Posted on 18 Jan, 2018 3:40 pm

सीहोर जिले के इछावर विकास खंड के ग्राम सेवनिया के मध्यम श्रेणी कृषक प्रहलाद सिंह वर्मा पहले अपनी 25 एकड़ जमीन पर सामान्य तरीके से कृषि करते थे। मुख्य फसल के रूप में दलहनी एवं खाद्यान्न फसलें लेते थे तो उपज साधारण मिलती थी। सेवनिया गांव कृषि विभाग द्वारा जैविक ग्राम के रूप में चयनित किया गया है।

श्री पिछले साल कृषक प्रहलाद कृषि विकास के आत्मा अधिकारियों के सम्पर्क में आए और आत्मा योजना की गतिविधियाँ कृषक संगोष्ठी, कृषि प्रदर्शन, किसान खेत पाठशाला आदि में सम्मिलित हुए तथा प्राप्त तकनीकी सलाह एवं मार्गदर्शन अनुसार कार्य करना शुरू किया। पहले वर्ष हरि खाद के रूप मैं ढ़ैचा फसल 2 एकड़ में बोयी, उसके बाद चने की फसल की बोनी की। इससे प्रति एकड़ 10 क्विंटल उपज प्राप्त हुई। पूर्व के वर्षों में इन्हें केवल 5-6 क्विंटल प्रति एकड़ उपज ही मिलती थी।

कृषक प्रहलाद ने अपने खेत में 3 घन मीटर का बायो गैस संयंत्र लगवाया है। इससे परिवार की जरूरत के लिए ईधन की पूर्ति भी होती है। संयंत्र लगवाने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति में अप्रत्याशित बदलाव आया है। पहले उनके घर की महिलाएं दिन में जंगल से लकड़ी लाकर घर के लिए ईधन जुटाती थीं। बायो गैस से निकलने वाली स्लरी को खेतों में खाद के रूप में उपयोग से फसलों एवं सब्जियों के उत्पादन में बहुत लाभ मिला है।

अब प्रहलाद कीटों एवं अन्य बीमारियों की रोकथाम के लिए गौमूत्र, नीम का काढ़ा, पंचामृत, सड़ा हुआ मठा आदि का उपयोग जैविक खेती के लिये करते हैं। इनके गांव में खरीफ और रबी में जैविक खेती के प्रशिक्षण हुए जिससे गांव की कृषक महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। तब से गांव में प्रशिक्षित कृषक महिलाएं साग-भाजी की फसल में जैविक खाद एवं जैविक कीटनाशी का प्रयोग करती हैं। इससे इन्हें कम लागत में अधिक मुनाफा मिल रहा है।

कृषक प्रहलाद सिंह वर्मा वर्ष-2010 में कृषि क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ कृषक पुरस्कार से सम्मानित किये गये हैं। अब गांव को राज्य स्तरीय जैविक ग्राम की श्रेणी में लाने के लिये यहां के किसान भरपूर मेहनत कर रहे हैं।

सक्सेस स्टोरी (सीहोर)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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