No: 25 Dated: Jan, 01 1992

सम्बंधित नियम –

मध्य प्रदेश मोटरयान कराधान नियम 1991

संशोधन -

1 - म.प्र. मोटरयान कराधान (संशोधन) अधिनियम 2016

2 - मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) अधिनियम, 2015

3 - मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) अधिनियम 2014

 

मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान अधिनियम, 1991

(क्र. 25 सन् 1991)

[दिनांक 21 सितम्बर, 1991 को राष्ट्रपति की अनुमति प्राप्त हुई अनुमति “मध्यप्रदेश राजपत्र (असाधारण)” में दिनांक 27 नवम्बर,1991 को प्रथम बार प्रकाशित की गई ।]

मध्यप्रदेश राज्य में मोटरयानों पर कर उद्ग्रहण करने संबंधी विधि को

समेकित और संशोधित करने हेतु अधिनियम ।

भारत गणराज्य के बयालीसवें वर्ष में मध्यप्रदेश विधान मण्डल द्वारा निम्निलिखित रूप में यह अधिनियम हो:-

1. संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ – (1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम मध्यप्रदेश कराधान अधिनियम, 1991 है ।

(2) इसका विस्तार संपूर्ण मध्यप्रदेश पर है ।

(3) यह ऐसी तारीख को प्रवृत्त होगा जिसे राज्य सरकार, अधिनियम द्वारा, नियत करे ।

2.परिभाषाएँ – इस अधिनियम में जब तक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो :-

(क) “कराधान प्राधिकारी” से अभिप्रेत है कोई अधिकारी जिसे इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए राज्य सरकार द्वारा उस रूप में नियुक्त किया गया हो ;

(ख) “स्वामी” से अभिप्रेत है ऐसा व्यक्ति जिसके नाम कोई मोटरयान, मोटरयान अधिनियम, 1988 (1988 का सं. 59) के अधीन रजिस्ट्रीकृत है और उसके अन्तर्गत है :-

 (एक) कोई व्यक्ति, जो किसी मोटरयान का तत्समय कब्जा या नियंत्रण रखता है;

( दो)कोई व्यक्ति, जो ऐसे स्वामी के कारबार के प्रबंध के लिए उत्तरदायी है; और

(तीन) अनुज्ञा पत्र के अन्तर्गत आने वाले परिवहन यान की दशा में, अनुज्ञा पत्र का धारक या कोई ऐसा व्यक्ति या ऐसे व्यक्ति, जिसने या जिन्होंने मोटरयान अधिनियम, 1988 (1988 का सं. 59) के अधीन यान के कब्जे का और अनुज्ञा पत्र के लिए उत्तराधिकार का अधिकार प्राप्त कर लिया है;

 (ग) “कर” से अभिप्रेत है इस अधिनियम के अधीन उद्ग्रहणीय कोई कर;

(घ) “वर्ष” से अभिप्रेत है वित्तिय वर्ष, “छहमाही” से अभिप्रेत है वर्ष के प्रथम छह मास या द्वितीय छह मास और “तिमाही” से अभिप्रेत है छमाही के प्रथम तीन मास या द्वितीय तीन मास;

(ङ) उन शब्दों तथा अभिव्यक्तियों के, जो इस अधिनियम में प्रयोग हुई हैं किन्तु परिभाषित नहीं की गईं हैं वही अर्थ होगें जो उनके लिए मोटरयान अधिनियम, 1988 (1988 का सं. 59) में दिए गए है

3. मोटरयानों पर कर का उद्ग्रहण – (1) राज्य में उपयोग में लाए गए या राज्य में उपयोग के लिए रखे गए प्रत्येक मोटरयान पर कर का उद्ग्रहण, प्रथम अनुसूची में विनिर्दिष्ट दर से किया जाएगा :

[परन्तु प्रत्येक मोटरयान पर जीवन-काल-कर द्वितीय अनुसूची में विनिर्दिष्ट दरों पर उद्ग्रहीत किया जाएगा]

परन्तु यह और भी कि किसी ऐसी मोटरयान के संबंध में, जो किसी विनिर्माता से व्यापारी को एक मास से अनधिक की कालावधि के लिए अस्थाई रजिस्ट्रीकरण प्रमाण-पत्र के अधीन राज्य में होकर जा रही है, कर की दर किसी तिमाही के लिए देय कर की एक तिहाई होगी ।

(2) किसी परिवहन यान के बारे में, जिसका रजिस्ट्रीकरण प्रमाण-पत्र चालू है, अधिनियम के प्रयोजन के लिए यह उपधारणा की जाएगी कि वह उपयोग में आ रहा है या उपयोग के लिए रखा गया है, भले ही ऐसे परिवहन यान के संबंध में उपयुक्तता प्रमाण-पत्र का अवसान क्यों न हो गया हो ।

4. व्यापारी या विनिर्माता द्वारा देय कर –- मोटरयान के विनिर्माता या व्यापारी द्वारा ऐसे मोटरयानों के संबंध में, जो केन्द्रीय मोटरयान नियम, 1989 के अधीन मंजूर किए गए व्यापार प्रमाण-पत्र प्राधिकारी के अधीन ऐसे विनिर्माता या व्यापारी के रूप में उसक

5. कर का संदाय – (1) इस अधिनियम के अधीन उद्ग्रहीत कर का संदाय, मोटरयान के स्वामी द्वारा उसकी पसंद पर, या तो तिमाही, छहमाही या वार्षिक रूप में, यथास्थिति उस तिमाही, छहमाही या वर्ष के प्रारंभ होने से पंद्रह दिन के भीतर उसके द्वारा उस तिमाही, छहमाही या वर्ष के लिए, उसके द्वारा अभिप्राप्त किए जाने वाले टोकन पर अग्रिम में किया जाएगा। किसी छहमाही टोकन के लिए कर, तिमाही टोकन के लिए कर के दो गुने से और वार्षिक टोकन के लिए कर तिमाही टोकन के लिए कर के चार गुने से अधिक नहीं होगा;

परन्तु उपयोग में लाए गए या उपयोग के लिए रखे गए किसी मोटरयान के संबंध में किसी तिमाही के अंतिम दिन को समाप्त होने वाली किसी कालावधि के लिए जो दो मास ये अनधिक है, कालावधि के एक मास से अधिक होने या अधिक न हाने के अनुसार, ऐसे तिमाही कर के दो तिहाई या एक तिहाई कर का संदाय किया जाएगा :

परन्तु यह और भी कि प्रथम अनुसूची में विनिर्दिष्ट कर की दरों में जब कभी वृद्धी की जाती है और मोटरयान का स्वामी बढ़ी हुई दर पर कर का संदाय करने का दायी हो जाता है तो ऐसा स्वामी कर की रकम का अंतर, उस मोटरयान की बाबत् पश्चात्वर्ती कालावधि के लिए कर के संदाय के समय जमा करेगा :

[परन्तु यह भी कि किसी शहर मार्ग से भिन्न मार्ग पर चलाई जाने वाली मंजिली गाड़ी या मोटर केब से भिन्न गाड़ी के संबंध में उद्ग्रहीत कर मोटरयान के जीवनकाल का संदाय यथास्थिति उस मास, तिमाही, छहमाही अथवा वर्ष के प्रारंभ में दस दिन के भीतर अग्रिम में मासिक, तिमाही, छहमाही या वार्षिक रूप में किया जाएगा ।]

(2) उपधारा (1) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, धारा 3 की उपधारा (1) के प्रथम परंतुक के अधीन उद्ग्रहीत कर मोटरयान के जीवनकाल के लिए होगा और स्वामी द्वारा इसका एक मुश्त अग्रिम में संदाय किया जाएगा:

परंतु-

(एक) धारा 3 की उपधारा (1) के प्रथम परंतुक में विनिर्दिष्ट किसी मोटरयान के मध्यप्रदेश में रजिस्ट्रीकृत होने की दशा में, इस अधिनियम के प्रारंभ होने के पूर्व संदत्त कर की कुल रकम को द्वितीय अनुसूची में विनिर्दिष्ट जीवन-काल कर की रकम में से घटा दिया जाएगा ।

(दो) धारा 3 की उपधारा (1) के प्रथम परंतुक में विनिर्दिष्ट किसी ऐसे यान की दशा में, जो किसी अन्य राज्य में रजिस्ट्रीकृत है और मध्यप्रदेश राज्य में लाया गया है, कर की वह रकम, जो उस यान के मूलत: मध्यप्रदेश में रजिस्ट्रीकृत होने या उपयोग में लाए जाने की दशा में जीवन-काल कर के संदाय की तारीख तक, प्रथम अनुसूची के अधीन संदत्त किया जाना होता, द्वितीय अनुसूची में विनिर्दिष्ट जीवन-काल कर की रकम में से घटा दी जाएगी ऐसे यान का स्वामी उस राज्य के कराधान प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया “कोई बकाया नहीं” (नो ड्यूज) प्रमाण-पत्र देगा :

परन्तु यह और भी कि धारा 5 की उपधारा (2) के प्रथम परंतुक के खण्ड (एक) या (दो) के अधीन घटाई जाने वाली अधिकतम रकम किसी भी दशा में द्वितीय अनुसूची में विनिर्दिष्ट जीवन काल कर की रकम के 50% से अधिक नहीं होगी :

परन्तु यह भी कि यदि धारा 3 की उपधारा (1) के प्रथम परंतुक में विनिर्दिष्ट मोटरयान की दशा में कर का संदाय इस अधिनियम के प्रारंभ होने के पूर्व कर दिया गया है तो जीवन-काल-कर का उद्ग्रहण उस कालावधि के अवसान हो जाने के पश्चात् किया जाएगा, जिसके लिए इस प्रकार कर का संदाय किया गया था और ऐसे कर का संदाय उक्त कालावधि के अवसान होने की तारीख से एक मास के भीतर किया जाएगा ।

