No: F 12-2-2014 Dated: Nov, 12 2014

आपसी सहमति से भूमि क्रय नीति

राज्य सरकार के विभिन्न विभागों/उपक्रमों को उनकी अधोसंरचना निर्माण कार्यों एवं विकास परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिये समय-समय पर निजी भूमि की आवश्यकता पड़ती है. भू-अर्जन की प्रक्रिया में लगने वाले अतिरिक्त समय और लागत को बचाने की दृष्टि से शासकीय परियोजनाओं को निर्धारित समयावधि में क्रियान्वित करने हेतु प्रतिफल का भुगतान करके भू धारकों की आपसी सहमति से भूमि प्राप्त की जा सकती है. अनेक अवसरों पर निजी भूमि धारक उपरोक्त प्रयोजनों के लिए अपनी भूमि राज्य शासन को विक्रय करने में रुचि रखते हैं, क्योंकि प्रस्तावित अधोसंरचना निर्माण, विकास परियोजनाओं आदि के त्वरित क्रियान्वयन से स्थानीय क्षेत्र का विकास सुनिश्चित होकर वहां के निवासियों को अनेक सामाजिक-आर्थिक लाभ प्राप्त होते हैं. साथ ही भूमि विक्रय का यह विकल्प उन्हें प्रक्रियात्मक सुगमता, समय की बचत व विक्रय मूल्य की शीघ्र प्राप्ति आदि कारणों से भी आकर्षित करता है, आपसी सहमति से राज्य शासन द्वारा भूमि धारकों से भूमि क्रय करना कई परिस्थितियों में दोनों पक्षों के साथ-साथ व्यापक लोकहित में भी लाभकारी होता है.

2. अतः संविधान की राज्य सूची के विषय क्रमांक-18 (भूमि अंतरण) की शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य शासन द्वारा सार्वजनिक हित की परियोजनाओं के क्रियान्वयन हेतु आपसी सहमति से भूमि क्रय करने की नीति बनाए जाने का निर्णय लिया गया है. राज्य सरकार निजी भू-धारकों की आपसी सहमति से निम्नानुसार " आपसी सहमति से भूमि क्रय नीति" (Consent Land Purchase Policy) जारी करती है:-

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