No: ---- Dated: Nov, 01 2007

 

                                                             रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण नीति

 

मध्यप्रदेश में पहली बार लागू हुई रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षिण नीति

नीति एक नवंबर 2007 से प्रभावशील

कुशल,अकुशल,शिक्षित,अशिक्षित व्यक्तियों का होगा पंजीयन

बीपीएल सदस्यों के प्रशिक्षण का पूरा खर्च उठाएगी सरकार

प्रशिक्षण तकनीकी संस्थान, व्यावसायिक प्रतिष्ठान शासकीय व निजी संस्थानों के माध्यम से होगा

प्रदेश,देश,विदेशों में वर्तमान भविष्य में उपलब्ध रोजगार अवसरों का सर्वेक्षण होगा

तदनुसार प्रशिक्षण देकर प्लेसमेंट की व्यवस्था की जाएगी

शहरी क्षेत्र में पंजीयन जिला रोजगार कार्यालय में होगा

ग्रामीण क्षेत्रों में पंजीयन ग्राम पंचायत के माध्यम से

 

शासन का मानना है कि प्रदेश की कुल कार्यरत जनसंख्या का 72 प्रतिशत भाग प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से कृषि पर आधारित है जबकि राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 31 प्रतिशत भाग कृषि से आता है। मध्यप्रदेश में द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र जैसे बाजार, प्रतिष्ठान, उद्योग,पर्यटन आदि में रोजगार एवं स्वरोजगार की अपार संभावनाएं हैं। इन सेवा क्षेत्रों में समुचित कौशल के अभाव में प्रदेश के युवा वर्ग को रोजगार प्राप्त करने में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। अत: प्रदेश के युवा वर्ग को इन क्षेत्रों की मांग के अनुरूप प्रशिक्षित किया जाकर उनका कौशल विकास किया जाता है तो उन्हें रोजगार के अधिक अवसर मिलेंगे। रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण से कार्यक्षमता एवं उत्पादकता में वृद्धि के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही तेजी से बदली हुई अर्थव्यवस्था में उत्पन्न होन वाले नए रोजगार के अवसरों का लाभ भी युवा वर्ग उठा सकता है।

 

राज्य शासन द्वारा मध्यप्रदेश में पहली बार रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण नीति लागू की गई है। रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण नीति का प्रमुख उद्देश्य प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर बाजार एवं उद्योगों की मांग के अनुरूप प्रदेश के युवाओं को प्रशिक्षित कर सुनिश्चित रोजगार अथवा स्वरोजगार से जोड़ना है। इसके अतिरिक्त नीति का उद्देश्य प्रशिक्षण के लिए उपलब्ध संसाधनों में वृद्धि करना और उनके प्रभावी उपयोग को सुनिश्चित कर मानव संसाधन का विकास करना भी है। इससे रोजगार पाने की क्षमता, प्रतिस्पर्धा एवं उत्पादकता में वृद्धि होगी। रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण नीति संपूर्ण मध्यप्रदेश में एक नवंबर 2007 से प्रभावशील हो गई है।

रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण नीति के तहत शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पंजीयन की व्यवस्था की गई है। प्रदेश के कुशल, अकुशल, शिक्षित एवं अशिक्षित व्यक्तियों का पंजीयन ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत के माध्यम से और शहरी क्षेत्रों में जिला रोजगार कार्यालय के माध्यम से होगा। पंजीकृत व्यक्तियों को पंजीयन कार्यालय में परिचय पत्र उपलब्ध कराया जायेगा। ग्राम पंचायतों के माध्यम से किए गए पंजीकरण की जानकारी जनपद स्तर पर संधारित की जाएगी और जनपद स्तर पर संधारित जानकारी जिला स्तर पर जिला रोजगार कार्यालय में संग्रहित एवं संधारित की जाएगी।

जिला रोजगार कार्यालय नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्र की जानकारी के आधार पर डाटाबेस तैयार करेगा। डाटाबेस में रोजगार, स्वरोजगार के लिए इच्छुक पंजीकृत सदस्यों की शैक्षणिक योग्यता, कौशल, आयु, अनुभव, शारीरिक क्षमता आदि का विवरण होगा। जिला स्तर पर जिला रोजगार कार्यालय द्वारा संधारित डाटाबेस निजी/सार्वजनिक एवं व्यावसायिक संस्थानों को उनकी मांग के अनुरूप उपलब्ध कराया जाएगा। रोजगार की उपलब्धता एवं स्वरोजगार क्षेत्रों में संभावनाओं हेतु उक्त जानकारी आवश्यकतानुसार सभी विभागों को उपलब्ध कराई जाएगी तथा उनसे परामर्श भी किया जाएगा।

राज्य स्तर पर राज्य आजीविका फोरम के तहत देश एवं देश के बाहर विभिन्न सेवा क्षेत्रों और उद्योगों की आवश्यकता की जानकारी निरंतर प्राप्त की जाएगी तथा आवश्यकतानुसार प्रभावी प्रशिक्षण एवं प्लेसमेंट हेतु शासकीय, निजी शिक्षण संस्थाओं और उद्योगों से सहयोग प्राप्त किया जायेगा। प्रशिक्षण निजी संस्थाओं से करवाये जाने पर प्रशिक्षण पर होने वाले व्यय का पचास प्रतिशत राज्य शासन द्वारा वहन किया जाएगा, शेष व्यय निजी संस्थान द्वारा वहन किया जाएगा। जबकि गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवार के सदस्यों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर होने वाला व्यय राज्य शासन द्वारा शत-प्रतिशत वहन किया जाएगा।

रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण आवश्यकतानुसार तकनीकी संस्थान, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, शासकीय एवं निजी शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से किया जाएगा। प्रदेश, देश और विदेशों में किस तरह के रोजगार के अवसर वर्तमान में भविष्य में उपलब्ध होंगे इसका सर्वेक्षण राज्य, जिला आजीविका फोरम एजेंसी के माध्यम से करवायेगी। तत्पश्चात उपलब्ध आंकड़ों से योग्य व्यक्तियों का चयन कर उनके प्रशिक्षण एवं प्लेसमेंट की व्यवस्था की जाएगी।

प्रदेश के समस्त जिलों में सर्वप्रथम ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत संचालित योजनाओं में नीति लागू की जायेगी। ग्रामीण विकास विभाग में नीति लागू होने के पश्चात ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में कार्यरत अन्य विभाग स्वेच्छा से सम्मिलित होंगे।