6. किसी स्थानीय प्राधिकारी द्वारा कर अधिरोपित किए जाने का वर्जन – तत्सम प्रवृत्त किसी अन्य अधिनियमिति में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, कोई भी स्थानीय प्राधिकरण, इस अधिनियम के प्रारंभ होने के पश्चात् किसी मोटरयान की बाबत् ऐसा कोई कर, पथकर या अनुज्ञप्ति फीस अधिरोपित नहीं करेगा या उसमें वृद्धि नहीं करेगा और यदि किसी स्थानीय प्राधिकरण ने 1 अप्रैल, 1942 के पूर्व से ऐसा कोई कर, पथकर या अनुज्ञप्ति फीस अधिरोपित की है और वह इस अधिनियम के प्रारंभ होने के समय भी प्रवृत्त है तो ऐसे किसी भी व्यक्ति के बारे में, जो ऐसा कर, पथकर या अनुज्ञप्ति फीस का संदाय ऐसे प्राधिकरण को करने के लिए दायी है, यह समझा जाएगा कि उसने उसका संदाय कर दिया है ।

7. स्थानीय प्राधिकरणों को अनुदान – (1) राज्य सरकार, प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर प्रत्येक छावनी बोर्ड, नगरपालिका समिति तथा अधिसूचित क्षेत्र समिति को, जो 1 अप्रैल, 1942 के पूर्व मोटरयान के संबंध में कर, पथकर या अनुज्ञप्ति फीस का अधिरोपण करती थी, उतनी ही राशि का अनुदान देगी, जितनी राशि इस अधिनियम के प्रारंभ होने के ठीक पूर्व ऐसे बोर्ड, समिति को संदाय की जा रही थी:

परन्तु किसी छावनी बोर्ड को कोई राशि तब तक देय नहीं होगी जब तक कि वह छावनी बोर्ड मोटरयानों की बाबत् कोई कर, पथकर या अनुज्ञप्ति फीस वसूल नहीं करने के लिए सहमत नहीं हो जाता।

(2) उपधारा (1) के अधीन देय कर की राशि राज्य के संचित निधि पर भारित होगी।

[8. घोषणा का फाइल किया जाना और देय कर का अवधारण--(1) प्रत्येक स्वामी, जो इस अधिनियम के अधीन कर संदाय करने का दायी है, कराधान प्राधिकारी को ऐसे प्ररूप में तथा ऐसे समय के भीतर जो विहित किया जाए, एक घोषणा फाइल करेगा जिसके साथ ऐसे कर, जिसका कि वह ऐसे यान की बाबत् संदाय का दायी प्रतीत होता हो, का संदाय करने का सबूत होगा ।

(2) जब कोई मोटरयान, जिसकी बाबत् कर का संदाय कर दिया गया है ऐसी रीति मे परिवर्तित किया जाता है कि जिससे वह यान एक ऐसा मोटरयान बन जाता है जिस पर कर की उच्चतर दर देय है तो ऐसे यान का स्वामी कराधान प्राधिकारी को ऐसे प्ररूप में तथा ऐसे समय के भीतर जो विहित किया जाए, एक अतिरिक्त घोषणा फाइल करेगा जिसके साथ रजिस्ट्रीकरण प्रमाणत-पत्र होगा और ऐसे कर के अन्तर, जिसका कि वह ऐसे यान की बाबत् संदाय का दायी प्रतीत होता हो, का संदाय करने का सबूत होगा ।

(3) यथास्थिति उपधारा (1) के अधीन घोषणा या उपधारा (2) के अधीन अतिरिक्त घोषणा प्राप्त होने पर कराधार प्राधिकारी, ऐसी जांच जैसी कि वह उचित समझे करने के पश्चात् और स्वामी को सुनवाई का अवसर देने के पश्चात् एक लिखित आदेश द्वारा ऐसे स्वामी के द्वारा देय कर का अवधारण करेगा तथा उसे ऐसे प्ररूप में तथा ऐसे समय के भीतर, जैसे कि विहित किया जाए, सूचना देगा ।

(4) जहाँ स्वामी उपधारा (1) या (2) के अधीन घोषणा फाइल करने में असफल रहता है तो कराधान प्राधिकारी उसके पास उपलब्ध जानकारी के आधार पर और स्वामी को सुनवाई का अवसर देने के पश्चात् एक लिखित आदेश द्वारा, ऐसे स्वामी द्वारा देय कर की रकम का स्वप्रेरणा से अवधारण कर सकेगा तथा उसे ऐसे प्ररूप में तथा समय के भीतर, जैसा कि विहित किया जाए, सूचना दे सकेगा ।

(5) यथास्थिति, उपधारा (3) या (4) के अधीन कराधान प्राधिकारी द्वारा देय कर का अवधारण किए जाए पर यथास्थिति देय कर और संदत्त किए गए कर की रकम का अंतर इस अधिनियम तथा नियमों के अधीन संदाय करने या वापस करने के बारे में लागू रीति के अनुसार स्वामी द्वारा संदाय किया जाएगा अथवा उसे वापस किया जाएगा ।

(6) जहाँ स्वामी कोई मिथ्या घोषणा फाइल करता है, वहाँ कराधान प्राधिकारी, स्वामी को सुनवाई का अवसर देने के पश्चात्, लिखित आदेश द्वारा, ऐसी शास्ति अधिरोपित करेगा जो उपधारा (3) अधीन अवधारित कर की रकम के दुगने से अधिक नहीं होगी ।

स्पष्टीकरण :- “मोटरयान में परिवर्तन” में सम्मिलित है, ऐसे किसी अनुज्ञा पत्र, जिसके अन्तर्गत यान है, का अर्जंन, समर्पण या उपयोग न किया जाना या उसमें कोई परिवर्तन किया जाना ।]

9. कराधान प्राधिकारी के समक्ष बीमा प्रमाण-पत्र का प्रस्तुत किया जाना – प्रत्येक स्वामी धारा 8 के अधीन घोषणा फाइल करते समय कराधान प्राधिकारी के समक्ष, मोटरयान के संबंध में एक विधिमान्य बीमा प्रमाण-पत्र पेश करेगा जो मोटरयान अधिनियम, 1988 (1988 का सं. 59) के अध्याय 11 की अपेक्षाओं की पूर्ति करता हो ।

10. कर के संदाय की रीति – इस अधिनियम के अधीन शोध्य प्रत्येक राशि, यदि वह 250 रूपए से अधिक है, का संदाय, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का सं. 2) में यथा परिभाषित किसी अधिसूचित बैंक से अभिप्राप्त उतने मूल्य का मांगदेय ड्राफ्ट, जितने का संदाय अपेक्षित है, कराधान प्राधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करने अथवा ऐसी अन्य रीति में किया जाएगा जैसी कि विहित की जाए ।

11. कर के उद्ग्रहण से सामान्य छूट – (1) कोई भी कर ऐसे मोटरयान पर उद्ग्रहणीय नहीं होगा जिसे किसी नगरपालिक निगम, नगरपालिका परिषद्, अधिसूचित क्षेत्र समिति, या छावनी बोर्ड या विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकारी द्वारा अनन्यत: सफाई तथा आग बुझाने के प्रयोजनों के लिए या रोगी वाहन (एम्बुलेंस) के रूप में उपयोग में लाया जाता है या उपयोग में लाए जाने के लिए रखा जाता है और कोई का किसी ऐसे मोटरयान पर उद्ग्रहणीय नहीं होगा जो सरकार के स्वामित्व में हो ।

[(2) कोई कर किसी भी मोटरयान पर, उद्ग्रहणीय नहीं होगा जो अनन्यत: कृषि के प्रयोजन के लिए उपयोग में लाया जाता है या उपयोग के लिए रखा जाता है ।

स्पष्टीकरण (1) – उपधारा (2) के प्रयोजनों के लिए, वास्तविक कृषक के किसी ऐसे ट्रेक्टर अनुयान संयोजन के संबंध में जो स्वयं उस वास्तविक कृषक द्वारा खेती की गई भूमि तथा उसके निवास स्थान, गोदाम या ऐसी कृषि उपज या ऐसी सामग्री के किसी मण्डी स्थान के बीच –

(एक) ऐसी कृषि उपज के, जो स्वयं उस वास्तविक कृषक द्वारा खेती की गई भूमि पर उगाई गई हो; या

(दो) किसी ऐसी समाग्री के, जो कृषि के प्रयोजन के लिए आवश्यक हो,

परिवहन के लिए उपयोग में लाया गया हो, यह समझा जाएगा कि वह अनन्यत: कृषि के प्रयोजनों के लिए उपयोग में लाया गया है किन्तु कृषि उपज के परिवहन के लिए उपयोग में लाए गए किसी अन्य मोटरयान के संबंध में यह नहीं समझा जाएगा कि वह अनन्यत: कृषि के प्रयोजनों के लिए उपयोग में लाया गया है ।

स्पष्टीकरण (2) — स्पष्टीकरण (1) के प्रयोजनो के लिए, अभिव्यक्ति “वास्तविक कृषक”, स्वयं खेती करना’ और “कृषि” के वे ही अर्थ होगें जो उनके लिए मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 (क्रमांक 20 सन् 1959) में दिए गए हैं ।]

12. टोकन प्रदान करना – (1) जहाँ किसी मोटरयान के संबंध में किसी व्यक्ति द्वारा किसी विशिष्ट कालावधि के लिए कर का संदय किया जाता है या यदि उसके लिए ऐसा कोई कर देय नहीं है तो कराधान प्राधिकारी :-

(क) ऐसे व्यक्ति को, उक्त कालावधि के दौरान राज्य में मोटरयान का उपयोग करने के लिए टोकन ऐसे प्ररूप में प्रदान करेगा जैसा कि विहित किया जाए; और

(ख) मोटरयान के रजिस्ट्रीकरण प्रमाण-पत्र में यह अभिलिखित करेगा कि मोटरयान के संबंध में उक्त कालावधि के लिए कर का संदाय किया जा चुका है अथवा कोई कर देय नहीं है :

