Posted on 19 Sep, 2018 4:15 pm

 

राष्ट्रीय आजीविका मिशन शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले बेरोजगार गरीब परिवारों के लिये उम्मीद की किरण साबित हो रही है। इस मिशन से जुड़कर युवाजन अपना ही नहीं बल्कि समूह के रूप में अपने साथियों को भी आर्थिक संबल प्रदान कर रहे है।

छतरपुर जिले के नौगांव विकासखण्ड के ग्राम कैमाहा की रामश्री राजपूत एक खेतिहर मजदूर से निकलकर एक सफल व्यवसायी में अपनी पहचान बना चुकी है। रामश्री ने आजीविका मिशन के समूह का गठन कर भोपाल में पैपर बैग तैयार करने का प्रशिक्षण प्राप्त किया, बैग से समूह सदस्यों ने ऋण लेकर बैग निर्माण की कच्ची सामग्री कानपुर (उत्तरप्रदेश) से क्रय की अब समूह की महिलाऐं एक साथ पेपर के डिब्बे बना रही है जिनकी अच्छी-खासी माँग आने लगी है। समूह प्रतिमाह ढाई से तीन लाख रूपये यानी कि प्रत्येक सदस्य औसतन 9 से 10 हजार रुपये कमा रहा है।

उमरिया के बार्ड न. 3 के निवासी आरिफ मोहम्मद पिता रहीमुद्दीन पठ़ाई में रूचि न होने के कारण 10वी तक ही पढ़ पाया था। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, आरिफ ने आजीविका मिशन के स्वरोजगार कार्यक्रम से जुड़कर, भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया के स्वरोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया। प्रशिक्षण के बाद आरिफ को केनरा बैंक से 50 हजार रूपये का लोन लेकर कम्प्यूटर और जनरल स्टोर की दुकान प्रारम्भ की है। उसकी लगन और मेहनत से दुकान अच्छी चलने लगी है। आरिफ हर महीने 15 से 20 हजार रुपये कमा रहा है। घर, परिवार और समाज में एक मुकाम हासिल किया है। इसके लिये आरिफ ने आजीविका मिशन के प्रति अपना आभार भी व्यक्त किया है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश​

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