Posted on 06 Jun, 2018 5:16 pm

 

झाबुआ जिले में थांदला ब्लॉक के आदिवासी बहुल गाँव सुतरेटी के किसान पुरुषोत्तम की पहचान अब क्षेत्र के प्रगतिशील किसान के रूप में हो रही है।

पुरुषोत्तम अब सीजन के अनुसार परम्परागत खेती के साथ ही तरबूज, मिर्ची, अदरक, प्याज, टमाटर, लहसुन, भिण्डी आदि फसलें नियमित रूप से ले रहे हैं। उद्यानिकी फसलों ने उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत बना दिया है।

जिस कृषि भूमि में पुरूषोत्तम परम्परागत रूप से खेती करते आ रहे थे, उसमें उन्हें 50 हजार रुपये तक नाममात्र की वार्षिक आमदनी हो पाती थी। उन्होंने इस संबंध में किसान कल्याण विभाग के मैदानी अमले से चर्चा की, तो उन्हें परम्परागत फसलों के साथ उद्यानिकी फसलें लेने की समझाइश दी गई। इसी के साथ, उद्यानिकी विभाग की ओर से उन्हें पुणे में अध्ययन भ्रमण करवाया गया। वहाँ उन्होंने ड्रिप एवं मल्चिंग पद्धति से टमाटर की उन्नत खेती देखी।

कृषक पुरुषोत्तम ने अध्ययन भ्रमण से लौटने के बाद अपने खेत में परम्परागत खेती के साथ ही उद्यानिकी फसलें भी ऊगाने का फैसला लिया। कृषक कल्याण और कृषि विकास से मिले ऋण और अनुदान की राशि से अपने खेत में ड्रिप सिस्टम लगवाया। सिंचाई सुविधा बढ़ाने के लिये खेत में कुआँ खुदवाया और ट्यूब-वेल लगवाया। अब कृषक पुरुषोत्तम की आमदनी 10 लाख रूपये सलाना तक पहुँच गई है।

आज कृषक पुरुषोत्तम के पास ट्रेक्टर, रोटावेटर और कल्टीवेटर जैसे अधुनिक कृषि यंत्र हैं। वे इसका उपयोग कृषि उत्पादन बढ़ाने में सतत रूप से कर रहे हैं।

सक्सेस स्टोरी (झाबुआ)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

Recent