परन्तु जहाँ इस अधिनियम के अधीन काल-कर देय है वहाँ किसी व्यक्ति द्वारा ऐसे कर के संदाय का रजिस्ट्रीकरण प्रमाण-पत्र में उल्लेख कर दिया जाएगा और ऐसे व्यक्ति को कोई टोकन प्रदान नहीं किया जाएगा ।

(2) उपधारा (1) के अधीन प्रदान किया गया प्रत्येक टोकन संपूर्ण राज्य में विधिमान्य होगा ।

(3) कोई मोटरयान राज्य में किसी भी समय तब तक उपयोग में नहीं लाया जाएगा जब तक कि ऐसी कालावधि के दौरान उसके उपयोग के लिए अनुज्ञा देने का टोकन अभिप्राप्त करके यान पर प्रदर्शित नहीं किया जाता है और जो कोई ऐसा करने में असफल रहता है जुर्माने से, जो 50 रूपए तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा ।

[13. कर का संदाय करने में असफल रहने के लिए शास्ति – [(1)] यदि किसी मोटरयान के संबंध में शोध्य कोई कर, धारा 5 में विनिर्दिष्ट किए गए अनुसार संदत्त नहीं किया गया है, तो स्वामी, शोध्य कर के संदाय के अतिरिक्त, प्रत्येक मास या उसके भाग के व्यतिक्रम के लिए कर की असंदत्त रकम के 4 प्रतिशत की दर से शास्ति के लिए दायी होगा किन्तु शास्ति कर की असंदत्त रकम दुगने से अधिक नहीं होगी :

परन्तु यदि इस अधिनियम के अधीन जीवन-काल का संदाय नहीं किया गया है तो स्वामी, शोध्य कर के संदाय के अतिरिक्त, प्रत्येक वर्ष या उसके व्यतिक्रम के लिए जीवन-काल-कर के एक-दशमांश की दर से, किन्तु धारा 3 की उपधारा (1) के प्रथम परंतुक के अधीन देय जीवन-काल-कर से अनधिक, शास्ति के लिए दायी होगा ।]

[(2) मोटरयान अधिनियम, 1988 (1988 का 59) की धारा 72, 74, 76, 79, 87 और 88 (1), (9) तथा (11) के अधीन मध्यप्रदेश या किसी अन्य राज्य के परिवहन प्राधिकारी द्वारा प्रदत्त अनुज्ञापत्र के अंतर्गत आने वाले मोटरयान, यदि अनुज्ञापत्र में विनिर्दिष्ट प्रयोजन से अन्यथा या बिना अनुज्ञापत्र के चलाए जाते हुए पाए जाएं तो ऐसे यान का स्वामी, कर के अतिरिक्त, प्रतिमास, शास्ति का दायी होगा, जो ऐसे यान के लिए इस अधिनियम की प्रथम अनुसूची में यथाविनिर्दिष्ट मासिक, तिमाही या वार्षिक कर की रकम की दुगुनी होगी ।]

14. कर की वापसी -- (1) जहाँ :-

(एक) किसी मोटरयान के लिए किसी [मासिक, तिमाही, छ:माही या किसी वर्ष] की बाबत् कर का संदाय कर दिया गया है और उस मोटरयान का, उस संपूर्ण मासिक, तिमाही, छ:माही या वर्ष के दौरान या उसके ऐसे निरंतर भाग के दौरान जो एक मास से कम का न हो, उपयोग नहीं किया गया है और ऐसा उपयोग न किए जाने की विहित प्ररूप में सूचना कराधान प्राधिकारी को ऐसा उपयोग न किए जाने की कालावधि के प्रारंभ होने के पूर्व विहित रीति में दे दी गई हो; या

(दो) यान को इस प्रकार परिवर्तित कर दिया गया हो कि जिससे स्वामी उस कर के जिसका कि पहले ही संदाय किया जा चुका है, किसी भाग की वापसी के लिए हकदार हो जाए वहाँ कर की वापसी,

ऐसी दरों पर तथा ऐसी शर्तों के अध्यधीन रहते हुए की जाएगी जैसी कि विहित की जाए :

[परन्तु यदि राज्य सरकार विहित किए जाने वाले कारणों से किसी लोक सेवायान को जो नियमित अनुज्ञा पत्र के अन्तर्गत आता है, मार्ग पर चलाया जाना संभव नहीं हो तो कर की वापसी एक मास से कम कालावधि के लिए ऐसी सीमा तक और ऐसे निर्बंधनों और शर्तों पर की जा सकेगी जैसा कि विहित किया जाए ।]

(2) जहाँ धारा 3 की उपधारा (1) के प्रथम परंतुक के अधीन जीवन-काल कर का संदाय उसमें विनिर्दिष्ट किसी यान के संबंध में किया जा चुका है, वहाँ स्वामी उस जीवन काल कर की वह रकम जो प्रथम अनुसूची के अधीन देय होती, घटाने के पश्चात् बचने वाली शेष रकम की वापसी का हकदार होगा, यदि वह कराधान प्राधिकारी के समाधानप्रद रूप में साबित कर देता है कि ऐसा मोटरयान :-

(क) स्थाई रूप से राज्य के बाहर हटा दिया गया है और किसी अन्य राज्य के कराधान प्राधिकारी के अभिलेख पर ले आया गया है; या

(ख) नष्ट हो चुका है या उपयोग में लाए जाने के लिए स्थाई रूप से अयोग्य हो गया है और उसका रजिस्ट्रीकरण प्रमाण-पत्र, मोटरयान अधिनियम, 1988 के अधीन रद्द कर दिया गया है और ऐसे मोटरयान का उपयोग राज्य में नहीं किया गया है; या

(ग) परिवहन यान के रूप में संपरिवर्तित कर दिया गया है या उसका उपयोग उस रूप में किया गया है और ऐसे मोटरयान का स्वामी उस कर को संदाय करने के लिए दायी हो गया है जो ऐसे परिवहन यान को धारा 3 की उपधारा (1) के अधीन लागू है ।

(3) यदि ऐसी वापसी जिसके लिए उपधारा (2) के अधीन कोई हकदार हो गया है, वापसी के लिए आवेदन अपेक्षित सबूत के साथ किए जाने से एक भाग के भीतर नहीं की जाती है तो स्वामी वापसी की रकम पर ब्याज ऐसी दर से प्राप्त करने के लिए हकदार होगा, जो राज्य सरकार समय – समय पर, अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट करे ।

15. कर, शास्ति की ब्याज सहित वसूली – (1) जहां कोई स्वामी इस अधिनियम के अधीन शोध्य कर या शास्ति या दोनों का संदाय करने में असफल रहता है, वहाँ कराधान प्राधिकारी, राज्य सरकार को देय राशि के लिए, विहित प्ररूप में एक सूचना की तामील ऐसे स्वामी पर करेगा ।

(2) इस अधिनियम के अधीन कोई कर, शास्ति या ब्याज उसी रीति में बसूल किया जा सकेगा जिस रीति में भू-राजस्व की बकाया वसूल की जाती है ।

(3) कर, उस यान पर, जिसके कि संबंध में वह शोध्य है, साथ ही उसके उपसाधनों पर भी, प्रथम प्रभार होगा और ऐसे मोटरयान और उसके उपसाधनों को भू-राजस्व की बसूली से संबंधित समुचित विधि के अधीन, कर, शास्ति या ब्याज की वसूली के लिए कुर्क किया जा सकेगा तथा बेचा जा सकेगा ।

16. कर का संदाय न किए जाने की स्थिति में प्रवेश करने, किसी मोटरयान का अभिग्रहण करने या उसे निरूद्ध करने की शक्ति – (1) कराधान प्राधिकारी या राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत कोई अन्य अधिकारी, किसी भी मोटरयान में या ऐसे परिसर में, जहाँ कि उसे किसी मोटरयान के रखे होने का विश्वास करने का कारण हो, यह सत्यापित करने के प्रयोजन से कि क्या इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए किन्हीं नियमों के उपबंधों का अनुपालन किया जा रहा है, समस्त युक्तियुक्त समयों पर प्रवेश कर सकेगा और उसका निरीक्षण कर सकेगा :

परन्तु इस उपधारा के अधीन कोई भी अधिकारी मोटर साइकिलों और मोटरकारों के संबंध में प्राधिकृत नहीं किया जाएगा ।

(2) सार्वजनिक स्थान में मोटरयान चलाने वाला कोई भी व्यक्ति, कराधान प्राधिकारी द्वारा या राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी अधिकारी द्वारा वैसी अपेक्षा की जाने पर :-

(क) रजिस्ट्रीकरण प्रमाण-पत्र

(ख) कर का संदाय के साक्ष्य में टोकन; और

(ग) यान के उपयोग के संबंध में बीमा प्रमाण-पत्र

प्रस्तुत करेगा और उस यान को इतने समय तक के लिए खड़ा रखेगा जितना कि ऐसे प्राधिकारी द्वारा स्वयं का यह समाधान करने के लिए अपेक्षित किया जाए कि ऐसे मोटरयान के संबंध में कर का संदाय कर दिया गया है :

परन्तु परिवहन यानों से भिन्न किसी भी यान के संबंध में इस प्रकार अपेक्षित किए गए प्रमाणपत्रों के निरीक्षण के लिए ऐसी कालावधि के भीतर और ऐसी रीति से जैसा कि मोटरयान अधिनियम, 1988 की धारा 130 की उपधारा (4) के अधीन विहित किया जाए, प्रस्तुत किया जाएगा ।

(3) कराधान प्राधिकारी या राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत कोई अधिकारी यदि उसके पास यह विश्वास करने का कारण हो कि किसी मोटरयान का उपयोग, शोध्य कर, शास्ति या ब्याज का संदाय किए बिना, किया गया है या किया जा रहा है तो वह ऐसे मोटरयान को अधिग्रहीत कर सकेगा तथा उसे निरूद्ध कर सकेगा और इस प्रयोजन के लिए कोई भी ऐसी कार्यवाही कर सकेगा या करवा सकेगा जो ऐसे मोटरयान की अस्थायी सुरक्षित अभिरक्षा के लिए और शोघ्य कर की वसूली के लिए उचित समझी जावे ।

[(4) जहाँ उपधारा (3) के अधीन किसी मोटरयान को अभिग्रहीत तथा निरूद्ध कर लिया गया हो, वहाँ ऐसे यान का स्वामी या भारसाधक व्यक्ति कराधान प्राधिकारी या राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी अधिकारी को सुसंगत दस्तावेजों के साथ यान को निर्मुक्त करने के लिए आवेदन कर सकेगा और ऐसे प्राधिकारी या अधिकारी का ऐसे दस्तावेजों का सत्यापन के पश्चात् यह समाधान हो जाता है कि उस यान की बाबत कर की कोई रकम शोध्य नहीं है तो वह लिखित आदेश द्वारा ऐसे यान को निर्मुक्त का सकेगा ।]

[(5) जहाँ किसी मोटरयान को उपधारा (3) के अधीन अभिग्रहीत तथा निरूद्ध कर लिया गया हो, वहाँ अपराध का संज्ञान लेने वाला न्यायालय ऐसे यान को निर्मुक्त नहीं करेगा ।

(6) उपधारा (8) के उपबंधों के अध्यधीन रहते हुए, जहाँ कराधान प्राधिकारी का उपधारा (3) के अधीन यान के अभिग्रहण के बारे में रिपोर्ट प्राप्त होने पर यह समाधान हो जाता है कि स्वामी ने मोटरयान अधिनियम, 1988 की धारा 192क. के साथ पठित धारा 66 के अधीन अनुज्ञा-पत्र के बिना यान चलाने का अपराध किया है तो वह लिखित आदेश द्वारा अभिलिखित किये जाने वाले कारणों से उक्त उपधारा के अधीन अभिगृहीत यान का अधिहरण कर सकेगा । अधिकरण के आदेश की एक प्रति बिना किसी असम्यक् विलंब के परिवहन आयुक्त को अग्रेषित की जाएगी ।

(7) उपधारा (6) के अधीन यान के अधिहरण का कोई भी आदेश तब तक नहीं किया जाएगा जब तक कि कराधान प्राधिकारी :-

(क) उस अपराध जिसके कारण अभिग्रहण किया गया है, के विचारण की अधिकारिता रखने वाले मजिस्ट्रेट को यान के अधिहरण की कार्यवाही प्रारंभ करने के बारे में विहित प्ररूप में सूचना न भेज दे;

(ख) ऐसे व्यक्ति को, जिससे कि यान अभिग्रहीत किया गया है, तथा रजिस्ट्रीकृत स्वामी को, लिखित सुचना जारी न कर दे ;

(ग) खण्ड (ख) में निर्दिष्ट व्यक्तियों को ऐसे युक्तियुक्त समय के भीतर, जैसा कि सुचना में विनिर्दिष्ट किया जाए प्रस्तावित अधिहरण के विरूद्ध अभ्यावेदन करने का अवसर प्रदान न कर दे; और

(घ) अभिग्रहण करने वाले अधिकारी और ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों की जिनको कि खण्ड (ख) के अधीन सूचना जारी की गई है, ऐसी तारीख को, जो इस प्रयोजन के लिए नियत्त की जाए, सुनवाई न कर दे ।

(8) उपधारा (6) के अधीन किसी यान के अधिहरण का कोई आदेश नहीं किया जाएगा यदि उपधारा (7) के खण्ड (ख) में निर्दिष्ट कोई व्यक्ति, कराधान प्राधिकारी के समाधानप्रद रूप में यह साबित कर देता है कि ऐसा यान अधिनियम के अधीन अपेक्षित विधिमान्य दस्तावेजों के अधीन उपयोग में लाया गया था ।]

17. अपराध के दंड के लिए साधारण उपबंध – जो कोई इस अधिनियम या इसके बनाए गए किन्हीं नियमों के किसी उपबंध का उल्लंघन करेगा, प्रथम अपराध के लिए, जुर्माने से, जो एक सौ रूपये तक का हो सकेगा और किसी द्वितीय पश्चात्वर्ती अपराध के लिये जुर्माने से, जो तीन सौ रूपये तक का हो सकेगा, दण्डनीय होगा ।

18. अधिकारी लोक सेवक होंगे – इस अधिनियम के अधीन कार्य करने वाले समस्त अधिकारी भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (1860 का सं. 45) की धारा 21 के अर्थ के अन्तर्गत लोक सेवक समझे जाएंगे।

19. वाद या अन्य कार्यवाहियों का वर्जन – किसी भी ऐसे विषय की बाबत्, जिसके लिए इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए नियमों में उपबंध किया गया है, कोई भी वाद या उसके कार्यवाहियाँ किसी सिविल न्यायालय में नहीं होंगी और किसी भी लोक सेवक के विरूद्ध उसके द्वारा इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए किसी नियम के अधीन सद्भावपूर्वक किए गए या किए जाने के लिए आशयित किसी कार्य के संबंध में कोई अभियोजन, वाद या अन्य कार्यवाहियाँ नहीं होगी ।

20. अपील – कोई व्यक्ति:-

(क) जो कर उद्ग्रहण अथवा धारा 13 के अधीन अधिरोपित शास्ति के लिए किए गए किसी आदेश से व्यथित है, या

(ख) धारा 16 के अधीन किए गए मोटरयान के अभिग्रहण से व्यथित है, या

(ग) इस अधिनियम के अधीन पारित किसी आदेश से व्यथित है,

विहित समय के भीतर और विहित रीति में, विहित प्राधिकारी को अपील कर सकेगा, जो ऐसे व्यक्ति और ऐसे कराधान प्राधिकारी को सुनवाई का अवसर दिए जाने के पश्चात् उक्त अपील का निपटारा करेगा और उस पर किया गया विनिश्चय अंतिम होगा :

परन्तु कोई अपील तब तक ग्रहण नहीं की जाएगी जब तक कि उद्ग्रहीत कर और अधिरोपित शास्ति की रकम का, जिसके संबंध में वह अपील प्रस्तुत की गई है, संदाय न कर दिया गया हो ।

20-क. अधिहरण के आदेश के विरूद्ध अपील -- (1) अधिहरण के किसी आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति ऐसे आदेश के तीस दिन के भीतर या यदि ऐसे आदेश का तथ्य उसे संसूचित नहीं किया गया हो तो ऐसे आदेश की जानकारी होने की तारीख से तीस दिन के भीतर अपील प्राधिकारी को ऐसे प्ररूप में देय ऐसी फीस जैसी कि विहत की जाए तथा अधिहरण के आदेश की प्रामाणित प्रति के साथ लिखित में अपील कर सकेगा ।

स्पष्टीकरण – इस उपधारा में निर्दिष्ट तीस दिन की कालावधि की गणना करते समय अधिहरण के आदेश की प्रमाणित प्रति अभिप्राप्त करने के लिए अपेक्षित समय अपवर्जित कर दिया जाएगा ।

(2) अपील प्राधिकारी अपील दाखिल किए जाने की प्रज्ञापना लिखित रूप में कराधान प्राधिकारी को भेजेगा ।

(3) अपील प्राधिकारी, यदि आवश्यक हो तो अधिहृत यान की अभिरक्षा या उसके व्ययन के लिए अंतरिम प्रकृति का ऐसा आदेश पारित कर सकेगा जैसा कि मामले की परिस्थितियों में इसे न्याय संगत प्रतीत हो ।

(4) अपील की सुनवाई के लिए नियत तारीख को या ऐसी तारीख को, जिसको कि सुनवाई स्थगित की जाए, अपील प्राधिकारी अभिलेख का परिशीलन करेगा और अपील के पक्षकारों को, यदि वे स्वयं या उनके विधि व्यवसायी के माध्यम से उपस्थित हों, सुनेगा और उसके पश्चात् अधिहरण के आदेश के पुष्टिकरण, उलटाव या उपांतरण का आदेश पारित करने के लिए कार्यवाही करेगा ।

(5) अपील प्राधिकारी पारिणामिक स्वरूप के ऐसे आदेश भी पारित कर सकेगा जैसे कि वह आवश्यक समझे ।

(6) अंतिम आदेश या पारिणामिक स्वरूप के ऐसे आदेश की प्रति अनुपालन के लिए कराधान प्राधिकारी को भेजी जाएगी ।

20-ख. अपील प्राधिकारी के आदेश के विरूद्ध सेशन न्यायालय के समक्ष पुनरीक्षण -- (1) अधिहृत यान के संबंध में अपील प्राधिकारी द्वारा पारित अंतिम आदेश या पारिणामिक स्वरूप के आदेश के द्वारा यदि यान का स्वामी व्यथित है तो वह आदेश के, जिसे आपेक्षित किया जाना चाहा गया है, तीस दिन के भीतर विधि के प्रश्न पर उस सेशन न्यायालय को पुनरीक्षण के लिए याचिका प्रस्तुत कर सकेगा जिसके सेशन खण्ड के भीतर अपील प्राधिकारी का मुख्यालय स्थित है ।

स्पष्टीकरण – इस उपधारा के अधीन तीस दिन की कालावधि की गणना करने में अपील प्राधिकारी के आदेश की प्रमाणित प्रति अभिप्राप्त करने के लिए अपेक्षित समय अपवर्जित कर दिया जाएगा ।

(2) अपील प्राधिकारी द्वारा पारित किसी अंतिम आदेश या पारिणामिक स्वरूप के किसी आदेश की सेशन न्यायालय पुष्टि कर सकेगी, उसे उलट सकेगा या उपांतरित कर सकेगा ।

(3) पुनरीक्षण में पारित आदेश की प्रतियाँ अपील प्राधिकारी को तथा कराधान प्राधिकारी को अनुपालन के लिए अथवा ऐसी और कार्यवाही करने के लिए, जैसी कि ऐसे न्यायालय द्वारा निर्देशित की जाएँ, भेजी जाएंगी ।

(4) इस धारा के अधीन किसी पुनरीक्षण को ग्रहण करने, उसकी सुनवाई करने और उसका विनिश्चय करने के लिए सेशन न्यायालय, यथा शक्तयय उन्हींन शक्तियों का प्रयोग तथा उसी प्रक्रिया का अनुसरण करेगा जो दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का सं. 2) के अधीन पुनरीक्षण की सुनवाई करने तथा विनिश्चय करने के लिए विहित है ।

20-ग. कतिपय परिस्थितियों में न्यायालय की अधिकारिता का वर्जन -- इस अधिनियम या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अंतर्विष्ट किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी किन्तु धारा 20 - क की उपधारा (3) के उपबंधों के अध्यधीन रहते हुए (काराधान प्राधिकारी से भिन्न), किसी भी न्यायालय, अधिहरण या प्राधिकारी को किसी ऐसे याने के कब्जे, परिदान या व्ययन के बारे में कोई आदेश करने की अधिकारिता नहीं होगी जिसके कि संबंध में धारा 16 की उपधारा (6) के अधीन अधिहरण किए जाने की कार्यवाही शुरू की गई है ।

21. कर से छूट देने की राज्य सरकार की शक्ति -- [(1) राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा और ऐसे निर्बधनों और शर्तों के अध्यधीन रहते हुए, जैसी कि उसमें विनिर्दिष्ट की जाएँ, किन्हीं मोटरयानों या मोटरयानों के किसी वर्ग को, कर, शास्ति और व्याज के संदाय से पूर्णत: या भागत: छूट ऐसी तारीख से दे सकेगी जैसी कि अधिसूचना में विनिर्दिष्ट की जाए ।]

(2) इस धारा के अधीन जारी की गई कोई भी अधिसूचना किसी भी समय विखण्डित की जा सकेगी और ऐसे विखण्डन पर ऐसी अधिसूचना प्रवत्त नहीं रह जाएगी । किसी पूर्ववर्ती अधिसूचना को विखण्डित करने वाली किसी अधिसूचना का भविष्यलक्षी प्रभाव होगा ।

(3) उपधारा (1) के अधीन जारी की गई प्रत्येक अधिसूचना विधान सभा के पटल पर रखी जाएगी और मध्यप्रदेश साधारण खण्ड अधिनियम, 1957 (क्रमांक 3 सन् 1958) की धारा 24- क के उपबंध उसे उसी प्रकार लागू होंगे, जिस प्रकार कि वे किसी नियम को लागू होते हैं!

22. कर की मांग और वसूली के रजिस्टर का रखा जाना – प्रत्येक कराधान प्राधिकारी ऐसे रजिस्टर तथा अभिलेख रखेगा जो विहित किए जाएँ ।

23. अनुसूचियों को संशोधित करने की शक्ति – [(1) राज्य सरकार, अधिसूचना द्वारा, अनुसूचियों में विनिर्दिष्ट मदों तथा कर की दरों को संशोधित कर सकेगी और तदुपरि उक्त अनुसूचियाँ तद्नुसार संशोधित जो जाएंगी:

परंतु इस उपधारा के अधीन कोई भी अधिसूचना राजपत्र में ऐसी अधिसूचना जारी किये जाने के अपने आशय की ऐसी पूर्व सूचना दिये बिना जारी नहीं की जाएगी जैसी कि राज्य सरकार युक्तियुक्त समझे।]

(2) उपधारा (1) के अधीन जारी की गई प्रत्येक अधिसूचना, उसके जारी किए जाने के पश्चात् यथाशक्य शीघ्र विधानसभा के पटल पर रखी जाएगी और मध्यप्रदेश साधारण खण्ड अधिनियम, 1957 (क्रमांक 3 सन् 1958) की धारा 24- क के उपबंध को उसी प्रकार लागू होगें जिस प्रकार के किसी नियम को लागू होते हैं ।

24. नियम बनाने की शक्ति -- (1) सरकार, इस अधिनियम के उपबंधों को कार्यांवित करने के प्रयोजन के लिए नियम बना सकेगी ।

(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्तियों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ऐसे नियमों में निम्नलिखित समस्त या उनमें से किसी विषय के लिए उपबंध हो सकेंगे, अर्थात:-

[(क) धारा 8 की उपधारा (1) या (2) के अधीन घोषणा का प्ररूप तथा वह समय जिसके भीतर घोषणा फाइल की जाएगी तथा धारा 8 की उपधारा (3) या (4) के अधीन वह प्ररूप तथा जिसमें तथा वह समय जिसके भीतर कर के अवधारण की सूचना दी जाएगी;]

(ख) वह रीति जिसमें धारा 10 के अधीन कर का संदाय किया जाएगा;

(ग) उस टोकन का प्ररूप जो धारा 12 की उपधारा (1) के खण्ड (क) के अधीन प्रदान किया जाएगा;

[(घ) ***]

[(ङ) ***]

(च) वह प्ररूप तथा रीति जिसमें वे दरें, जिन पर और वे शर्ते जिनके अधीन रहते हुए उपधारा (1) के अधीन वापसी की जाएगी तथा धारा 14 की उपधारा (3) के अधीन देय ब्याज की दर;

(छ) वह प्ररूप जिसमें धारा 15 की उपधारा (1) के अधीन सूचना की तामील की जाएगी;

(छ-एक) धारा 16 की उपधारा (7) के खण्ड (क) के अधीन मजिस्ट्रेट की प्रज्ञापना का प्ररूप;

(ज) वह समय जिसके भीतर, वह रीति जिसमें और वह प्राधिकारी जिसको धारा 20 के अधीन अपील प्रस्तुत की जा सकेगी;

(झ) वह रीति जिसमें धारा 22 के अधीन रजिस्टर रखा जाएगा;

(ञ) कोई अन्य विषय जो विहित किया जाना हो या जो विहित किया जाए ।

25. कठिनाइयाँ दूर करने की शक्ति - - (1) यदि इस अधिनियम के उपबंधों को प्रभावशील करने में कोई कठिनाई उद्भूत होती है तो राज्य सरकार, राजपत्र में प्रकाशित आदेश द्वारा इस अधिनियम के उपबंधों से असंगत न होने वाले ऐसे उपबंध कर सकेगी जो इस कठिनाई को दूर करने के लिए उसे आवश्यक या समीचीन प्रतीत हों ।

(2) इस धारा के अधीन किया गया प्रत्येक आदेश, उसके किए जाने के पश्चात् यथाशक्य शीघ्र विधान सभा के पटल पर रखा जाएगा ।

26. निरसन और व्यावृत्ति - - (1) मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान अधिनियम, 1947 (क्रमांक 6 सन् 1947) और मध्यप्रदेश मोटरयान (माल कराधान) अधिनियम, 1962 (क्रमांक 19 सन् 1962) (जो इस धारा में) इसके पश्चात् निरसित अधिनियमितियों के नाम से निर्दिष्ट हैं) एतद्द्वारा निरस्त किए जातें हैं ।

(2) उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट अधिनियमों के निरसन के होते हुए भी उन निरसित अधिनियमितियों के अधीन जारी की गई अधिसूचना, नियम, आदेश, सूचना जारी किया गया प्रमाण-पत्र या टोकन, या की गई कोई नियुक्ति या घोषणा या प्रदान की गई कोई छूट या किया गया कोई समपहरण्, रद्दकरण या की गई कोई अन्य बात या की गई कोई अन्य कार्यवाही जो ऐसे प्रारंभ के ठीक पूर्व प्रवृत्त हों, जहाँ तक कि वह इस अधिनियम के उपबंधों से असंगत न हो, इस अधिनियम के तत्स्थानी, उपबंधों के अधीन जारी किए गए, की गई, प्रदान किए गए या की गई समझी जाएगी ।

प्रथम अनुसूची

[धारा 3 की उपधारा (1)]

क्रमांक    मोटरयान का वर्ग     मोटरयानों के लिये तिमाही कर की दर

एक.  मोटर साइकिल - - जिसकी लदान रहित वजन –    रूपये

(क) 70 किलोग्राम से अधिक नहीं है       18.00

(ख) 70 किलोग्राम से अधिक है जिनका उपयोग चाहे       28.00

अनयान (ट्रेलर) खींचने (ड्राइंग) के लिए किया जाता है या नहीं

दो. मोटरकार - -जिसका लदान रहित वजन –

(क) 800 किलोग्राम से अधिक नहीं है ।    64.00

(ख) 800 किलोग्राम से अधिक किन्तु 1600 किलोग्राम से अधिक नहीं है ।    94.00

(ग)1600 किलोग्राम से अधिक किन्तु 2400 किलोग्राम से अधिक नहीं है ।    112.00

(घ)2400 किलोग्राम से अधिक किन्तु 3200 किलोग्राम से अधिक नहीं है।    132.00

(ङ)3200 किलोग्राम से अधिक है ।प्रत्येक अनुयान (ट्रेलर) के लिए लदान रहित वजन:-    150.00

(क) 1000 किलोग्राम से अधिक नहीं है ।    28.00

(ख) 1000 किलोग्राम से अधिक है ।    66.00

तीन. अशक्त यात्री गाड़ी:     9.00

चार. लोक सेवा यान:

किराये या परिश्रमिक (रिवार्ड) के लिए चलाए जा रहे तथा यात्रियों के परिवहन के उपयोग में लाए जा रहे मोटरयान-     रू. 40.00 प्रति सीट प्रतितिमाही

[(क) तीन से अनधिक यात्रियों को ले जाने के लिए अनुज्ञात यान (मोटर साइकिल/ ऑटोरिक्शा)     रू. 150.00 प्रतिसीट प्रति तिमाही या निम्नलिखित दर पर जीवन- काल-कर - -

[(ख) तीन से अधिक किन्तु छह से अनधिक यात्रियों को ले जाने के लिए अनुज्ञात यान (चालक को छोड़कर)    (एक) नये यान के मूल्य (कास्ट) का 7 प्रतिशत ।

                (दो) अन्य यानों के मूल्य (कास्ट) का 2 प्रतिशत जिसका जीवन काल कर पूर्व में ही जमा कर दिया गया हो।]

[(ग)तीन से अधिक यात्रियों को ले जाने तथा शहर मार्गो पर/ उससे लगे हुए क्षेत्रों पर जैसा कि राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाए मंजिली गाड़ी (स्टेज कैरिज) ठेका गाड़ी (कॉन्ट्रेक्ट कैरिज) के रूप मे चलाये जाने के लिये अनुज्ञात यान - -

(एक) एक्सप्रेस सेवा के रूप में चलाने के लिये अनुज्ञात यान की बाबत्         रू.80/- प्रति सीट, प्रति तिमाही

(दो) साधारण सेवा के रूप में चलाने के लिये अनुज्ञात यान की बाबत्          रू.60/- प्रति सीट, प्रति तिमाही

[(घ) छह से अधिक यात्रियों को ले जाने अनुज्ञात तथा शहर मार्गो से भिन्न मार्गो पर मंजिली गाड़ी के रूप में चलाये जाने के लिये अनुज्ञात यान - -

(1) वातानुकूलित सेवा या डीलक्स या एक्सप्रेस सेवा के रूप में चलाने के लिए अनुज्ञात यान की बाबत ऐसे प्रत्येक यात्री के लिए जिसे ले जाने के लिए यान अनुज्ञात किया गया है और जहाँ एक दिन में यान द्वारा तय की जाने वाली अनुज्ञात कुल दूरी :-

[(एक) 100 कि.मी. से अनधिक –

(क) वातानुकूलित/ डीलक्स सेवा के लिए        रू. 250.00प्रतिसीट प्रतिमास

(ख) एक्सप्रेस सेवा के लिए        रू.200.00 प्रतिसीट प्रतिमाह

(दो) उसके पश्चात् प्रत्येक 10 कि.मी. या उसके भाग के लिये—

(क)वातानुकूलित/डीलक्स सेवा के लिए        रू.20.00 पतिसीट प्रतिमाह

(ख) एक्सप्रेस सेवा के लिए        रू.15.00 प्रति सीट प्रतिमाह

(2) साधारण सेवा के रूप में चलाने के लिए अनुज्ञात यानों की बाबत ऐसे प्रत्येक यात्री के लिए जिसे ले जाने के लिए यान अनुज्ञात किया गया है और जहाँ एक दिन मे यान द्वारा तय की जाने वाली अनुज्ञात कुल दूरी:-;      रू. 160.00प्रतिसीट प्रतिमास

[(एक) 100 कि. मी. से अनधिक;     ;     

(दो) उसके पश्चात् प्रत्येक 10 कि.मी या उसके भाग के लिए;     ;     रू. 10.00 प्रतिसीट प्रतिमास ]

स्पष्टीकरण - -

1.प्रमुख मार्ग - - प्रमुख मार्ग से अभिप्राय ऐसे मार्गो से है जो शासन द्वारा शासन के प्रधिकृत प्राधिकारी द्वारा समय-समय पर अधिसूचित किये जावें ।

2. साधारण मार्ग- - साधारण मार्ग से अभिप्राय ऐसे मार्गो से है जिसमें प्रमुख मार्ग एवं दूरस्थ मार्ग समावेशित न हों ।

3. दूरस्थ मार्ग - - दूरस्थ मार्ग से अभिप्राय ऐसे मार्ग से है जो किसी ग्राम को नगर निगम, नगरपालिका अथवा नगर पंचायत में से किसी एक को जोड़ते हों तथा एकल फेरे में नगर निगम, नगरपालिका या नगर पंचायत एक बार से अधिक न आयें ।

4. उक्त श्रेणी के मार्गो में से किसी एक मार्ग का प्रचालक दूसरे मार्ग पर अधिकतम 25 कि.मी.तक संचालन इस शर्त के साथ कर सकता है उसके द्वारा संचालित मूल मार्ग दूरी छूट सीमा से दो गुनी हो।

5. दूरस्थ श्रेणी के मार्ग का प्रचालक यदि साधारण श्रेणी के मार्गो के भाग पर 25 कि.मी.की निर्धारित सीमा से अधिक प्रचालन करता है तो उस स्थिति में ऐसे प्रचालक को उच्च श्रेणी के मार्ग जैसी भी स्थिति हो, के लिये देय मोटरयान कर की दर से कर संदेय होगा । इसी प्रकार साधारण श्रेणी के मार्ग का प्रचालक यदि प्रमुख श्रेणी के मार्ग के भाग पर 25 कि. मी.की निर्धारित सीमा से अधिक प्रचालन करता है तो उस स्थिति में ऐसे प्रचालक को उच्च श्रेणी के मार्ग के लिये देय मोटरयान कर की दर से संदेय होगा।

(3) वातानुकूलित/ डीलक्स या एक्सप्रेस सेवा के रूप में चलाने के लिए अनुज्ञात अन्य राज्य के यानों बाबत ऐसे प्रत्येक यात्री के लिए, जिसे ले जाने के लिए वह यान अनुज्ञात किया गया है तथा जहाँ अनुज्ञापत्र:-

[(एक) किसी पारस्परिक करार के अधीन- -

(क)वातानुकूलित/डीलक्स सेवा के लिए

(ख) एक्सप्रेस सेवा के लिए

(दो) पारस्परिक करार के बिना - -

(क)वातानुकूलित/डीलक्स सेवा के लिए

(ख) एक्सप्रेस सेवा के लिए

(4) साधारण सेवा के रूप में चलाने के लिए अनुज्ञात अन्य राज्य के यानों की बाबत, ऐसे प्रत्येक यात्री के लिए जिसे ले जाने के लिए यान अनुज्ञात किया गया है तथा जहाँ अनुज्ञापत्र –

[(एक) किसी पारस्परिक करार के अधीन

(दो) पारस्परिक करार के बिना - -

(ङ) ऐसे यान जो छह से अधिक यात्रियों को ले जाने के लिए अनुज्ञात है, और जो परिवहन/ आरक्षित परिवहन यान के रूप में उपयोग में लाये जाने के लिए रखे गए हैं - -

(एक) वातानुकूलित/डीलक्स बस के लिए

(दो) एक्सप्रेस/डीलक्स बस के लिए

(तीन) साधारण बस के लिए

(च) ठेका गाड़ी (कांट्रेकट कैरेज)

1) ऐसे यान, जो छह से अधिक यात्रियों को ले जाने के लिए अनुज्ञात हैं, और जो मोटरयान अधिनियम, 1988 की धारा 88 की उपधारा (9) के अधीन मध्यप्रदेश राज्य द्वारा जारी किए गए “आल इंडिया टूरिस्ट परमिट के अन्तर्गत ठेकागाड़ी के रूप में चलाये जा रहे हैं,

(क) 6 से अधिक तथा 12 तक (चालक को छोड़कर) बैठक क्षमता वाले मैक्सी कैब यान के लिए

(ख) 12 से अधिक सीटों (चालक को छोड़कर) वाले यानों के लिये

[(2) ऐसे यान, जो छह से अधिक यात्रियों को ले जानेके लिए अनुज्ञात हैं और राज्य के भीतर ठेका गाड़ी के रूप में चलाए जा रहे हैं (चालक को छोड़कर) प्रत्येक सीट के लिए जिसे ले जाने के लिए वह यान अनुज्ञात है –

(एक) 6 से अधिक तथा 12 तक (चालक को छोड़कर)बैठक क्षमता वाले मैक्सी कैब यान के लिए

(दो) 12 से अधिक (चालक को छोड़कर) बैठक क्षमता के यान के लिए –

(क) साधारण बस के लिए

(ख) वातानुकूलित/ डीलक्स बस के लिए

[(3) ऐसे यान, जो छह से अधिक यात्रियों को ले जाने के लिए अनुज्ञात हैं, और जो मोटरयान अधिनियम, 1988 की धारा 88 की उपधारा (9) के अधीन अन्य राज्यों द्वारा जारी किए गए “आल इण्डिया टूरिस्ट परमिट” के अन्तर्गत ठेका गाड़ी के रूप में चलाए जा रहे हैं, प्रत्येक सीट (चालक को छोड़कर) के लिए जिसको ले जाने केलिए यान अनुज्ञात है, जब तक यान मध्यप्रदेश में रहता है –

(एक) वातानुकूलित यान के लिए

(दो) गैर वातानुकूलित यान के लिए

(4) ऐसे यान, जो छह से अधिक यात्रियों को ले जाने के लिए अनुज्ञात हैं जो मोटरयान अधिनियम, 1988 की धारा 88 की उप धारा (8) के अधीन अन्य राज्यों द्वारा मंजूर किए गए ऐसे विशेष अनुज्ञापत्र पर ठेकागाड़ी के रूप में चलाए जा रहे हैं प्रत्येक सीट (चालक को छोड़कर) के लिए जिसको ले जाने के लिए वह यान अनुज्ञात है, जब तक यान मध्यप्रदेश में रहता है –

(एक) वातानुकूलित यान के लिए

(दो) गैर वातानुकूलित यान के लिए

[(4-क) ऐसे यान, जो तीन से अधिक किन्तुल छह से अनधिक यात्रियों को ले जाने के लिए अनुज्ञात हैं जो मोटरयान अधिनियम, 1988 की धारा 88 की उपधारा (8) तथा (9) के अधीन अन्य राज्यों द्वारा दिये गए ऐसे अनुज्ञापत्र या “ऑल इंण्डिया टूरिस्ट परमिट” पर ठेकागाड़ी के रूप में चलाए जा रहे हैं प्रत्येक सीट, चालक को छोड़कर जिसको ले जाने के लिए वह यान अनुज्ञात है, जब तक यान मध्यप्रदेश में रहता है

(एक) वातानुकूलित यान के लिए

(दो) गैर वातानुकूलित यान के लिए

(5) ऐसे यान, जो छह से अधिक यात्रियों को ले जाने के लिए अनुज्ञात हैं, और जो मोटरयानअधिनियम, 1988 की धारा 88 की उपधारा (8) के अधीन मध्यप्रदेश राज्य द्वारा मंजूर किए गए विशेष अनुज्ञापत्र पर ठेकागाड़ी के रूप में चलाए जा रहे हैं (चालक को छोड़कर) प्रत्येक सीट के लिए जिसे ले जाने के लिए वह यान अनुज्ञात है –

