Posted on 18 Jan, 2018 6:44 pm

अनूपपुर जिले में पुष्पराजगढ़ जनपद के ग्राम पटना की निवासी आदिवासी कुन्ती बाई और उनके पति सहदेव सिंह के पास खेती की 9 एकड़ जमीन होने के बावजूद भी इन्हें मजदूरी करनी पड़ती थी क्योंकि उनके पास खेती के लिये पर्याप्त संसाधन नही थे। गरीबी के कारण न तो समय पर खेतों की बुवाई हो पाती थी और न ही कटाई-गहाई। इनके 2 बच्चे हैं, जिनकी पढ़ाई-लिखाई भी नहीं हो पा रही थी।

कुन्तीबाई 8वीं कक्षा तक पढ़ी हैं। इन्हें समाचार पत्रों से आदिवासी परिवारों के स्वरोजगार के लिए आदिवासी वित्त विकास निगम द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी मिली तो पति के साथ कार्यालय पहुँचकर सम्पर्क किया। सहयोग मिला तो ट्रैक्टर-ट्राली लेने का निर्णय लिया। आदिवासी वित्त विकास निगम द्वारा ऋण प्रकरण तैयार कर सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया की सामतपुर शाखा को भेजा गया, जहाँ से 9.97 लाख रुपए का ऋण स्वीकृत हुआ। इसमें 2 लाख रुपए का अनुदान भी शामिल था।

अब इनके पति जमीन की जुताई एवं बुवाई का कार्य ट्रैक्टर से करते हैं। बाकी का कार्य कुंतीबाई स्वयं करती हैं। खाली समय में सहदेव ट्रैक्टर-ट्राली से दूसरों के खेतों में जुताई-बुवाई करते हैं। साथ ही गाँव के लोगों के अनाज आदि की शहर तक ढुलाई करके अतिरिक्त आय भी प्राप्त कर लेते हैं।

कुंतीबाई के परिवार के लिये गरीब अब पुरानी बात हो गई है। हर महीने 20 से 25 हजार रुपए तक की आय ट्रैक्टर से हो जाती है। अब तो खेती से भी आय होने लगी है।

सक्सेस स्टोरी (अनूपपुर)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश