Posted on 15 Jan, 2018 6:48 pm

उच्च शिक्षा मंत्री श्री जयभान सिंह पवैया ने कहा है कि प्रदेश में उच्च शिक्षण संस्थानों में गुणवत्ता सुधार कर उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के प्रयास किये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थान की लायब्रेरी और लेब में सुधार के लिये भी विशेष अभियान की आवश्यकता है। उच्च शिक्षा मंत्री श्री पवैया आज मंत्रालय में राज्य उच्च शिक्षा परिषद की पाँचवीं बैठक में बोल रहे थे। बैठक में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) में किये गये कार्यों की समीक्षा की गई। बैठक में अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा श्री दीपक खांडेकर और शिक्षाविद् भी मौजूद थे।

उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि लेग्वेंज लेब में केवल अंग्रेजी सुधार के लिए ही काम न हो बल्कि हिन्दी समेत अन्य भाषाओं के ज्ञान के विकास के लिए काम किया जाना चाहिये। उन्होंने उच्च शिक्षण संस्थानों में केन्द्र और राज्य सरकार से मिलने वाली आर्थिक सहायता राशि का समय पर उपयोग किये जाने के निर्देश दिये। बताया गया कि प्रदेश में वर्ष 2003 में 311शासकीय महाविद्यालय और 447 अशासकीय महाविद्यालय हुआ करते थे, जो बढ़कर वर्ष 2017 में 469 और 914 हो गये हैं। ग्रामीण क्षेत्रों तक उच्च शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से महाविद्यालय खोले जाने के प्रयास किये जा रहे हैं।

बताया गया कि रूसा परियोजना में विभिन्न कम्पोनेंट में 269 करोड़ की राशि का अनुमोदन किया गया है। नेक से हुए मूल्यांकन के बाद बी ग्रेड के 33 कॉलेजों और 3 विश्वविद्यालयों को आर्थिक मदद देने के लिये अनुमोदित किया गया है। बैठक में बताया गया कि पं. एस.एन. शुक्ला विश्वविद्यालय शहडोल को 55 करोड़ रुपये की अनुदान राशि जारी की गई है। राशि से स्वीकृत सभी कार्य अक्टूबर 2018 तक पूरे कर लिये जाएंगे।

शिक्षाविदों ने सुझाव दिया कि संभाग के कम से कम एक उच्च शिक्षण संस्थान में राष्ट्रीय स्तर की विषय विशेष पर कार्यशाला हो। कार्यशाला में मिलने वाले सुझाव का उपयोग गुणवत्ता सुधार के लिये किया जाये। आयुक्त उच्च शिक्षा श्री नीरज मंडलोई ने बताया कि विभाग में टीचिंग स्टाफ की कमी को दूर करने के लिये जून 2018 तक 3000 सहायक प्राध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया को पूरा कर लिया जायेगा।

बैठक में शिक्षाविद डॉ. देवेन्द्र दीपक, डॉ. प्रकाश बरतुनिया, डॉ.चित्रलेखा चौहान, डॉ. शशि राय, एस.एन. शुक्ला विश्वविद्यालय के कुलपति श्री मुकेश तिवारी मौजूद थे।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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