No: F 2-1/2021 Dated: Nov, 02 2021

मननीय न्यायालय निर्णय के अनुपालन में ब्याज राशि के भुगतान की प्रक्रिया का निर्धारण

संदर्भ:- वित्त विभाग का पत्र क्रमांक एफ 2-2/2013/नियम/चार/दिनांक 19.03.2013

प्राय: माननीय न्यायालय के आदेश के परिपालन में शासकीय कर्मी याचिकाकर्ता को देय राशि में हुए विलम्ब के लिए ब्याज भुगतान के लिए प्रशासकीय विभाग के निर्णय के आधार पर वित्त विभाग द्वारा सहमति दी जाती रही है। इस सहमति के उपरान्त विभागों द्वारा ब्याज मद में (मुख्य शीर्ष 2049) आवंटन की मांग हेतु विभागों द्वारा वित्त विभाग को पुनः प्रस्ताव भेजा जाता है। इसी प्रकार माननीय न्यायालय द्वारा रिट याचिका में अधिरोपित कॉस्ट (Cost) अथवा शास्ति (Penalty) का भुगतान के लिए निर्धारित व्यय शीर्ष नही होने से विभागों द्वारा पृथक-पृथक व्यय मदों से भुगतान की स्थितियां भी समक्ष में आई हैं। 

2. उपरोक्त स्वरूप के भुगतान में एकरूपता एवं प्रक्रिया के सरलीकरण के दृष्टि से मध्यप्रदेश वित्त संहिता भाग-1 के नियम 60 खण्ड-2(घ) को अधिसूचना दिनांक 13 अक्टूबर 2021 से संशोधित किया गया है। इस संशोधन के परिप्रेक्ष्य में राज्य शासन द्वारा निर्णय लिया गया है कि:

अ. (i) ऐसे न्यायालयीन निर्णय जो कि अंतिम हो चुके हैं अर्थात् बरिष्ठ न्यायालयों में अपील/पुनर्विलोकन आदि के उपलब्ध अवसरों के समाप्त (Exhaust) होने पर जिनका अनुपालन ही एक मात्र विकल्प है, में न्यायालय निर्णय के अनुपालन का अंतिम निर्णय प्रशासनिक विभाग के स्तर पर लिया जाए। 

(ii) यदि याचिकाकर्ता को देय मूल स्वत्व सुसंगत नियमों, निर्देशों के अधीन देय नहीं रहा है तब वित्त विभाग की सहमति प्राप्त किये जाने की आवश्यकता रहेगी। 

(ब) माननीय न्यायालय के आदेश के पालन के लिए ब्याज राशि के भुगतान का प्रशासकीय विभाग के निर्णय अथवा वित्त विभाग की सहमति (जैसी भी स्थिति हो) उपरांत ब्याज भुगतान उसी व्यय मद से किया जाए जिम मद से मूल स्वत्व, जिसके लिए ब्याज का दायित्व उत्पन्न हुआ है, का भुगतान किया जाता है।

स. न्यायालय आदेश के संबंध में कॉस्ट तथा शास्ति के भुगतान की स्थिति में अन्य आकस्मिक व्यय मद में विकलनीय किया जाए। 

द. ब्याज राशि की गणना का सत्यापन विभाग में पदस्थ वित्तीय सलाहकार मध्यप्रदेश वित्त सेवा के वरिष्ठतम अधिकारी से कराई जाए। यदि विभाग में तदनुसार अधिकारी पदस्थ नहीं तो वित्त संबंधी कार्य संपादित करने वाला राजपत्रित श्रेणी के अधिकारी से उक्त कार्य कराया जाये। 

इ. ब्याज, कॉस्ट तथा शास्ति के भुगतान की परिस्थिति के लिए प्रशासकीय विभाग द्वारा उत्तरदायित्व का निर्धारण कर आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।

3. कृपया उपर्युक्त निर्देशों से सर्वसंबंधितो को अवगत कराने का कष्ट करें।

 

 

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