(6) ऐसे यान, जो छह से अधिक यात्रियों को ले जाने के लिए अनुज्ञात हैं और जो मोटरयान अधिनियम, 1988 की धारा 87 की उपधारा (1) के खण्ड (क) के अधीन मंजूर किये गये अस्थाई अनुज्ञापत्र पर ठेकागाड़ी के रूप में चलाए जा रहे हैं, (चालक को छोड़कर) प्रति सीट के लिए, जिसे ले जाने के लिए वह यान अनुज्ञात है

[(7) ऐसे यान, जो छह से अधिक यात्रियों को ले जाने के लिए अनुज्ञात हैं और जो मोटरयान अधिनियम, 1988 की धारा 87 की उपधारा (1) के खण्ड (क) के अधीन अन्य राज्य द्वारा मंजूर किए गए अस्थाई अनुज्ञानपत्र पर ठेका गाड़ी के रूप में चलाए जा रहे हैं (चालक को छोड़कर) प्रति सीट के लिए,जिसे जो ले जाने के लिए वह यान अनुज्ञात है

(एक) साधारण बस के लिये

(दो) वातानुकूलित/ डीलक्स बस के लिये

[(8)”ग्रामीण सेवा यान” से अभिप्रेत है कि ऐसे यान जिनकी बैठक क्षमता चालक एवं परिचालक को छोड़कर 6 से 21 यात्रियों की है तथा जो राज्य के कराधान प्राधिकारी द्वारा मोटरयान अधिनियम, 1988(1988 का 59) की धारा 72 या 87 के अधीन मंजूर किए गए अनुज्ञा- पत्र के अधीन केवल “ग्रामीण मार्ग” पर अनन्यरूप से प्रक्रम मंजिली गाड़ी के रूप में चलाए जा रहे हैं, चालक तथा परिचालक को छोड़कर प्रतिसीट के लिए वह यान अनुज्ञात किया गया है ।

[(छ) बिना अनुज्ञापत्र के चलाए जा रहे मोटरयान,

(क) 12 यात्रियों तक को ले जाने के लिये अनुज्ञात यान (चालक को छोड़कर)

(ख) 12 से अधिक यात्रियों को ले जाने के लिये अनुज्ञात यान (चालक को छोड़कर)

स्पष्टीकरण (1) - - यान में, ले जाने के लिए अनुज्ञात यात्रियों की संख्या जिसमें ऐसे यान के चालक तथा परिचालक सम्मिलित नहीं होंगे, और :-

(एक) किसी मोटरयान की दशा में, जिसके संबंध में मोटरयान अधिनियम, 1988 के अधीन अनुज्ञा पत्र मंजूर किया गया है, यात्रियों की संख्या उतनी होगी जितनी कि मोटरयान में ले जाने के लिए अनुज्ञापत्र द्वारा प्राधिकृत हैं ।

(दो) मोटरयान अधिनियम, 1988 के अधीन मंजूर किए गए अनुज्ञापत्र के बिना किराए या पारिश्रमिक पर चलाए जा रहे किसी मोटरयान की दशा में, व्यक्तियों अथवा यात्रियों की अधिकतम वह संख्या होगी जो यदि अनुज्ञापत्र पूर्वोक्त अधिनियम के अधीन मंजूर किया जाता तो यान में ले जाने के लिए अनुज्ञात की जाती :

परंतु किसी ऐसी मोटर केब या मोटरकार की दशा में, जिसका कि मंजिली गाड़ी के रूप में दुरूपयोग किया गया है, यात्रियों की संख्या वही होगी जो ऐसे दुरूपयोग के समय वस्तुत: ले जा गए व्यक्तियों या यात्रियों की संख्या है ।

स्पष्टीकरण (2) - - मद (ग) (एक) तथा (घ) (एक) के प्रयोजनों के लिए “एक्सप्रेस सेवा” से अभिप्रेत है ऐसी सेवा जो परिवहन प्राधिकारी द्वारा उस रूप में चलाए जाने केलिए अनुज्ञात की गई हैं। स्पष्टीकरण (3) - - किसी यान द्वारा एक दिन में तय की जाने वाली अनुज्ञात दूरी किसी ऐसे मोटरयान की दशा में, जिसके कि संबंध में मोटरयान अधिनियम, 1988 के अधीन अनुज्ञापत्र मंजूर किया गया है, वह दूरी होगी जो [मध्यप्रदेश मे अनुज्ञापत्र के अनुसार] तय की जाने के लिए प्राधिकृत की गई है।

स्पष्टीकरण (4)- - जहाँ मध्यप्रदेश सरकार और किसी अन्य राज्य की सरकार के बीच के किसी कारार के अनुसरण में,किसी ऐसी मंजिली गाड़ी के संबंध में, जो किसी ऐसे मार्ग पर चलाई जा रही है जो भागत: मध्यप्रदेश में और भागत: किसी अन्य राज्य में आता है, कर केवल मध्यप्रदेश सरकार को ही देय है वहाँ ऐसे यान के संबंध में कर की संगणना, ऐसी मंजिली गाड़ी द्वारा मध्यप्रदेश राज्य में ऐसे मार्ग पर तय की गई कुल दूरी पर की जायगी ।

स्पष्टीकरण (5)- - जहाँ किसी मंजिली गाड़ी में परिचालक को ले जाने से छूट दी गई वहाँ स्पष्टीकरण (1) में आने वाले शब्द “चालक तथा परिचालक”का अर्थ केवल “चालक” लगाया जाएगा ।

[ स्पष्टीकरण (6) - - खण्ड (ङ) के प्रयोजन के लिए, मंजिली गाड़ी सेवा के अनुज्ञापत्र धारक की मंजिली गाड़ियों/ अतिरिक्त बसों की संख्या उस अन्तर के बराबर होगी, जो स्वामित्व के कुल यानों की संख्या तथा उसके द्वारा धारित अनुज्ञापत्र की शर्तो के अनुसार अपेक्षित कुल यानों की संख्या के बीच हो ।

स्पष्टीकरण (7) - - खण्ड (छ) में के शब्द“बिना अनुज्ञापत्र के चलाए जा रहे” के अंतर्गत आता है किसी अप्राधिकृत मार्ग पर किसी लोक सेवा यान का चलाया जाना या मोटरयान अधिनियम, 1988 के अधीन मंजूर किए गए अनुज्ञा पत्र द्वारा प्राधिकृत न की गई कोई ट्रिप करना, किन्तु उसके अंतर्गत किसी लोक सेवा यान का 3[***]मोटरयान अधिनियम, 1988 की धारा 66 की उपधारा (3) में अधिकथित परिस्थितियों के अधीन चलाया जाना नहीं आता है ।

स्पष्टीकरण (8) - - खण्ड (छ) के अधीन उदग्रहणीय कर का संदाय निम्नलिखित बातों के होते हुए भी किया जाएगा :-

(1) चाहे मोटरयान के स्वामी का अभियोजन किया गया हो या नहीं, और

(2) जहाँ मोटरयान बिना अनुज्ञापत्र के चलाए जाने या अप्राधिकृत मार्ग पर चलाए जाने या उसके द्वारा अप्राधिकृत ट्रिप जाने के लिए चालान फाइल किए जाने के पश्चात् चाहे दाण्डिक कार्यवाहियाँ समाप्त हो गई हों या नहीं हुई हों ।]

[स्पष्टीकरण (9) - - मंजिली गाड़ी सेवा अनुज्ञापत्र के धारक द्वारा ऐसे अनुज्ञापत्र पर चलाने के लिए प्राधिकृत बसों की बाबत् देय कर :-

(एक) बसों की ऐसी संख्या के लिए जो धारित पत्रों के अंतर्गत आने वाले समस्त मार्गो पर किसी भी दिन सेवा बनाए रखने हेतु चलाने के लिए अपेक्षित हो, उप-मद (घ) के अधीन, तथा

(दो) बसों की शेष संख्या के बाबत उप-मद (ङ) के अधीन, ऐसी बसों की औसत बैठने की क्षमता के आधार पर संगणित किया जाएगा ।]

पाँच. मालयान –

[(क) जिसका रजिस्ट्रीकृत लदान वजन - -

(एक) 2000 किलोग्राम से अधिक नहीं है ।      रूपये 600.00 प्रति तिमाही।

(दो) 2000 किलोग्राम से अधिक है किन्तु 4000 किलोग्राम से अधिक नहीं है ।       रूपयें 900.00 प्रति तिमाही।

(तीन) 4000 किलोग्राम से अधिक है किन्तु 6000 किलोग्राम से अधिक नहीं है ।      रूपये 1300.00 प्रति तिमाही।

(चार) 6000 किलोग्राम से अधिक है किन्तु 8000 कि.ग्रा से अधिक नहीं है।      रूपये 1700.00 प्रति तिमाही।

(पांच) 8000 किलोग्राम से अधिक है किन्तु 10000 कि.ग्रा से अधिक नहीं है।      रूपये 2100.00 प्रति तिमाहीं।

(छह) 100000 किलोग्राम से अधिक है किन्तु 12000 किलोग्राम से अधिक नहीं है ।      रूपये 2500.00 प्रति तिमाहीं।

(सात) 12000 किलोग्राम से अधिक है किन्तु 14000 किलोग्राम से अधिक नहीं है ।      रूपये 2900.00 प्रति तिमाहीं।

(आठ) 14000 किलोग्राम से अधिक है किन्तु 16000 किलोग्राम से अधिक नहीं है ।      रूपये 3300.00 प्रति तिमाहीं ।

(नौ) 16000 किलोग्राम से अधिक है किन्तु 18000 किलोग्राम से अधिक नहीं है ।      रूपये 3700.00 प्रति तिमाहीं।

(दस) और तत्पश्चात् प्रत्येक अतिरिक्त 2000 किलोग्राम या उसके भाग के लिए ।      रूपये 500.00 प्रति तिमाहीं।

