Posted on 18 May, 2016 6:17 pm

Diary of a Simhastha pilgrim

"I have seen paradise at Ujjain while still alive" 

Bhopal : Wednesday, May 18, 2016, 17:47 IST 

Pilgrims from other states of the country are expressing gratitude towards Madhya Pradesh government for efficient and excellent arrangements during Simhastha at Ujjain. A devotee from Maharashtra not only described his Ujjain visit a distinct experience, but also said, 'I have seen paradise at Ujjain while still alive'. He said that better arrangements have been witnessed during Simhastha-2016 than Kumbhs at Nasik, Haridwar and Prayag.

This has been written by the devotee Shri Mohan Ji Keshav Pote from Ichalkaranji in Kolhapur district of Maharashtra in his diary. On insistence, Shri Pote made available pages of his diary where he has written these remarks. Shri Pote has written that 'Under the leadership of Chief Minister Shri Shivraj Singh Chouhan, administrative staff has made so much elaborate arrangements that no problem is faced by devotees. When I along with my wife reached Ujjain railway station, I had a pleasant experience to see messages of the Chief Minister on the posters of Simhastha-2016 at various spots. I came to know of the fact that about 2 years ago, nearby lands were acquired for expanding Simhastha Mela area for which adequate compensation was given to concerning landowners. It is laudable to level the land for Mela, provide facilities to erect big and small Pandals, construct toilets and bathrooms as per need in this ancient centre of pilgrimage. Sectors have been formed in about 20 square km area with excellent arrangements of all facilities including power and drinking water. State government's objective is to provide facilities to all devotees, pilgrims, saints, seers etc. Roads are clean. Necessary traffic signages have been installed. Sanitary workers are seen working continuously. I visited many ghats and found all of them clean. Sanitary workers swing into action and remove waste when pointed out by any devotee. Boats remove waste from Kshipra river. Guards with motorboats are on duty to save devotees from any eventuality during the holy dip. Security staff gives maximum guidance. Fire fighters, police force, ambulances, hospitals, helplines and other government offices are functioning efficiently. I found the clean and green Ujjain city like paradise. It is as if I have seen paradise while still alive'.

Shri Pote has also written in his diary, 'It is respect towards sentiments of devotees to bring water in Kshipra river from afar during Simhastha Kumbh Mela, which is held after 12 years. I wish to congratulate all those responsible for these arrangements from the core of my heart'. Reason of massive turnout of devotees during Simhastha is self-explanatory from excerpts of Shri Pote's diary.

Ashok Manwani

 

एक सिंहस्थ यात्री की डायरी

मैंने उज्जैन में जीते जी स्वर्ग देखा 

भोपाल : बुधवार, मई 18, 2016, 16:41 IST
 

देश के अन्य प्रांतों से आए श्रद्धालु सिंहस्थ की बेहतर व्यवस्थाओं के लिए मध्यप्रदेश सरकार के प्रति आभार व्यक्त कर रहे हैं। सिंहस्थ मेला क्षेत्र में महाराष्ट्र के एक यात्री ने अपने उज्जैन आगमन को न सिर्फ विशिष्ट अनुभव बताया बल्कि अपने विचार व्यक्त करते हुए  यह तक कहा कि 'उन्हें जीते जी स्वर्ग क्या है, इसका अहसास हो गया है।' उन्होंने कहा कि सिंहस्थ-2016 में उन्हें  नासिक, हरिद्वार और प्रयाग के कुंभ से बेहतर इंतजाम देखने को मिले हैं।

यह यात्री हैं-महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के इचलकरंजी के निवासी मोहन जी केशव पोटे। श्री पोटे ने अपने अनुभव डायरी में लिखे हैं। अनुरोध करने पर श्री पोटे  ने डायरी के वे पन्ने  उपलब्ध भी करवाए  जिसमें  उन्होंने ब्यौरा लिखा है। श्री पोटे ने जो लिखा है, वह उन्हीं के शब्दों में इस प्रकार है:- 'उज्जैन सिंहस्थ में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रशासन से जुड़े लोगों ने इतने अच्छे इंतजाम किए हैं कि  श्रद्धालुओं को कहीं  दिक्कत नहीं होती। मैं जब पत्नी के साथ उज्जैन रेल्वे स्टेशन पहुँचा, तब जगह-जगह सिंहस्थ-2016 के पोस्टर देखने को मिले, जिसमें मुख्यमंत्री का यात्रियों के लिए संदेश देखकर सुखद लगा। इस प्राचीन तीर्थ क्षेत्र में लगभग दो साल पहले शहर के आसपास की भूमि सिंहस्थ क्षेत्र के लिए लेने के बाद भू-स्वामियों को पर्याप्त मुआवजा राशि देने की जानकारी मिली।

मेले के लिए जमीन के समतलीकरण, छोटे-बड़े पंडाल स्थापित करने के लिए सुविधा, जरूरत के अनुसार टायलेट और बाथरूम की व्यवस्था करना तारीफ की बात है। यही नहीं करीब 20 किलोमीटर इलाके में सेक्टर बनाकर, नए विद्युत खंबे लगाने और जल आपूर्ति करना सरकार की नेक- नीयत का प्रतीक है। सरकार का लक्ष्य सभी श्रद्धालु यात्री, साघु-संत आदि को सुविधा प्रदान करना है। आने-जाने के रास्ते साफ-सुथरे दिख रहे हैं। ट्रेफिक के लिए जरूरी संकेत लगाए गए हैं। सफाई कामगार लगातार काम करते दिख रहे हैं। मैं कई घाटों पर घूमा, सभी साफ-सुथरे लगे। कहीं कचरा पाए जाने पर किसी भी नागरिक के बताने पर सफाई कामगार तुरंत कार्यवाही करते हैं। क्षिप्रा नदी के बहाव में भी कचरा उठाने के लिए अलग नाव घूमती रहती है। स्नान कर रहे लोगों के साथ कोई हादसा न हो, इसलिए सुरक्षा गार्ड, मोटरबोट सहित ड्यूटी पर रहते हैं। सुरक्षा कर्मचारी पूरा मार्गदर्शन देते हैं, फायर फायटर, पुलिस बल, एम्बुलेंस, अस्पताल, हेल्प लाइन नंबर और बाकी सरकारी कार्यालय अच्छी तरह काम कर रहे हैं।' मुझे उज्जैन शहर साफ-सुथरा देखकर स्वर्ग माफिक लगा। जैसे कि मैंने जीते जी उज्जैन में स्वर्ग देखा।'

श्री पोटे ने डायरी में यह भी लिखा है कि:- 'इस कुंभ मेले में जो 12 साल में एक बार आता है, क्षिप्रा नदी में इतनी दूरी से पानी लाकर प्रवाहित करना श्रद्धालुओं की भावना का सम्मान है। मैं इन सभी इंतजाम करने वालों को दिल से बधाई देना चाहता हूँ।' श्री पोटे की डायरी के ये अंश पढ़कर सिंहस्थ में उमड़े श्रद्धालुओं के जन-सैलाब की वजह भी स्वत: स्पष्ट हो जाती है ।

अशोक मनवानी

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