एफ 1-35/2015/स्था./चार - छत्तीसगढ़ के निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम, 2005 (क्रमांक 24 सन् 2015) की धारा 17 द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए, राज्य सरकार, एतदद्वारा, निक्षेपकों के हितों के संरक्षण के लिये निम्नलिखित नियम बनाती है, अर्थात् : 

नियम . 

1. संक्षिप्त नाम व प्रारंभ.- (1) ये नियम छत्तीसगढ़ के निक्षेपकों के हितों का संरक्षण नियम, 2015 कहलाएंगे। 

(2) ये नियम राजपत्र में इनके प्रकाशन की तारीख से प्रवृत्त होंगे। 

2. परिभाषा :- इन नियमों में, जब तक की संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, 

(क) "अधिनियम" से अभिप्रेत है छत्तीसगढ़ के निक्षेपकों के हितों का सरंक्षण अधिनियम, 2005; 

(ख) "कलेक्टर" से अभिप्रेत है छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 (क्र. 20 सन् 1959) के उपबंधों के अधीन ऐसे रूप में नियुक्त व्यक्ति;

(घ) "राजस्व अधिकारी" से अभिप्रेत है छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 (क्र. 20 सन् 1959) में यथा परिभाषित अधिकारी; 

(घ) “अनुसूची'' से अभिप्रेत है इन नियमों से संलग्न अनुसूची; 

(ड़) "धारा'' से अभिप्रेत है अधिनियम की धारा। 

2. उन शब्दों तथा अभिव्यक्तियों का, जो इन नियमों में प्रयुक्त है, परिभाषित नहीं है किन्तु अधिनियम में परिभाषित है का वही अर्थ होगा, जो उक्त अधिनियम में क्रमशः दिया गया है । 

3. वित्तीय स्थापना द्वारा कारोबार की सूचना की रीति.- (1) प्रत्येक वित्तीय स्थापना धारा 6 के अंतर्गत उसके कारोबार (व्यवसाय) की विशिष्टियों की सूचना अनुसूची के प्ररूप-एक में सूचित करेगी। 

(2) सक्षम प्राधिकारी प्राप्त सूचनाओं का विवरण अनुसूची के प्ररूप-दो में संधारित रजिस्टर में प्रविष्ट करेगा। 

4. शिकायतों का अभिलेख.- सक्षम प्राधिकारी अधिनियम के अधीन प्राप्त शिकायतों का अभिलेख संधारित करेगा और संबंधित विवरण अनुसूची के प्ररूप-तीन में संधारित रजिस्टर में प्रविष्ट करेगा। 

5. शिकायत मिलने पर प्रकिया.- निक्षेपकों से या अन्य प्रकार से शिकायत प्राप्त होने पर, सक्षम प्राधिकारी वित्तीय स्थापना ने कपटपूर्ण व्यक्तिक्रम किया है अथवा नही इस संबंध में स्वयं को संतुष्ट करने के लिए ऐसी जांच प्रारंभ कर सकेगा जैसा कि वह आवश्यक समझे : 

परंतु यह कि ऐसी जांच के संबंध में सक्षम प्राधिकारी शिकायत की प्रतिलिपि वित्तीय स्थापना को संसूचित कर सकेगा, और वित्तीय स्थापना सक्षम प्राधिकारी को यह संतुष्ट करने की दशा में कि उसने ऐसे ब्याज, बोनस, लाभ या अन्य किसी रूप में देय राशि का प्रतिसंदाय कर दिया है या ऐसी सुविधाएं दे दी हैं जिसके बारे में शिकायत प्राप्त हुई थी, सक्षम प्राधिकारी शिकायतकर्ता को शिकायत वापस लेने की अनुमति दे सकेगा।

6. संपत्ति की कुर्की और विक्रय की प्रक्रिया.- (1) सक्षम प्राधिकारी कुर्क धन या अन्य सम्पत्ति अभिरक्षा में रखेगा, और कुर्क सम्पत्ति के परिसर में पाये गए किसी अभिलेख, लेखा बहियों, कागजात और दस्तावेज के सुरक्षित रखाव की व्यवस्था करेगा। 

(2) यदि विशेष न्यायालय धारा 7 के अधीन जारी अंतःकालीन आदेश को आत्यंतिक बनाने हेतु आदेश देता है या अधिनियम के उपबंधों के अधीन कोई निर्देश जारी करता है, सक्षम प्राधिकारी, या सक्षम प्राधिकारी द्वारा इस हेतु प्राधिकृत संबंधित जिले के कलेक्टर के अधीनस्थ कोई राजस्व अधिकारी, कुर्क सम्पत्ति का व्ययन सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (क्र. 5 सन् 1908) के आदेश 21 के अंतर्गत उपबंधित अनुसार विक्रय से करेगा। 

(3) कुर्क किए गए धन या अन्य सम्पत्ति की कुर्की, प्रबंधनउ एवं व्ययन के संबंध में समस्त आय और उपगत व्यय का अभिलेख संधारित करेगा, और न्यायालय को यथा अपेक्षित प्रस्तुत करेगा। 

छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के नाम से तथा आदेशानुसार, 

कमलप्रीत सिंह, विशेष सचिव

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