Posted on 09 Jan, 2018 5:52 pm

पुरातत्व आयुक्त श्री अनुपम राजन ने राज्य संग्रहालय, श्यामला हिल्स, भोपाल में 'शिवलिंगम' छायाचित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ किया। आठ दिवसीय यह प्रदर्शनी 6 जनवरी तक लगेगी। आम जन सुबह 10.30 बजे से 5.30 बजे शाम तक अवलोकन कर सकते हैं।

'शिवलिंगम' छायाचित्र प्रदर्शनी आकर्षण

शिवलिंग शिव का प्रतीक है, जो उनके निश्छल ज्ञान और तेज को प्रतिबिम्बित करता है। शिव का अर्थ है 'कल्याणकारी, लिंग का अर्थ है- 'सृजन'। सृजनहार के रूप में और उत्पादकता शक्ति के रूप में लिंग की पूजा होती है। स्कंध पुराण में लिंग का आशय 'लय' (प्रलय) बताया गया है। प्रलय के समय अग्नि में सब भस्म होकर शिवलिंग में समा जाता है और सृष्टि के आदि में लिंग से सब प्रकट होता है। लिंग मानव सभ्यता के प्राचीन धार्मिक प्रतीक में से एक है।

शिवलिंग की महत्ता, उसकी रचना, दुर्लभता के साथ स्थापित स्थल पर भी निर्भर करती है। शिवलिंगों के कई रूपों का निर्माण विभिन्न कालक्रमों में किया गया है। प्राकृतिक रूप से नदी के बहाव के साथ अद्भुत शिवलिंगों का निर्माण होता है। सिंधु घाटी की सभ्यता से लेकर इतिहास में सामान्य शिवलिंग, एकमुखी शिवलिंग, चतुर्मुखी शिवलिंग, पंचमुखी शिवलिंग और अष्टमुखी आदि शिवलिंग निर्मित हुए हैं। लिंगाकृति में कभी-ब्रह्मा, विष्णु, महेश, सूर्य तो कभी पार्वती, गणेश या नन्दी आदि की प्रतिमाओं की रचना की गई है। इन्हीं सभी प्रतिमाओं को लेकर शिवलिंग, मुखलिंग एवं लिंगोद्भव प्रतिमाओं पर केन्द्रित तकरीबन 70 छायाचित्रों की प्रदर्शनी राज्य संग्रहालय श्यामला हिल्स भोपाल के प्रदर्शनी कक्ष में लगाई गई है।

उल्लेखनीय है कि सानफ्रांसिस्को के संग्रहालय की 4-5वीं शती ई. की शिव की जटाधारी प्रतिमा, इसी काल का विदिशा में उदयगिरि का मनोहारी एक मुखलिंग, 5वीं से 6वीं शती ई. की मध्यप्रदेश की ही एकमुखी शिवलिंग प्रतिमाएँ इस प्रदर्शनी में देखी जा सकती है, जो खोह, भूमरा, नचना आदि स्थलों से प्राप्त हैं। इसी तरह उत्तरप्रदेश के मथुरा की अद्भुत मुखलिंगी प्रतिमाएँ भी प्रदर्शनी का आकर्षण हैं।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश