Posted on 18 Jun, 2018 5:18 pm

 

छिन्दवाड़ा जिले में किसानों को परम्परागत फसलों के साथ उद्यानिकी फसलें भी लेने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिन किसानों ने उद्यानिकी फसलों को अपनाया है, उनकी आर्थिक समृद्धि का जरिया बन गयी हैं उद्यानिकी फसलें। इसी क्रम में कृषक नामदेव पवार ने खरबूज की खेती से समृद्धि हासिल कर ली हैं।

छिन्दवाड़ा जिले के परासिया विकासखण्ड के ग्राम रिधौरा में खेती करते हैं किसान नामदेव पवार। इन्होंने खरबूज की फसल से इस वर्ष करीब 7 लाख 50 हजार रूपये का शुद्ध मुनाफा कमाया है। नामदेव के पास करीब 3.22 हेक्टेयर कृषि भूमि है। वे साल में तीन हेक्टेयर भूमि में खरीफ, रबी और जायद की फसल लेते है। खेत में तरह-तरह के प्रयोग भी करते हैं। उनका परिवार लम्बे समय से परम्परागत फसल लेता रहा है। खेती की आय बढ़ाने के लिये उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से चर्चा की, तो उन्हें उद्यानिकी फसलों के साथ-साथ उन्नत तकनीक और कृषि यंत्रों के बारे में भी जानकारी मिली। आज नामदेव के पास ट्रेक्टर, रोटावेटर, पोटेटो प्लांटर और कल्टीवेटर यंत्र है। वे अपने खेत में मल्चिंग पद्धति का भी उपयोग करते हैं।

कृषक नामदेव आलू, प्याज, तरबूज की फसल तो ले ही रहे थे, उन्हें खरबूज की फसल के बारे में भी जानकारी मिली कि यह फसल 60 से 65 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। उन्होंने उद्यानिकी विभाग की सलाह से ड्रिप सिस्टम और मल्चिंग पद्धति का उपयोग करते हुए 7.50 एकड़ में खरबूज की फसल लगायी। उन्हें प्रति एकड़ 60 हजार रूपये की लागत आयी। नामदेव को प्रति एकड़ 16 से 18 टन खरबूज की पैदावार मिली। उन्होंने मात्र 10 रूपये प्रति किलो के मान से खरबूज की बिक्री। प्रति एकड़ एक लाख 60 हजार रूपये की दर से 7.50 एकड़ में प्राप्त उपज की बिक्री पर किसान नामदेव को 12 लाख रूपये मिले इसमें करीब 4 लाख 50 हजार रूपये की लागत घटाने के बाद उन्हें 7 लाख 50 हजार रूपये का शुद्ध मुनाफा हुआ।

किसान नामदेव अब अपने क्षेत्र में प्रगतिशील किसान के रूप में पहचाने जाते हैं। वे अपने क्षेत्र के किसानों को परम्परागत फसलों के साथ उद्यानिकी फसल भी लेने के लिये निरन्तर प्रेरित कर रहे है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश