No: -- Dated: Jul, 31 1951

1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ--(1) यह नियमावली "बिहार उच्च न्याय सेवा  नियमावली 1951" कहलायगी। 

(2) यह 21 अक्तूबर, 1946 को लागू समझी जायगी।

2. परिभाषाएं :- जबतक कोई बात विषय या प्रसंग के विरुद्ध न हो, इस नियमावली में 

    (क) “संवर्ग" से तात्पर्य है बिहार उच्च -न्यायसेवा का संवर्ग .

    (ख) “सीधे भरती किए गए व्यक्ति" से तात्पर्य है नियम -5 के खंड (क) के अनुसार उक्त सेवा में नियुक्त पदाधिकारी.

    (ग) “प्रोन्नत पदाधिकारी" से तात्पर्य है नियम 5 के खंड (ख) के अनुसार प्रोन्नति द्वारा बिहार असनिक सेवा (न्याय शाखा) से उक्त सेवा 'में  नियुक्त पदाधिकारी; और 

    (घ) “सेवा" से तात्पर्य है बिहार उच्च-न्यायसेवा । 

3. (1) सेवा की पदाधिकारी-संख्या और पदों की संख्या तथा प्रकार इस नियमावली की अनुसूची के अनुसार होंगे। 

    (2) राज्य सरकार, उच्च-न्यायालय से परामर्श के बाद, समय-समय पर, उक्त अनुसूची का संशोधन कर सकेगी। 

4. इस सेवा के संवर्ग में के हर पद पर ऐसे व्यक्ति को नियुक्त किया जायगा-

    (1) जो भारतीय असनिक सेवा (इण्डियन सिविल सर्विस) का सदस्य है और जिसे स्थायी रुप से न्यायपालिका में रखा गया है। 

    (2) जो भारतीय असनिक सेवा के संवर्ग में सूचीबद्ध (लिस्ट ड) न्यायिक पद पर 21 अक्तूबर, 1946 के पहले मौलिक रुप से नियुक्त किया गया था या जो ऐसे पद पर उस ता,ख के पहले मौलिक रुप से नियुक्त किया जाता, किन्तु सपरिषद् भारत सचिव द्वारा जारी किए गए निदेशों के फलस्वरुप उस प्रकार नहीं नियुक्त किया गया ; या 

    (3) जो नियम 5 के अधीन बिहार उच्च-न्यायसेवा का सदस्य नियुक्त किया गया हो। 

5. बिहार उच्च-न्यायसेवा की नियुक्तियां, जो प्रथमत: साधारणतया अपर जिला और सत्र न्यायाधीश के पद पर होगी, उच्च-न्यायालय के परामर्श से राज्यपाल निम्न रीति से करेंगे :-

    (क) संविधान के अनुच्छेद 233 के खंड (2) के अधीन नियुक्ति के लिये योग्यता प्राप्त और उच्च-न्यायालय द्वारा सिफारिश किए गए व्यक्तियों में सीधे भरती द्वारा; या

    (ख) बिहार न्यायिक सेवा के सदस्यों में से प्रोन्नति द्वारा ।

6. इस सेवा के संवर्ग में के पदों में से दो-तिहाई पद प्रोन्नति द्वारा भरे जायेंगे और एक-तिहाई सीधी भरती द्वारा .परन्तु राज्य सरकार उच्च-न्यायालय के परामर्श से दोनों में से किसी विषय में उक्त अनपात से विचलित हो सकेगी। 

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