Posted on 23 May, 2018 6:09 pm

 

सुपर ग्रेन के नाम से दुनिया भर में अपनी पहचान बना चुके क्विनोआ की खेती अब जबलपुर जिले में भी होने लगी है। पाटन क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों ने रबी सीजन में सीमित रकबे में क्विनोआ की फसल लेने का प्रयोग किया और इसमें वे सफल भी रहे हैं ।

आमतौर पर क्विनोआ को दक्षिणी अमेरिका की फसल माना जाता है, लेकिन कुछ वर्षों से हमारे देश में भी इसकी खेती की जा रही है । दूसरे अनाज की तरह यह भी एक अनाज ही है और सभी नौ जरूरी अमीनो एसिड्स को मिलाकर प्रोटीन का पूरा स्त्रोत है । क्विनोआ पर हुए कई शोधों से पता चला है कि प्रोटीन्स, विटामिन, मिनरल्स, आयरन सहित इसमें एंटी सेप्टिक, एंटी कैंसर, एंटी एजिंग के गुण भी होते हैं । ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने और वजन कम करने में भी यह कारगर है । यह शरीर में खून की कमी को भी दूर करता है। साथ ही आस्टियोपोरोसिस, गठिया और दिल के रोगियों के लिए भी फायदेमंद है । क्विनोआ का सेवन करने वाले लोगों में त्वचा की समस्या कम देखने मिलती है । इसमें मौजूद एंटी सेप्टिक गुण त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं । क्विनोआ का ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी कम होता है जिससे ब्लड शुगर नियंत्रित होता है। यह डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है और फाईबर का भी अच्छा स्त्रोत है जो, आसानी से पच जाता है और दूसरे अनाज को पचाने में भी मदद करता है । क्विनोआ कोलस्टेरोल लेबल को बनाये रखने में भी मदद करता है। इसमें विटामिन ई, विटामिन बी, कैल्शियम एवं फेनोलिक एसिड जैसे कई और भी पोषक तत्व होते हैं।

क्विनोआ के इन्हीं गुणों के कारण इसे सुपर फुड कहा जाता है। क्विनोआ का स्पेस फूड के रूप में इस्तेमाल करने पर भी शोध चल रहे हैं । इसकी खूबियों और इसमें मौजूद पोषक तत्वों को देखते हुए इसे लोकप्रिय बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन ने वर्ष 2013 को क्विनोआ वर्ष के रूप में घोषित किया था। क्विनोआ को किनवा के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर इसका इस्तेमाल नाश्ते के रूप में होता है और इसे बनाना भी आसान होता है। क्विनोआ के पौधे की पत्तियाँ भी सलाद के रूप में इस्तेमाल की जा सकती हैं।

किसानों को क्विनोआ की फसल लेने के लिए प्रेरित करने वाले कृषि व्यवसाय से जुड़े शशि राजपूत और राजेश गुप्ता बताते हैं कि पाटन क्षेत्र में पैदा हुए क्विनोआ की अच्छी गुणवत्ता को देखते हुए बहुराष्ट्रीय कम्पनी केआरबीएल ने इसमें रूचि दिखाई है। उनके मुताबिक जबलपुर जिले में क्विनोआ की खेती के लिए कुछ और किसानों को जोड़ने तथा ज्यादा रकबे में क्विनोआ की फसल लेने की योजना भी है। उन्होंने बताया कि जबलपुर जिले के साथ-साथ मण्डला और डिण्डौरी जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्र में क्विनोआ की खेती करने की योजना पर भी काम कर रहे हैं।

क्विनोआ की खेती करने वाले पाटन के ग्राम कंतोरा के प्रगतिशील किसान अशोक साहू के मुताबिक बड़े स्टोर्स में आकर्षक पैकिंग के साथ बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा 800 से 900 रूपये किलो की दर पर बेचे जा रहे क्विनोआ को लेकर स्थानीय स्तर पर लोगों में जानकारी का अभाव है । उन्होंने बताया कि मांग बढ़ने और अच्छी कीमत मिलने पर इसका रकबा बढ़ाया जा सकता है

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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