Posted on 25 Jun, 2018 4:39 pm

 

फलोउद्यान एवं सब्जी की खेती से पवई विकासखण्ड के ग्राम महेन्द्रा निवासी बाला प्रसाद कटेहा की किस्मत बदल गयी है। वे 2 हेक्टेयर भूमि पर खेती करने वाले एक साधारण किसान थे। उन्हें उद्यान विभाग से फलोउद्यान स्थापित करने के लिए सहायता मिली। इससे उन्होंने एक हेक्टेयर जमीन पर केला, टिशू कल्चर पौधों का ड्रिप के साथ रोपण किया। इस पर उद्यान विभाग द्वारा 90 हजार रुपये का अनुदान दिया गया। इसी प्रकार अनार, टिशू कल्चर, आम के पौधों का रोपण किया गया है। इस पर उद्यान विभाग द्वारा 22500 एवं 18000 रुपये का अनुदान दिया गया। इसके अलावा कृषक द्वारा टमाटर, मिर्च, बैगन, पत्तागोभी, गाजर, पालक, धनिया आदि की खेती करने के साथ-साथ अमरूद, आंवला, नींबू, पपीता, कटहल आदि के पौधे लगाए गए। इसके अलावा कृषक द्वारा उद्यान विभाग से 50 मै. टन भण्डारण क्षमता का प्याज भण्डारण गृह का निर्माण कराया गया । इसके निर्माण से प्याज का भण्डारण किया जा सकेगा।

वर्तमान में उद्यानिकी की खेती से 3 लाख रुपये की आमदनी होने लगी है। किसान द्वारा बताया गया है कि पन्ना जिलें में भी आसानी से केले की खेती की जा सकती है। उन्होंने जिले के किसानों से अपील करते हुए कहा कि केले की खेती से अच्छी कमाई की जा सकती है। केला फल एवं सब्जी दोनों के लिए उपयोगी है। कच्चे केले का चूर्ण, चिप्स, पापड़, हलवा, जूस आदि तैयार करने की इकाई स्थापित कर लघु उद्योग स्थापित किया जा सकता है। इस उद्योग से भी अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। उनका कहना है कि केले में कार्बोहाईड्रेट पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। जिससे मानव स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है। इसके अलावा केले के पत्ते व फल धार्मिक कार्यो में उपयोग किए जाते हैं। जिससे भी लाभ मिल सकता है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

Recent