No: 3 Dated: Oct, 28 2019

बिहार सरकार

 सामान्य प्रशासन विभाग

प्रेषक,

गुफरान अहमद. 

सरकार के उप सचिव ।

सेवा में,

सभी विभाग 

सभी विभागाध्यक्ष 

सभी प्रमंडलीय आयुक्त 

सभी जिला पदाधिकारी

विषय :- सरकारी सेवकों के विरुद्ध बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली, 2005 (समय-समय पर यथासशोधित) में निहित प्रावधानों के आलोक में संचालित विभागीय कार्यवाही के संबंध में।

महाशय,

            उपर्युक्त विषय के संदर्भ में निदेशानुसार कहना है कि सरकारी सेवकों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही के संचालन हेतु प्रक्रिया एवं प्रावधानों का निर्धारण बिहार सरकारी संचक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली, 2005(समय-समय पर यथासंशोधित) में किया गया हैं। उक्त नियमावली में निहित प्रक्रियाओं एवं प्रावधानों के संदर्भ में सामान्य प्रशासन विभाग के पत्रांक-1893 दिनांक-14.06.2011 द्वारा कतिपय स्पष्टीकरण/मार्गदर्शन निर्गत किये गये हैं। पुनः विमागीय पत्रांक-10798 दिनांक-04.08.2014, पत्रांक-17696 दिनांक-23:12 2014. पत्रांक-12787 दिनांक-2208.2015, पत्रांक-12196 दिनांक-07.09.2016), पत्रांक-8237 दिनांक-05.07.2016 एवं पत्रांक-10875 दिनांक-24.06.2017. जो सामान्य प्रशासन विभाग के वेबसाईट www.gad.bih.nic.in पर उपलब्ध हैं. द्वारा भी कतिपय महत्त्वपूर्ण अनुदेश निर्गत किये गये हैं।

 2. परन्तु कतिपय ऐसे मामले सामने आये हैं जिनमें अनुशासनिक प्राधिकार द्वारा विभागीय कार्यवाही में समर्पित जाँच प्रतिवेदन पर नियमानुसार विचारोपरान्त आरोप मुक्त करने अथवा प्रमाणित आरोप के लिए समुचित दंड अधिरोपित करने संबंधी संसूचित अन्तिम आदेश काफी संक्षिप्त हैं जिससे यह स्पष्ट नहीं हो पाता है कि प्रासंगिक मामले में बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरणं, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली, 2005 में निहित प्रावधानों का पूर्णतः अनुपालन किया गया है।

 3. अनुशासनिक प्राधिकार द्वारा विभागीय कार्यवाही में समर्पित जाँच प्रतिवेदन पर नियमानुसार विचारोपरान्त आरोप मुक्त करने अथवा प्रमाणित आरोप के लिए समुचित दंड अधिरोपित करने संबंधी संसूचित अन्तिम आदेश को तार्किक एवं मुखर बनाने हेतु उसमें निम्नांकित तथ्यों का संक्षिप्त रूप से समावेश किया जाना अपेक्षित होता है

(i) प्रस्तावना, जिसमें आरोप वर्ष एवं तत्कालीन पदस्थापन का भी उल्लेख हो,

(ii) आरोप पत्र में निहित आरोपों का संक्षिप्त उल्लेख। 

(iii) आरोप पत्र के संबंध में नियम-17/19 के प्रावधानों के तहत स्पष्टीकरण/बचाव बयान की मांग किये जाने एवं प्राप्त स्पष्टीकरण में वर्णित तथ्यों/तों का संक्षिप्त उल्लेख। 

(iv) विभागीय कार्यवाही के संचालन का निर्णय एवं संचालनपदाधिकारी/उपस्थापन पदाधिकारी की नियुक्ति का उल्लेख।

(v) प्राप्त जाँच प्रतिवेदन तथा प्रतिवेदित निष्कर्ष का उल्लेख। 

(vi) अनुशासनिक प्राधिकार की समीक्षा का सारांश जिसमें जाँच प्रतिवेदन सेसहमत/असहमत होने का स्पष्ट उल्लेख किया जाय तथा जाँच प्रतिवेदन एवं उसके साथ नियम 18(2) के तहत निर्धारित असहमति के बिन्दुओं, यदि कोई हों, को आरोपी सरकारी सेवक को उपलब्ध कराते हए अभ्यावेदन की मांग किये जाने का उल्लेख।

(vii) अभ्यावेदन की समीक्षा के क्रम में संक्षेप में अभ्यावेदन में वर्णित तथ्यों कीस्वीकृति/अस्वीकृति का आधार एवं दंड का विनिश्चय।

(viii) विनिश्चित दंड पर आवश्यकतानुसार आयोग से परामर्श की मांग एवं प्राप्त परामर्श का उल्लेख।

(ix)  परामर्श की समीक्षा एवं यदि परामर्श मान्य न हो तो उसके आधार का संक्षिप्तउल्लेख।

( x) विनिश्चित दंड पर आवश्यकतानुसार मंत्रिपरिषद का अनुमोदन प्राप्त करने काउल्लेख। 

(xi) दंड का संसूचन का उल्लेख।

4. अतः अनुरोध है कि तदनुसार अनुशासनिक प्राधिकार द्वारा विभागीय कार्यवाही में समर्पित जाँच प्रतिवेदन पर नियमानुसार विचारोपरान्त आरोप मुक्त करने अथवा प्रमाणित आरोप के लिए समुचित दंड अधिरोपित करने संबंधी निर्णय तार्किक एवं मुखर आदेश द्वारा संसूचित किया जाय। कृपया अपने अधीनस्थों को भी उक्त निदेश का अनुपालन करने हेतु अपने स्तर से निर्देशित करने की कृपा की जाय।

विश्वासभाजन,

(गुफरान अहमद) 

सरकार के उप सचिव।

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