No: 10 Dated: Aug, 01 2002

उत्तरांचल शासन 

विधायी एवं संसदीय कार्य विभाग 

अधिसूचना 

"भारत का संविधान" के अनुच्छेद 200 के अधीन महामहिम राष्ट्रपति ने उत्तरांचल विधान सभा द्वारा पारित उत्तरांचल भारतीय वन (उत्तरांचल, संशोधन) विधेयक, 2001 को दिनांक 17-7-2002 को अनुमति प्रदान की और वह उत्तरांचल अधिनियम संख्या 10 सन् 2002 के रूप में सर्वसाधारण की सूचनार्थ इस अधिसूचना द्वारा प्रकाशित किया जाता है। 

भारतीय वन (उत्तरांचल संशोधन) अधिनियम, 2001 

(अधिनियम सं0 10 वर्ष 2002)

भारतीय वन अधिनियम, 1927 का उत्तरांचल में उसकी प्रवृत्ति के सम्बन्ध में संशोधन करने के लिये अधिनियम 

भारत गणराज्य के बावनवें वर्ष में निम्नलिखित अधिनियम बनाया जाता है : 

1.संक्षिप्त नाम विस्तार और प्रारम्भ :- (1) यह अधिनियम “भारतीय वन (उत्तरांचल संशोधन) अधिनियम, 2001” कहा जायेगा। 

  (2) इसका विस्तार संपूर्ण उत्तरांचल में होगा।

  (3) यह ऐसे दिनाँक से प्रवृत्त होगा जिसे राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा इस निमित्त नियत करें। 

2. भारतीय वन अधिनियम 1927 जिसे आगे मूल अधिनियम कहा गया है की धारा-2 में निम्नलिखित खंड बढ़ा दिया जायेगा। 

  2-क “प्राधिकृत अधिकारी" का तात्पर्य धारा-52 क के अधीन प्राधिकृत किये गये अधिकारी से है। 

3. धारा 26 का संशोधन :- मूल अधिनियम की धारा 26 की उप धारा (1) में -

  (1) खंड (ख) में शब्द "आरक्षित वन में" के पश्चात शब्द "या ऐसी किसी भूमि में स्थित किसी वन में जिसके सम्बन्ध में धारा-4 के अधीन अधिसूचना जारी की गई हो" बढ़ा दिये जायेंगे,

  (2) खंड (ङ) में, शब्द "घसीटने" के स्थान पर शब्द "हटाने" रख दिया जायेगा,

  (3) खंड (च) में, शब्द "पत्तियां तोड़ डालेगा, या उसे" के पश्चात शब्द "या , किसी वन उपज को” बढ़ा दिये जायेंगे,

  (4) शब्द "ऐसी अवधि के कारावास से, जो छः मास तक का हो सकेगा या जुर्माने से, जो पांच सौ रुपये तक का हो सकेगा या दोनो से दण्डित किया जायेगा" के स्थान पर शब्द, "खंड (ख) या खंड (च) या खंड (छ) या खंड (ज) में वर्णित किसी कार्य के लिए ऐसी अवधि के कारावास से, जो दो वर्ष तक का हो सकेगा या जमाने से, जो पांच हजार रुपये तक का हो सकेगा या दोनों से, दण्डित किया जायेगा और उसी अपराध के लिए द्वितीय और प्रत्येक अनुवर्ती दोषसिद्धि पर ऐसी अवधि के कारावास से, जो दो वर्ष तक का हो सकेगा या जुर्माने से, जो बीस हजार रुपये तक का हो सकेगा, किंतु जो पांच हजार रुपये से कम का न होगा, या दोनों से दण्डित किया जायेगा और अन्य खंडों में वर्णित किसी कार्य के लिए ऐसी अवधि के कारावास से, जो छ: मास तक का हो सकेगा या जुर्माने से, जो एक हजार रुपये तक का हो सकेगा, या दोनो से, दण्डित किया जायेगा और उसी अपराध के लिए द्वितीय और प्रत्येक अनूवर्ती दोषसिद्धि पर ऐसी अवधि के कारावास से, जो छ: मास तक का हो सकेगा या जुर्माने से, जो दो हजार रुपये तक का हो सकेगा या दोनो से दण्डित किया जायेगा" रख दिये जायेंगे।

4. धारा 33 का संशोधन :- मूल अधिनियम की धारा 33 की उप धारा (1) में -

  (1) खंड (ग) में, शब्द “या साफ करेगा" के पश्चात शब्द "या तोड़ने या साफ करने का प्रयास करता है" बढ़ा दिया जायेगा,

  (2) खंड (च) में, शब्द “खीचेंगा" के स्थान पर शब्द "हटायेगा" रख दिये जायेंगे,

  (3) शब्द "जो छ: मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पांच सौ रुपये तक का हो सकेगा, या दोनों से" के स्थान पर, "जो दो वर्ष तक का हो सकेगा, या जुर्माने से, जो पांच हजार रुपये तक का हो सकेगा या दोनों से, दण्डनीय होगा और उसी अपराध के लिए द्वितीय और प्रत्येक अनुवर्ती दोषसिद्धि पर ऐसी अवधि के कारावास से जो दो वर्ष तक का हो सकेगा और जुर्माने से जो दस हजार रुपये तक का हो सकेगा"रख दिये जायेंगे।

5. धारा 42 का संशोधन :- मूल अधिनियम की धारा 42 की, उपधारा (1) में-

शब्द "जो "छ: मास तक का हो सकेगा या जुर्माना, जो पांच सौ रुपये तक का हो सकेगा के स्थान पर शब्द, "जो दो वर्ष तक का हो सकेगा, या जुर्माने से, जो पाँच हजार रुपये तक का हो सकेगा" रख दिये जायेंगे।

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