Posted on 18 Jan, 2018 6:45 pm

गुना शहर से 4 कि.मी. दूर एक छोटे से गांव माघोपुर में शिव सिंह रघुवंशी की 8 हेक्टेयर ऊबड़-खाबाड़ बंजर पैतृक भूमि बेकार पड़ी थी। इस जमीन को हरा-भरा करना मुश्किल था। बी.एस.सी. स्नातक शिव सिंह कुछ समय पहले ही दुबई और मलेशिया गये थे। वहां उन्होंने देखा कि ड्रिप सिंचाई सिस्टम से फूलों के बगीचे सभी के आकर्षण का केन्द्र बन गए हैं। उन्हें अहसास हुआ कि जब दुबई के रेगिस्तान में ड्रिप सिंचाई से फूलों को खिलाया जा सकता है, तो ऊबड़-खाबड़ भूमि पर ड्रिप सिंचाई ने खेती करना कौन सा मुश्किल काम है। इस अहसास ने शिव सिंह की मानसिकता को बंजर भूमि पर खेती-किसानी की तरफ मोड़ दिया।

शिव सिंह ने बंजर भूमि को उपजाऊ भूमि में बदलने का फैसला किया। उन्होंने उद्यानिकी फसलें लेने की योजना बनाई और उद्यानिकी विभाग के अफसरों से चर्चा की। वर्ष 2015 में शिव सिंह को अनुदान पर प्रधानमंत्री कृषि योजना में ड्रिप, सिंचाई राज्य योजना में छोटा ट्रैक्टर, सब्जी क्षेत्र विस्तार योजना में सब्जी के बीज, मसाला क्षेत्र विस्तार योजना में शंकर मिर्च के बीज और तकनीकी मार्गदर्शन मिला। उनकी पैतृक भूमि पर टयूबवेल पहले से ही लगा था।

युवा कृषक शिव सिंह ने टमाटर, मिर्च, लहसुन से बंजर भूमि पर खेती की शुरूआत की। ड्रिप सिस्टम से खेत में सिंचाई की तो मिट्टी की ऊबड़-खाबड़ बंजर पट्टियों पर हरियाली छा गई। पहली बार में ही शिव सिंह के टमाटर 14 लाख रूपये में बिके और मिर्च 8 लाख 40 हजार रूपये में बिकी तथा लहसुन से साढ़े चार लाख रूपये की आमदनी हुई। शिव सिंह के लिए यह शानदार आमदनी थी। इसके बाद शिव सिंह ने टमाटर, मिर्च, प्याज और गोभी से 20 लाख रूपये कमाए। फिर उन्हें करेला, टमाटर, तुअर, मक्का, प्याज से 16 लाख 20 हजार रूपये की आमदनी हुई। शिव सिंह की आमदनी अब बढ़ती ही जा रही है।

अब कृषक शिव सिंह ने अपनी कमाई से रोटावेटर, पानी का पाईप और ट्राली भी खरीद ली है। खेत में सड़क बनवाई है। तालाब भी खुदवा लिया है। खुद का मकान बना लिया है और टयूबवेल भी लगवा लिया है। शिव सिंह को खेती से लगाव हो गया है। अब उन्होंने ठेके पर भी 100 बीघा जमीन ले ली है। वे प्रति दिन लगभग 15 मजदूरों को अपने खेत पर काम दे रहे हैं।  

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

Recent