No: 790 Dated: Aug, 18 2009

प्रेषक. 

मनीषा पंवार, 

सचिव एवं आयुक्त, 

उत्तराखण्ड शासन। 

सेवा में, 

1. निदेशक, 2. निदेशक,
समाज कल्याण, उत्तराखण्ड, जनजाति कल्याण, उत्तराखण्ड,
हल्द्वानी, नैनीताल। देहरादून।

 

विषय : अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्र/छात्राओं के रोज़गार के अवसर बढ़ाने हेतु निःशुल्क कोचिंग सहायता योजना |

महोदय, 

आप अवगत हैं कि सामाजिक विभेद, कुरीति एवं रूढ़िगत परम्पराओं के फलस्वरूप अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग सामाजिक एवं आर्थिक रूप से दीर्घकाल से पिछड़ा रहा है। यद्यपि संविधान प्रदत्त संरक्षण के प्राविधानों के अंतर्गत इस वर्ग में जागरूकता पैदा हुयी है एवं शैक्षिक उन्नयन की तरफ इनका रुझान बढ़ा है तथा शैक्षिक स्तर में अभिवृद्धि के परिणाम सामाजिक एवं आर्थिक सुधार के रूप में परिलक्षित होना प्रारम्भ हुआ है तथापि पीढ़ी गत पिछड़ेपन के कारण अभी भी यह वर्ग विकास एवं उन्नति के मामले में समाज के अन्य वर्गों के समकक्ष नहीं आ पाया है। 

वर्तमान में औद्योगिकीकरण, व्यवसायीकरण एवं सूचना तकनीक विकास के मानदंड ही नहीं अपितु पर्याय बन गये हैं। आधुनिक बाजार अर्थव्यवस्था की सबसे प्रमुख विशेषता है प्रतिस्पर्धा । अर्थात श्रेष्ठ एवं सर्वश्रेष्ठ की मांग। निःसन्देह औद्योगीकरण एवं तकनीकी ने रोज़गार के क्षेत्र में नये आयाम जोडे हैं तथा नई संभावनाओं का विस्तार हुआ है किंतु गुणवत्ता, उत्पादकता और अग्रणी बनने की बाध्यता के फलस्वरूप रोज़गार के क्षेत्र में भी अत्यधिक प्रतिस्पर्धा उत्पन्न हो गयी है। 

प्रतियोगिता एवं प्रतिस्पर्धा के इस परिदृश्य में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्रों को अपने आपको स्थापित कर पाना तुलनात्मक दृष्टि से कठिन हो जाता है। फलतः इन वर्गों के उम्मीदवार उपलब्ध अवसरों का अपेक्षित लाभ नहीं ले पा रहे हैं। इसलिये इस वर्ग के उम्मीदवारों,छात्रों में व्यावसायिक कौशल एवं क्षमता के स्तर को ऊँचा उठाना अपरिहार्य आवश्यकता है ताकि वे प्रतियोगिता में उच्च स्थान प्राप्त करते हुए रोजगार के क्षेत्र में उत्पन्न बढ़ोत्तरी का लाभ उठा सकें। व्यावसायिक कौशल एवं क्षमता को विकसित करने के लिए विशेष प्रकार की कोचिंग एवं प्रशिक्षण को आवश्यकता पड़ती है। यद्यपि समाज कल्याण विभाग द्वारा वर्तमान में इंजीनियरिंग तथा आइ०ए०एस० "एवं पी०सी०एस० कोचिंग केन्द्र का संचालन किया जा रहा है, किन्तु वर्तमान में शिक्षा एवं उससे जुड़े प्रतियोगिता का स्वरूप भी बदल रहा है। ऐसे में समाज कल्याण द्वारा संचालित कोचिंग योजना के स्वरूप को विस्तारित करना आवश्यक हो गया है। 

अत: इस सम्बन्ध में मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि विभाग के अंतर्गत वर्तमान में संचालित अनुसूचित जाति एवं अनुसचित जनजातियों के व्यक्तियों के लिए सिविल एवं एलाइड सेवाओं तथा अभियन्त्रण तथा मेडिकल आदि में प्रवेश हेतु परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण योजनाओं को निम्नलिखित नवीन दिशा-निर्देशों के अनुसार संचालित किये जाने को श्री राज्यपाल महोदय सहर्ष स्वीकृति प्रदान करते है |

योजना के उद्देश्य :- योजना के मुख्य उद्देश्य निम्नवत हैं:-- 

(i) अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के छात्रों को तकनीकी एवं व्यावसायिक पाठ्यक्रम यथा: इंजीनियरिंग चिकित्सा, कानून, बायोटेक्नॉलोजी प्रबंध सूचना तकनीक एवं रक्षा सेवा आदि की प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग प्रदान करना। 

(ii) राज्य एवं केन्द्र सरकार की समूह क, ख, ग तथा अन्य समकक्षीय सेवाओं जैसे पुलिस सुरक्षा सेवा, निजी एवं सार्वजनिक उपक्रम, रेलवे, बैंक, बीमा कंपनियों अधीनस्थ सेवाएं, स्वायत्तशाली संगठनों की सेवा परीक्षा की तैयारी हेतु कोचिंग। 

योजना का क्रियान्वयन :- इस योजना का संचालन विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों एवं संस्थाओं के माध्यम से कराया जायेगा जिनके लिए निम्न पात्रता निर्धारित की जाती है। 

पात्रता :- (1) ऐसी समस्त शासकीय संस्थाएं. विश्वविद्यालय तथा स्वायत्तशासी संगठन जो कोचिग एवं प्रशिक्षण की गतिविधियों में संलग्न हैं। 

(2) निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालय/महाविद्यालय, डीम्ड विश्वविद्यालय जो कोचिंग/प्रशिक्षण कार्य में संलग्न हैं। 

(3) निजी क्षेत्र की ऐसो संस्थाये एवं संगठन जो रोजगारपरक पाठ्यक्रमों का संचालन करते हैं अथवा कोचिंग/ प्रशिक्षण प्रदान करते हैं ताकि निजी क्षेत्र में रोजगार प्राप्त हो सके। निजी क्षेत्र की संस्थाओं के अन्तर्गत न्यास (ट्रस्ट), कम्पनी, साझा फर्म, विधिसम्मत पंजीकृत समितियाँ, औद्योगिक संस्थान आदि सम्मिलित होंगे। 

वित्तीय सहायता हेतु निर्धारित पात्रता :- योजनान्तर्गत कोचिग/ प्रशिक्षण के लिए विभागीय वित्तीय सहयोग/सहायता प्राप्त करने हेतु संस्थान के लिए निम्न अर्हता निर्धारित की जाती हैं। . 

(1). संस्था में मानक के अनुरूप पर्याप्त संख्या में पूर्णकालिक अथवा अंशकालिक योग्य प्रशिक्षक कार्यरत होने चाहिये। 

(2). संस्था में पर्याप्त आधारभूत सुविधाएं यथाः परिसर भवन पुस्तकालय,उपकरण, कक्षा कक्ष उपलब्ध होनी चाहिये। 

(3). संस्था को प्रशिक्षण प्रदान करने का कम से कम 3 वर्ष का अनुभव होना आवश्यक हैं। 

(4). कोचिंग संस्थाओं की न्यूनतम सफलता दर 15 प्रतिशत होनी चाहिये, सफलता दर 3 वर्ष की गतिशील औसत के आधार पर आकलित की जियेगी। 

(5). जिन कोचिंग संस्थान के छात्र प्रतिष्ठित विद्यालयों/संस्थान में प्रवेश प्राप्त कर चुके हैं उनको प्राथमिकता प्रदान की जायेगी। 

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