Posted on 20 Feb, 2018 4:22 pm

नमामि देवी नर्मदे- नर्मदा सेवा यात्रा के अंतर्गत नर्मदा किनारे के प्रत्येक गांव में नर्मदा सेवा समितियों का गठन किया गया है। अब ये समितियां नर्मदा के संरक्षण व संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। ऐसी ही एक समिति विकासखंड नरसिंहपुर के नर्मदा तट के ग्राम हीरापुर में गठित की गई थी। यह समिति नर्मदा में आने वाले हरित शैवाल/ जलकुंभी- टेबोला को नर्मदा जल में जाने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, ताकि नर्मदा का जल प्रदूषित न हो। नर्मदा सेवा समिति हीरापुर के सदस्यों ने नर्मदा में मिलने वाली हिरन नदी में आने वाले हरित शैवाल को रोकने के लिए श्रमदान करके एक हजार बोरियों से बंधान बना दिया है।

उल्लेखनीय है कि नर्मदा नदी में मार्च से जुलाई के बीच जलकुंभी- टेबोला/ हरित शैवाल जबलपुर के परियट से हिरन नदी के जरिये नर्मदा में बहकर आती है। पिछले वर्ष भी हरित शैवाल नर्मदा में आई थी, जिसे नर्मदा सेवा समिति हीरापुर के सदस्यों ने स्थानीय ग्राम स्तर पर ही उपलब्ध संसाधन खड़ेरा (तुअर की फसल के अवशेष) और तार से जाल बनाया था और हिरन नदी के मुहाने पर लकड़ी के खम्बे के सहारे जाल लगाकर शैवाल को नर्मदा में जाने से रोक दिया था। समिति के सदस्य चाहते हैं कि नर्मदा जल में शैवाल न जा पाये। उनकी यह कोशिश रंग भी ला रही है। पिछले वर्ष समिति की इस सराहनीय पहल पर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान समिति के अध्यक्ष राजाकौशलेन्द्र सिंह जूदेव को हीरापुर में आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित भी कर चुके हैं।

इसी क्रम में इस वर्ष हरित शैवाल के नर्मदा में बहकर आने की आशंका को देखते हुए इसे रोकने के लिए कलेक्टर अभय वर्मा और सीईओ जिला पंचायत आरपी अहिरवार ने नर्मदा सेवा समिति हीरापुर के सहयोग से शैवाल को रोकने की कार्य योजना तैयार करने के निर्देश जनअभियान परिषद के जिला समन्वयक जयनारायण शर्मा को दिये थे। इस संबंध में श्री शर्मा ने नर्मदा सेवा समिति हीरापुर के सदस्यों की बैठक लेकर कार्य योजना तैयार की और इसके सदस्य एवं ग्रामीणजन बोरी बंधान बनाने में जुट गये और एक हजार बोरियों से बंधान बना दिया।

मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद के जिला समन्वयक जयनारायण शर्मा ने बताया कि हिरन नदी से जलीय वनस्पति शैवाल जिसे जलकुंभी व चोई के नाम से भी जाना जाता है, नर्मदा जल में मिलने की बात पता चलने पर उन्होंने संबंधित क्षेत्र की नर्मदा सेवा समिति हीरापुर और ग्राम विकास प्रस्फुटन समिति के सदस्यों की बैठक लेकर शैवाल को रोकने की कार्य योजना बनाई। इन समितियों द्वारा हरित शैवाल को संगम स्थल के समीप हिरन नदी के मुहाने पर नदी में रोकने के लिए एक हजार बोरियों से बंधान बना दिया गया है। इस बोरी बंधान से अब नर्मदा में हरित शैवाल बहकर नहीं आ पायेगी। इस बोरी बंधान से रोकी गई हरित शैवाल को निकालकर जैविक खाद भी तैयार करने की कार्य योजना बनाई गई है। समिति की यह सराहनीय पहल नर्मदा संरक्षण व स्वच्छता के लिए गठित जिले की 70 नर्मदा सेवा समितियों के लिए प्रेरणा देने में मील का पत्थर साबित होगी।

सक्सेस स्टोरी (नरसिंहपुर )

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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