No: 1 Dated: Apr, 18 1959

राजस्थान सरकार

सामान्य प्रशासन (ग्रुप-6) विभाग 

दिनांक 18 अप्रैल, 1959

ऐसे व्यक्तियों को जो राजस्थान राज्य में राजनैतिक आन्दोलन में यातनाएँ सही हो और उन व्यक्तियों को जो राजस्थान के अधिवासी हैं, परन्तु राजस्थान के बाहर किसी अन्य स्थान पर राजनैतिक आन्दोलन में यातनाएं सही हो, राज्य के सीमित साधनों के अनुरूप सहायता दी जाने के प्रावधान करने की दृष्टि से राजस्थान के राज्यपाल, उन समस्त शक्तियों का जो उन्हें इस निमित्त सक्षम बनाती हैं, प्रयोग करते हुए निम्नालिखित नियम बनाते है, अर्थात् : 

राजस्थान स्वतत्रता सैनानी सम्मान पेंशन नियम, 1959 

1. संक्षिप्त नामः- इन नियमों का नाम राजस्थान स्वतंत्रता सैनानी सम्मान पेंशन नियम, 1959 हैं ।

(क) प्रसार एवं निसरण :- इन नियमों का प्रसार, राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के अधिन पुर्नगठित सम्पूर्ण राजस्थान राज्य में होगा । 

(ख) आबू, अजमेर और सुनेल क्षेत्रों में प्रवृत इस विषय से सम्बन्धित सभी नियम और राजस्थान पोलोटीकल सफरर्स रिलीफ रूल्स, 1956 इसके द्वारा अतिष्ठित किये जाते है, परन्तु इसके द्वारा इस प्रकार अतिष्ठित किसी भी पूर्व आदेश या नियमों के अधीन पहले से स्वीकृत कोई रियायत या सहायता, उन्हें प्राप्त करने वाले व्यक्ति को उस कालावधि की समाप्ति तक मिलती रहेगी, जिसके लिए वे मंजूर की गई थी । 

(ग) ऐसे विस्थापित व्यक्ति भी, जो राजस्थान राज्य में स्थायी रूप से बस गये है, इन नियमों के अधीन सहायता के हकदार होगें, परन्तु यह तब जबकि वे जैसा इसके पश्चात् उपबंधित किया गया है, राजस्थान से बाहर के किसी भी स्थान पर राजनैतिक आन्दोलन में यातनाएँ सहीं हो और इन नियमों के अधीन सहायता पाने के लिए अन्यथा रूप से हकदार हो । 

(घ) ऐसा व्यक्ति भी, जो राजस्थान का अधिवासी हो और राजस्थान से बाहर किसी भी स्थान पर राजनैतिक आन्दोलन में भाग लेने के कारण यातनाएँ सहीं हों, इन नियमों के अधीन सहायता पाने का हकदार होगा । 

2. परिभाषाएँ:- जब तक विषय या संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, इन  नियमों में : 

(i) "आश्रित' से मृत स्वतंत्रता संग्राम सैनानी के निम्नालिखित संबंधियों में से कोई भी संबंधी पत्नि, निराश्रित माता-पिता, अवयस्क पुत्र अथवा पोत्र भाई, अविवाहित पुत्री या बहिन और विधवा पुत्र-वधू साथ ही पूर्व मृत पुत्र के अवस्क बच्चे और ऐसे अन्य आश्रित जो 1 राज्य सरकार द्वारा घोषित किये जाए अभिप्रेत है । 

(ii) “राजनैतिक आन्दोलन" से अभिप्रेत है राजस्थान राज्य में समाविष्ट क्षेत्र में या उन व्यक्तियों के संबंध में जो राजस्थान के अधिवासी है, राजस्थान से बाहर किसी स्थान में ऐसा आन्दोलन या गतिविधियाँ जो :

 (क) भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए हों, या 

(ख) किसी भूतपूर्व रियासत में जो अब राजस्थान का ही भाग है, उत्तरदायी सरकार बनाने के लिए हो, या 

(ग) कृषकों या पिछड़े वर्गो या श्रमिको की हालत में सुधार करने के लिए हो, या 

(घ) राजस्थान राज्य के निर्माण के लिए हों, या

(ड़) जिसे राजस्थान सरकार द्वारा राजस्थान राज-पत्र में इन नियमों के प्रयोजनार्थ अधिसूचना द्वारा राजनैतिक आन्दोलन घोषित किया जायें । 

(iii) स्वतंत्रता संग्राम सैनानी से : 

(क) ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जो किसी राजनैतिक आन्दोलन से संबंद्ध होने या उसमें भाग लेने या अन्य किसी राजनैतिक आधार पर 7 अप्रैल, 1949 के पूर्व सरकार या किसी अधिकारी या ठिकानेदार या उसके किसी अधिनस्त व्यक्ति अथवा सेवकों के आदेशों के अधीन या उकसाने पर या मौनानुकूलता से, इसमें इसके पश्चात् प्रगणित किसी यातना का शिकार हुआ हों, 

(ख) इनमें ऐसे व्यक्ति का संबंध भी सम्मिलित हैं, जो ऐसी किसी यातना का शिकार हुआ हो, तथा ।

(ग) निम्नलिखित प्रवर्गो के भूतपूर्व आई.एन.ए. कार्मिक भी है : 

(i) आई.एन.ए. आन्दोलन के दौरान निःशक्त या असमर्थ हुए भूतपूर्व आई.एन.ए. कार्मिक और वे कार्मिक जो आई.एन.ए. में सम्मिलित हुए थे और अब बुढ़ापे, अशक्तता या अन्य निर्योग्यता के कारण जिविकोपार्जन करने की स्थिति में नहीं है । 

(ii) वे, जिन्होने आई.एन.ए. आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने के कारण हानियाँ उठाई है और अपनी सेवा या उपजीविका खो दी है तथा अब तंगी (परेशानी) की हालत में 

(iii) भूतपूर्व आई.एन.ए. कार्मिक जिन्होने भारत लौटने पर देश के राजनैतिक कार्यकलापों में भाग लिया और तब से निरन्तर ऐसा ही करते रहे हैं और अब तंगी की हालत में है । 

(iv) उन भूतपूर्व आई.एन.ए. कार्मिकों की निराश्रित विधवाएँ, बच्चे तथा माताएँ जो आई. एन.ए. आन्दोलन में भाग लेते हुए विदेश में मारे गये थे । 

(v) नम्बन 21 सेन्ट्रल इण्डिया हार्स । 

(vi) भरने/ खाली करने के मामले (मिलीटरी के ट्रक चालक) जिन्होने चालक के रूप में अपने कर्तव्य के अलावा मिलिटरी-स्टोर को भरने और खाली करने से मना कर दिया था । 

(vii) लोह टोपधारियों के मामले (भारतीय सेना) के वे सिक्ख जिन्होने लोह टोप धारण करने से मना कर दिया । 

(viii) जल सेना के वे कार्मिक जिन्होने वर्ष, 1945-46 में विद्रोह कर दिया था । 

(पग) "सहायता" से इन नियमों के अधीन अनुज्ञेय विभिन्न रूपों की सहायता में से कोई भी सहायता अभिप्रेत है । 

3. यातनाएं, जिनके लिए सहायता दी जा सकेगी :- यातनाएँ जिनके लिए किसी स्वतंत्रता संग्राम सैनानी को या उनके मृत होने की दशा में उसके आश्रित को इन नियमों के अधीन सहायता दी जा सकेगी, निम्नलिखित सभी या इनमें से कोई सी भी होगी, अर्थात् : 

(क) मृत्यु हो जाने पर, जबकि मृत्यु : 

(i) किसी राजनैतिक आन्दोलन के अनुसरण में या उसे आगे बढ़ाने में किये गये अपराध के लिए या ऐसे राजनैतिक आन्दोलन से अन्यथा संबद्ध अपराध के लिए दिये गये मृत्यू दण्ड के अनुसरण में हुई हो, या 

(ii) ऐसे किसी अपराधी के लिए सिद्वद्वोष के रूप में या परीक्षणाधीन कैदी के रूप में कारावास के दौरान हुई हो, या 

(iii) राजनैतिक आन्दोलन के संबंद्ध कारणों पर निरोध के दौरान हुई हो, या 

(iv) किसी राजनैतिक आन्दोलन के या इस प्रकार के कारावास के या निरोध के दौरान की गई भूख हड़ताल के परिणामस्वरूप हुई हो, या

(v) इस प्रकार के कारावास या निरोध या ऐसे भूख हड़ताल के दौरान किसी बीमारी के संसर्ग में आने के परिणामस्वरूप हुई हो, या

(vi) सरकार या उसके किसी अधिकारी या राजस्थान में किसी ठिकानेदार या उसके किसी अधिनस्थ अथवा किसी कर्मचारी के आदेशों के अधीन या उकसावे पर या मौनानुकूलता से, यथा उपर्युक्त कारावास या निरोध के दौरान या राजनैतिक आन्दोलन के संबंध में उसके कार्यकलापों के कारण या ऐसे आन्दोलन से संबंधित कार्य कलापों के लिए राजनैतिक आन्दोलन के सिलसिले में विद्रोह करने के दौरान या अन्यथा के कारण गोली से उड़ाये जाने या पीटे जाने या अन्य यातनाओं के फलस्वरूप हुई हो, या 

(vii) अन्यथा किसी राजनैतिक आन्दोलन के संबंध में की गई सरकारी, गैर सरकारी या ठिकाने की कार्यवाही के दौरान हुई हो । 

(ख) खण्ड (क) में विनिर्दिष्ट परिस्थितियों में हुई स्थायी शारीरिक तथा मानसिक निर्योग्यता या आयु के कारण हुई शारीरिक तथा मानसिक निर्योग्यता । 

(ग) सम्पत्ति की, चाहे स्थावर हो या जंगम, हानि या नुकसान जो निम्नलिखित कारणों से हुआ हो : 

(i) अभिग्रहण, अभिहरण या सम्पहरण या

(ii) सामूहिक जुर्माने सहित जुर्माने के अधिरोपण एवं उसकी वसूली या 

(iii) कूर्की या कूर्की एवं विक्रय या बिना कुर्की के विक्रय या अभिग्रहित या अधिगृहीत या अधिकृत या सम्पहत से सम्पत्ति या विक्रय या

(iv) लूट या लूट खसोट, या 

(v) ऐसी ही कोई अन्य बात या घटना जिसके होने या घटने के बारे में राज्य सरकार अपने विवेकानुसार विनिश्चित करे कि यह, राजनैतिक आन्दोलन से संबंधित आधारों पर या सरकार या उसके किसी अधिकारी या राजस्थान के किसी ठिकानेदार या उसके किसी अधिनस्थ अथवा किसी कर्मचारी के आदेशों के अधीन या उकसावे पर या मौनानुकूलता से इस प्रकार के आन्दोलन को दबाने की किसी कार्यवाही के लिए किसी कार्य के परिणामस्वरूप या किसी कार्यवाही से संबंधित या उत्पन्न या उसके दौरान किये गये किसी अपराध के परिणामस्वरूप हुआ हो । 

(घ) राजनैतिक आन्दोलन संबंधी आधारों पर या राजनैतिक आन्दोलन से संबंद्ध होने या उसमें भाग लेने के कारण किसी राजनैतिक आन्दोलन में भाग लेने वाले या राजनैतिक आन्दोलन से संबंधित किसी क्रियाकलाप में रत किसी व्यक्ति से संबंद्ध होना या उसका संबंधी होने के कारण दम्पत्ति या सेवान्मुक्ति या विवशतापूर्वक दिये गये त्यागपत्र के कारण सरकारी सेवा की हानि । 

(ड़) राजनैतिक आन्दोलन में भाग लेने के कारण किसी शैक्षिक संस्था या परीक्षा से निकालेजाने या निष्कासन (रेस्टिकेशन) के कारण शैक्षिक जीवन की समाप्ति, परन्तु यह तब जबकि इस आशय का स्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत किया जावें । 

(च) यातनाएँ जिनके लिए किसी भूतपूर्व आई.एन.कार्मिक को सहायता स्वीकृत की जावे, नियम2(ITI) (ग) में प्रमाणित सभी यातनाओं में से कोई सी भी होगी ।

(छ) अन्य कोई ऐसी यातनाएँ जिन्हें राज्य सरकार किसी स्वतंत्रता सैनानी या उसके आश्रित को सहायता मॅजूर कराने के लिए पर्याप्त माने ।

(ज) पूर्तगाल शासन से गौवा को आजाद कराने आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने वाले राजस्थान राज्य के उन लोगों को जिन लोगों के नाम गौवा विमोचन समिति, पूना के पास उपलब्ध रेकार्ड में दर्ज होगें और उसके अनुसार जिन सत्याग्रहों की टुकडीयों ने सत्याग्रह करके गोवा की सीमा में प्रवेश किया था, या जिन पर गोलियां चलाई गई थी, ऐसे लोग और उस समय उनके बाबत् अखबारों में छपने वाली खबरों के आधार पर जिन लोगों के नाम अखबारों में प्रसिद्ध हुए थे, या जिनके नेतृत्व के अधीन सत्याग्रह किया गया था, ऐसे नेताओं के प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के आधार पर उन्हें पेंशन दी जावेगी

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