Posted on 21 May, 2016 2:45 pm

पवित्र क्षिप्रा में लगभग 50 लाख श्रद्धालुओं ने स्नान कर पुण्य लाभ लिया

विश्व के सबसे बड़े धार्मिक समागम में श्रद्धालुओं का महासंगम 

भोपाल : शनिवार, मई 21, 2016, 14:23 IST
 

सिंहस्थ महापर्व के अंतिम शाही स्नान में हजारों साधु-संतों का उज्जैन के दत्त अखाड़ा घाट एवं रामघाट सहित विभिन्न घाटों पर रात्रि 3 बजे से सुव्यवस्थित रूप से निर्धारित समय पर आगमन शुरू हुआ। साधु-संत बड़ी धूमधाम से अपने-अपने अखाड़ों से घोड़ा-हाथी तथा बेण्ड-बाजों के साथ रथ पर सवार होकर क्षिप्रा के रामघाट एवं दत्त अखाड़ा घाट के तटों पर पहुँचे और उन्होंने अमृत स्नान कर पुण्य लाभ लिया। जिला प्रशासन एवं मेला प्रशासन द्वारा की गयी चाक-चौबंद व्यवस्था से साधु-संतों ने पूरी सुविधा के साथ स्नान किया।

दत्त अखाड़ा एवं क्षिप्रा का पावन तट रात्रि में भी चमचमाता हुआ दिखाई दिया। रास्ते में लाखों श्रद्धालु ने साधु-संतों के देखने के लिए टकटकी लगाये रहे और उनका अभिवादन किया। अखाड़े के महंतों ने भी श्रद्धालुओं का हाथ हिलाकर अभिवादन स्वीकार किया। तटों पर साधु-संतों एवं उनके अनुयायियों ने शस्त्र कलाओं का प्रदर्शन कर सभी को अचंभित किया। प्रशासन द्वारा निर्धारित किये गये समय के अनुरूप अखाड़े के साधु-संतों ने शाही स्नान किया और फिर नाचते गाते हुए अपने मुकाम की ओर रवाना हुए। उस समय का दृश्य श्रद्धालुओं के लिये यादगार क्षण बना।

सिंहस्थ महापर्व के अंतिम शाही स्नान के दौरान साधु-संतों के अमृत स्नान के बाद देश-विदेश के लगभग 40 से 50 लाख श्रद्धालु ने दत्त अखाड़ा, रामघाट सहित विभिन्न घाटों में आस्था एवं विश्वास की डुबकी लगायी। महाकाल की नगरी उज्जैन का नजारा विश्व के सबसे बड़े समारोह जैसा दिखाई दिया। असहाय, दिव्यांग, बुजुर्गों को कंधा देते हुए श्रद्धाभाव से अमृत स्नान करवाने में श्रद्धालुओं ने सहयोग दिया।

ग्राम नौखढ़ जिला सतना के शिव भक्त श्री गणेश शुक्ला, पत्नी श्रीमती सुलोचना शुक्ला, शिवपर्वा के श्री तरूणेन्द्र द्विवेदी, अनूपपुर से आये महाकाल के भक्त श्री रामलखन तिवारी, छत्तीसगढ़ के ग्राम सूरजपूर से आये रामविलास पाण्डे ने बताया कि टेलिविजन, अखबारों में उज्जैन के महाकाल एवं क्षिप्रा माँ की गाथाएँ पूर्व में तथा हाल ही में देखा करता था। तभी से महाकाल का दर्शन एवं माँ क्षिप्रा में अमृत स्नान एवं आचमन करने के लिये सपरिवार आने की योजना बनायी थी।

श्रीमती सुलोचना शुक्ला ने बताया कि जितना सोचा नहीं था उससे कहीं लाखों गुना आनंद महाकाल की नगरी उज्जैन में स्नान और दर्शन से हुआ है, जो अगली पीढ़ी तक याद दिलाता रहेगा। उज्जैन का विहंगम दृश्य एवं श्रद्धालुओं के महासंगम से सिंहस्थ को अमृतरूपी वर्षा के रूप में महसूस किया गया।

संदीप कपूर/सी.एल.पटेल

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