Posted on 23 Jun, 2018 3:30 pm

 

प्रदेश को उद्यानिकी के क्षेत्र में अग्रणी बनाने की दिशा में राज्य सरकार प्रयास कर रही है। विगत 13 वर्षों में उद्यानिकी फसलों जैसे फल-फूल, सब्जी, मसाला, औषधीय पौधों इत्यादि के माध्यम से उद्यानिकी के रकबे में लगभग 3 गुना वृद्धि हुई है। उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण विभाग की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से कृषकों को उच्च तकनीक की खेती करने के लिये अनुदान के माध्यम से प्रोत्साहित किया जा रहा है।

शहडोल संभाग के अनूपपुर जिले को उद्यानिकी के क्षेत्र में विकसित करने के लिये उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण विभाग द्वारा कृषकों को जागरूक किया गया है। विकासखण्ड कोतमा के ग्राम रेउसा के कृषक श्री धरमदास पिता रामखेलावन के पास कुल एक हेक्टेयर भूमि है, जिसमें से आधी जमीन पर कृषक द्वारा मिर्च फसल की खेती की गई, जिसमें ड्रिप/स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति तथा वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग किया गया। कृषक के अनुसार वह काफी लम्बे समय से मिर्च की खेती करता आ रहा है परंतु पहले केवल लागत के अलावा बहुत कम मुनाफा होता था परंतु उद्यान विभाग के अधिकारियों के सम्पर्क में आने के बाद उसने उन्नत प्रकार के बीज का उपयोग किया तथा ड्रिप सिंचाई एवं वर्मी कम्पोस्ट के माध्यम से प्रति एकड़ लगभग 1.37 लाख रुपये की आय होने लगी है, जो पहले से लगभग दोगुनी है। इससे प्रोत्साहित होकर कृषक उद्यानिकी के रकबे में वृद्धि करने की तैयारी कर रहा है। इसी प्रकार विकासखण्ड कोतमा के ग्राम बसखला के कृषक समयलाल पिता पूरन, जो पूर्व वर्षों में उद्यानिकी की खेती परम्परागत तरीके से करता था, उद्यान विभाग में अधिकारियों के सम्पर्क में आने के बाद विभाग में पंजीयन करवाया, जिससे उसे ड्रिप एवं मल्चिंग योजना का लाभ लेकर आधुनिक पद्धति से खेती करना शुरू किया तथा टमाटर के हाइब्रिड बीज एवं वर्मी कम्पोस्ट खाद का उपयोग कर 0.100 हेक्टेयर में टमाटर की खेती की, जिससे उसे लगभग 3 टन का उत्पादन प्राप्त हुआ, जिसे कृषक ने स्थानीय बाजार में बेचकर 60 हजार रुपये का मुनाफा कमाया है।

इस प्रकार राज्य सरकार की मंशानुसार उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण विभाग के सतत प्रयास एवं कृषकों से जीवंत सम्पर्क बनाकर विभागीय योजनाओं के माध्यम से कृषकों की आय दोगुनी करने की दिशा में सराहनीय कार्य किया गया है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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