Posted on 01 Jun, 2018 3:39 pm

 

प्रदेश में किसान खेती में नई-नई तकनीक अपना रहे हैं, नये-नये प्रयोग कर रहे हैं। उन्हें नुकसान की चिन्ता नहीं है क्योंकि राज्य सरकार ने विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत खेती-किसानी में नुकसान की भरपाई की व्यवस्था कर दी है। कृषि आधारित उद्यम स्थापित करने में भी किसानों की विशेष रूचि दिखाई देने लगी है।

शहडोल जिले के जयसिंहनगर विकासखंड के गाँव मोहनी के किसान शिवप्रसाद सिंह ने जब से मेडागास्कर पद्धति से खेती करना शुरू किया है, तब से उन्हें 60 प्रतिशत से भी अधिक कृषि उत्पादन मिल रहा है। शिवप्रसाद ने यह पद्धति आत्मा परियोजना के अधिकारियों की सलाह पर अपनाई है। कृषक शिवप्रसाद पहले छिटकवा पद्धति से फसल उगाते थे। रासायनिक खादों का प्रयोग नहीं करते थे बल्कि खेतों में कच्चा गोबर और खाद डालते थे। इससे दीमक के प्रकोप के साथ खरपतवार और चारा भी अधिक होता था। इस कारण निन्दाई-गुढ़ाई का खर्च बढ़ जाता था।

खेती की मेडागास्कर पद्धति में कृषक शिवप्रसाद ने अपने खेत में उन्नत कृषि यंत्र सीड ड्रिल तथा जैविक खाद का उपयोग करना प्रारंभ किया। इसके अप्रत्याशित परिणाम मिले। खेती में कोनी वीडर का उपयोग किया। इससे दो हेक्टेयर में 175 क्विंटल धान का उत्पादन प्राप्त हुआ। चना और गेहूँ की फसल की कतारबद्ध बुआई की तो उत्पादन में 60 से 70 प्रतिशत वृद्धि हुई। कृषक शिवप्रसाद कृषि विभाग द्वारा अनुदान पर मिले सीड ड्रिल का अपने खेत में उपयोग करने के बाद अन्य किसानों को बुआई के लिये भी किराये पर देते हैं। इससे उन्हें हर फसल में लगभग 15 हजार रुपये की अतिरिक्त कमाई हो जाती है।

नीमच जिले के जावद विकासखंड के ग्राम हनुमंतिया के किसान प्रहलाद धाकड़ ने जब से कृषि बीज उत्पादन का व्यवसाय शुरू किया है, तब से इन्हें परम्परागत खेती की तुलना में अप्रत्याशित लाभ मिल रहा है। परम्परागत खेती में सीमित आय के कारण कृषक प्रहलाद ने बीज उत्पादन कार्यक्रम के अन्तर्गत राज्य सरकार से सहयोग प्राप्त किया। इन्होंने कृषि अधिकारियों की सलाह और सहायता से ' जय किसान बीज उत्पादक समिति' बनाई। गाँव के 21 किसानों को जोड़ा। वर्ष 2015-16 में पहली बाद 240 क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन किया। यह बीज बाजार में 5100 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बिका। इससे प्रहलाद की समिति को सब खर्च निकालकर एक सीजन में 3 लाख 84 हजार रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ। कृषक प्रहलाद धाकड़ ने स्वयं का बीज ग्रेडिंग प्लांट स्थापित किया है। इस प्लांट की मदद से इस वर्ष इन्होंने 600 क्विंटल गेहूँ बीज का उत्पादन प्राप्त किया है। अब अपने साथी किसानों को भी खेती में इस प्रकार के उद्योग लगाने की सलाह देते हैं।

छतरपुर जिले में नौगांव- बिलहरी रोड़ पर कीर्ति पिपरसानिया कस्टम हायरिंग सेन्टर चलाती हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त कीर्ति ने नौकरी करने की बजाय यह व्यवसाय शुरू करने का निर्णय लिया, तो राज्य कृषि यांत्रिकीकरण योजना ने उनकी मदद की। योजना में कीर्ति को 10 लाख रुपये का ऋण मिला। आज कीर्ति का कस्टम हायरिंग सेन्टर किसानों के लिये मददगार बन गया है यहाँ पर मुख्यत: छोटे ओर मझौले किसानों को कृषि कार्य के लिये किफायती किराये पर आवश्यकतानुसार ट्रेक्टर, थ्रेशर, रोटावेटर, कल्टीवेटर, प्लाऊ और अन्य कृषि उपकरण उपलब्ध करवाये जाते हैं। क्षेत्र में कीर्ति पिपरसानिया अब किसानों की कृषि दीदी बन गई हैं।

सक्सेस सटोरी ( शहडोल, नीमच, छतरपुर)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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