Posted on 07 Jun, 2018 3:41 pm

 

मध्यप्रदेश में पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा नीमच, इंदौर, देवास, खंडवा और धार में करीब 250 स्थानों पर सौर ऊर्जा के छोटे संयंत्र लगाकर घरों में बिजली पहुँचाई गई है। आदिवासी बसाहट के मजरा- टोलों की दूरी सामान्य बिजली लाइनों से दो से चार किलोमीटर होने एवं घरों की संख्या दो-चार होने पर सौर ऊर्जा की मदद ली गई है। इन घरों में दो बल्ब और एक छोटा पंखा सौर ऊर्जा से प्राप्त बिजली से चलाया जा सकता है।

सौभाग्य योजना से उज्जैन संभाग इस माह सौभाग्य संभाग बन गया है। इंदौर राजस्व संभाग के शेष पांच जिले जून माह के अंत तक सौभाग्य जिले बन जाएंगे, शेष जिलों में कुल 25 हजार बिजली कनेक्शन दिए जाना शेष है।

पश्चिम क्षेत्र के सभी पंद्रह जिलों में सौभाग्य योजना के तहत कनेक्शन देने के लिए गत अक्टूबर माह में विशेष टीमें बनाई गईं। अब तक कंपनी के दस जिले इंदौर, धार, देवास, उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, नीमच, आगर, खंडवा, शाजापुर सौभाग्य जिले घोषित हो चुके हैं। कंपनी द्वारा 3 लाख 95 हजार कनेक्शन जारी किये जा चुके है, जबकि शेष पांच जिले झाबुआ, अलीराजपुर, खरगोन, बड़वानी, बुरहानपुर में कुल 25 हजार कनेक्शन और दिए जाना शेष है। इस माह के अंत तक ये पाँच जिले भी सौभाग्य जिले हो जाएंगे। इन जिलों में और दिए जाने वाले कनेक्शनों में बड़वानी में 8 हजार, खरगोन में 7 हजार, झाबुआ में ढाई हजार, अलीराजपुर में 3 हजार तथा बुरहानपुर में ढाई हजार कनेक्शन और जारी किए जाना हैं। शेष पांचों जिलों के कनेक्शन को मिलाकर 4 लाख 20 हजार कनेक्शन जारी कर पूरी पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ही सौभाग्यमय बन जाएगी। यह प्रदेश की पहली एवं देशभर में सौभाग्य मामलों में तीन-चार बिजली बोर्ड एवं कंपनी में उपलब्धि पाने वाली घोषित हो जाएगी।

सौभाग्य योजना से कम्पनी के पश्चिम क्षेत्र में अब तक करीब चार लाख कनेक्शन उन लोगों को जारी किए गए हैं, जिनके मकान या परिवार के पास अपना स्वयं का बिजली कनेक्शन नहीं था। इस तरह पच्चीस लाख (परिजनों) अतिरिक्त लोगों तक कंपनी ने बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की है।

सौभाग्य योजना के क्रियान्वयन एवं समय पर लक्ष्य पूरा करने के लिए जहां पश्चिम क्षेत्र कंपनी ने सभी जिलों में कुल पांच हजार कर्मचारी, अधिकारी तैनात किए हैं, वहीं करीब डेढ़ लाख किलोमीटर तार से नई लाइनें भी बिछाई गई हैं। अब तक 60 हजार से ज्यादा बिजली के खंभों का इस्तेमाल सौभाग्य योजना के लिए किया जा चुका हैं।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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