(ख) मोटरयान अधिनियम, 1988 की धारा 88 की उपधारा (12) की अधीन किसी अन्य राज्य द्वारा मंजूर किए गए नेशनल परमिट के अन्तर्गत आने वाले मालयानों के संबंध में कर [रूपए 5000] प्रतियान प्रतिवर्ष होगा।

(ग) अन्य राज्यों के मालयानों के संबंध में जो अन्य राज्य द्वारा जारी किए गए और मध्यप्रदेश राज्य द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित अनुज्ञापत्रों के अधिकार पर चल रहे हैं, कर का संदाय, खण्ड पाँच के उपखण्ड (क) में तिमाही के लिए विनिर्दिष्ट कर के [पिच्यासी प्रतिशत] की दर से किया जाएगा।

(घ) अन्य राज्यों के मालयानों के संबंध में, जो एक मास से अनधिक कालावधि के लिए अस्थायी अनुज्ञापत्र के अधीन मध्यप्रदेश राज्य में चल रहें हैं, कर की दर, (खण्ड पाँच) के उपखण्ड (क) में विनिर्दिष्ट तिमाही के लिए देय कर की एक तिहाई होगी ।

[छह. ओमनी बस निजी उपयोग के लिए]-

छह से अधिक व्यक्तियों (चालक को छोड़कर) के बैठने की क्षमता वाले और व्यक्तियों के परिवहन के लिए उपयोग में लाए जाने वाले मोटरयान की प्रत्येक सीट के लिये –

(क) जिसकी रजिस्ट्रीकृत बैठक क्षमता (चालक को छोड़कर) 12 तक है।

(ख) जिसकी रजिस्ट्रीकृत बैठक क्षमता (चालक को छोड़कर) 12 से अधिक है।

रू. 100.00 प्रतिसीट प्रति तिमाही।

रू. 350.00 प्रतिसीट प्रति तिमाही।]

[सात. प्राइवेट सेवा यान –

चालक को छोड़कर छह से अधिक व्यक्तियों के बैठने की क्षमता वाले और साधारणत: ऐसे यान के स्वामी द्वारा या उसकी और से उसके अपने व्यापार या कारबार के लिए उसके संबंध में व्यक्तियों को किराये अथवा पारितोषिक पर न होकर अन्यथा ले जाने के प्रयोजन के लिए उपयोग में जाए जाने वाले प्राइवेट सेवा यान - -

[(एक) जहाँ कि यान स्वामी के नाम से रजिस्ट्रीकृत है        रू.450.00 प्रतिसीट प्रति तिमाही।

[(दो) जहाँ कि यान स्वामी द्वारा पट्टा करार के अधीन भाड़े पर अर्जित किया गया है।       रू.600.00 प्रतिसीट प्रति तिमाही।]

आठ. शैक्षणिक संस्था बस –

चालक को छोड़कर छह व्यक्यिों से अधिक बैठने की क्षमता वाली शैक्षणिक संस्था बस जो साधारणतया किसी महाविद्ययालय, स्कूल या अन्य शैक्षणिक संस्था या उसकी ओर से उपयोग मे लाई जाती है और जिसका उपयोग संस्था के क्रियाकलापों में से किसी क्रियाकलाप के संबंध में विद्यार्थियों या शैक्षणिक संस्था के कर्मचारीवृन्द के परिवहन के लिए ही किया जाता है । रू. 30.00 प्रतिसीट।

[नौ. इस अनुसूची के विनिर्दिष्ट यानों के वर्ग में से किसी वर्ग के अंनर्गत न जाने वाले ऐसे समस्त अन्य मोटरयान

जिसका लदान रहित वजन –

(एक) 1000 किलाग्राम से अधिक नहीं है ।      रूपये 152.00 प्रति तिमाही ।

(दो)1000 किलोग्राम से अधिक है किंतु 2000 किलोग्राम से अधिक नहीं है ।      रूपये 200.00 प्रति तिमाही ।

(तीन) 2000 किलोग्राम से अधिक है किन्तु 3000 किलोग्राम से अधिक नहीं है ।      रूपये 290.00 प्रति तिमाही।

(चार) 3000 किलोग्राम से अधिक है किन्तु 4000 किलोग्राम से अधिक नहीं है ।      रूपये 382.00 प्रति तिमाही।

(पाँच) 4000 किलोग्राम से अधिक है किन्तु 5000 किलोग्राम से अधिक नहीं है ।       रूपये 527.00 प्रति तिमाही।

(छह) 5000 किलोग्राम से अधिक है किन्तु 6000 किलोग्राम से अधिक नहीं है ।      रूपये 690.00 प्रति तिमाही।

(सात) 6000 किलोग्राम से अधिक है किन्तु 7000 किलोग्राम से अधिक नहीं है ।      रूपये 871.00 प्रति तिमाही।

(आठ) और तत्पश्चात् प्रत्येक अतिरिक्त 1000 किलोग्राम से या उसके भाग के लिये      रूपये 254.00 प्रति तिमाही।

(नौ) प्रत्येक अनुयान (ट्रेलर) के लिए कर           रूपये 73.00 प्रति तिमाही।

[(दस) ऐसे यान, को क्रेन, क्रेशर, बुलडोजर, डम्पर, लोडर ट्रक, पेलोडर, अर्धमूवर, मोटर ग्रेडर, यांत्रिक फावड़ा (मैकेनिक शोबल) तथा हार्बेस्टर के नाम से आशयित हैं, और जिनका लदान रहित भार ---

(एक) 700 कि.ग्रा. से अधिक नहीं है             रू. 3700/- प्रति तिमाहीv

(दो)और तत्पश्चात प्रत्येक 1000 कि. ग्रा. या उसके भाग के लिए              रू. 500/- प्रति तिमाहीv

टिप्पणी - - (1) इस अनुसूची में विनिर्दिष्ट की गई कर की दरें, संबंधित वर्ग के मोटरयानों को तभी लागू होगी जब उनमें हवादार (न्यूमेटिक) टायर लगे हुए हों ।

(2) गैर हवादार (न्यूमेटिक) टायर लगे हुए किसी मोटरयान की बाबत कर की दरे उसी वर्ग के हवादार (न्यूमेटिक) टायर लगे हुए यान के लिए विनिर्दिष्ट की गई दरों का डेढ़ गुना होंगी ।]

द्वितीय अनुसूची

[धारा 3 की उपधारा (1) का प्रथम परंतुक]

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मोटरयानों का वर्णन       जीवन ;    काल कर की दर

 (1)            (2)

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1[1. संलग्नकों (अटैचमेंट) सहित या रहित मोटर साइकलें

जिनका लदान रहित वजन -

(एक) 70 किलोग्राम से अधिक नहीं है ।        यान के मूल्य (कास्ट) का [7 प्रतिशत]

(दो) 70 किलोग्राम से अधिक है ।        यान के मूल्य (कास्ट) का [ 7 प्रतिशत]

2. मोटर कारें

जिनका लदान रहित वजन –

(एक) 800 किलोग्राम से अधिक नहीं है ।       यान के मूल्य का [7 प्रतिशत]

(दो) 800 किलोग्राम से अधिक है ।       यान के मूल्य का [7 प्रतिशत]

1600 किलोग्राम से अधिक नहीं है ।

(तीन) 1600 किलोग्राम से अधिक है ।      यान के मूल्य का [7 प्रतिशत]

किन्तु 2400 किलोग्राम से अधिक नहीं है ।

(चार) 2400 किलोग्राम से अधिक नहीं है ।      यान के मूल्य का [7 प्रतिशत]

किन्तु 3200 किलोग्राम से अधिक नहीं है ।

(पाँच) 3200 किलोग्राम से अधिक है ।       यान के मूल्य का [7 प्रतिशत ]

स्पष्टीकरण --(1) यान का मूल्य (कास्ट) से अभिप्रेत है व्यापारी द्वारा वसूल किया गया मूल्य (कास्ट)।

(2) उपरोक्त वर्ग के यानों के मूल्य (कास्ट) के आधार पर जीवन- काल-कर की संगणना करने के लिए, यान के स्वामी से यह अपेक्षा की जाएगी कि वह रजिस्ट्रीकरण के समय व्यापारी द्वारा जारी की गई विक्रय रसीद प्रस्तुत करे ।]

[3. निजी उपयोग के लिए रजिस्ट्रीकृत ओमनी बस जिसकी बैठक क्षमता 6 से अधिक तथा 12 तक (चालक को छोड़कर) है । यान के मूल्य (कास्ट) का 7 प्रतिशत]

[4. अशक्त यात्री गाड़ी      360]

[5. 3+1 तक की बैठक की क्षमता वाले ऑटोरिक्शा ।      बाजार मूल्य का 6 प्रतिशत ।]

[6. क्रेन, क्रेशर, बुलडोजर, ट्रक, लोडर ट्रक, अर्थमूवर/ पेलोडर, मोटरग्रेडर तथा यांत्रिकी फावड़ा (मैकेनिकल शोवल)।       यान की लागत का 6 प्रतिशत ।]

[7. मालयान, जिसका रजिस्ट्रीकृत लदान भार 2000 किलोग्राम या कम है ।       यान के मूल्य (कास्ट) का 10 प्रतिशत जीवन- काल- कर ।

8. डम्पर ट्रक            यान के मूल्य (कास्ट) का 10 प्रतिशत की दर पर जीवन- काल- कर।]

तृतीय अनुसूची

[धारा 4 देखिए]

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यानों का वर्णन      किसी विर्निमाता या व्यापारी के      किसी विनिर्माता या व्यापारी के        कब्जे में के प्रथ्म सात या कम      कब्जे में के अतिरिक्त सात या        यानों के लिये वार्षिक क       कम यानों के लिये वार्षिक कर

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        रूपये पैसे        रूपये पैसे

(1) मोटर साइकिलें     400.00       400.00

(2) भारी मोटरयानों के चेसिस     600.00       600.00

(3) अन्य यान     500.00       500.00

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