Posted on 19 Feb, 2018 3:25 pm

सीहोर जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर स्थित कोरकू आदिवासी बहुल ग्राम है सारस। यह ग्राम लोहा पठार से लगा हुआ है। इसके दाहिनी ओर कोलार डेम है। आजादी के बाद यहां पर पहली बार प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में डामरीकृत सड़क बनी है। सड़क की लंबाई 8.00 किमी. एवं लागत रूपये 274.77 लाख है। इस सड़क के बनने से ग्राम सारस की 794 आबादी एवं ग्राम मगरपाट की 514 आबादी लाभान्वित हुई है।

पहले यह गांव सड़क विहीन था। यहां का रास्ता दुर्गम और जोखिम भरा था। आदिवासी बस्ती होने के बावजूद सड़क के अभाव में शासन की कोई भी विकास योजना गांव तक अपने वास्तविक रूप में नहीं पहुंच पा रही थी। वर्षाकाल में इस ग्राम का संपर्क मुख्य मार्ग से टूट जाता था। यहां तक कि ग्रामवासी स्वास्थ्य सुविधाओं से महरुम रह जाते थे।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना इस ग्राम के लिये वरदान बनकर आई, जिसके अंतर्गत ग्राम सारस को भोपाल कोलार मुख्य मार्ग से जोड़ दिया गया। साथ ही रास्ते में आने वाले नालों पर पुल-पुलियों का निर्माण किया गया। सड़क निर्माण के बाद ग्राम सारस के लोगों के लिये परम्परागत व्यवसायों के अतिरिक्त नई संभावनाओं के द्वारा भी खुले है। दुग्ध उत्पादन व्यवसाय से जुड़े शंकर सिंह कोरकू, रामलाल, जयसिंह का कहना है कि इस सड़क ने दुग्ध व्यवसाय को लाभकारी बना दिया है। अब वह किसी भी मौसम में शहर जाकर दूध बेच सकते है। पहले वर्षा ऋतु में धंधा बंद हो जाता था परन्तु पक्की सड़क बन जाने से बारह महीने आवागमन की सुविधा हो गई है।

सड़क बन जाने के बाद प्रशासन के लोग आसानी से गांव तक पहुंचने लगे हैं। शासन की कई योजनाओं की जानकारी और उनका क्रियान्वयन आसान हो गया है। पहले हैंडपम्प खराब होने या बिजली खराब होने पर उसमें सुधार का कार्य होने में महीनों लग जाते थे। अब अधिकारियों तक शिकायत पहुंचने पर यह कार्य तत्काल हो जाते हैं।

सड़क के कारण ग्राम में शिक्षक आसानी से पहुंच जाते हैं मध्यान्ह भोजन योजना का क्रियान्वयन भी आसानी से किया जा रहा है। गंभीर बीमारी अथवा प्रसव की स्थिति में मरीज को तुरन्त जिला अस्पताल सीहोर या भोपाल ले जाया जाता है जिससे कई जान बच जाती है। अब गांव तक आटो रिक्शा और अन्य वाहन चलने लगे हैं जिससे आवागमन भी आसान हो गया है। किसान अपनी फसल मंडी तक आसानी से ले जा रहे है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश