Posted on 02 Jun, 2018 4:54 pm

 

भोपाल और सागर चिकित्सा महाविद्यालय में टेंपोरल बोन लैब की स्थापना की जा रही है। एक करोड़ सात लाख रूपये लागत की ये लैब केन्द्र के नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रिवेंशन एण्ड कंट्रोल ऑफ डेफनेस (NPPCD) के तहत खोली जा रही है। यह प्रदेश में अपनी तरह की पहली लेब होगी। केन्द्र सरकार के सहयोग से चिकित्सकों को ऑपरेशन का प्रशिक्षण देने के लिये यह लैब स्थापित की जा रही है।

लैब में चिकित्सक टेंपोरल बोन पर अभ्यास कर पायेंगे और ऑपरेशन की नई तकनीक को विकसित कर सकेंगे। टेंपोरल बोन में ड्रिल कर ना सिर्फ कान के भीतरी भाग, बल्कि मस्तिष्क के ट्यूमर्स तक पहुँचकर निकाला जा सकता है। लैब में अभ्यास के लिये संबंधित चिकित्सा महाविद्यालय के एनाटॉमी एवं एफएमटी विभाग के समन्वय से मृतक के शरीर से टेंपोरल बोन ली जायेगी।

प्रदेश में अभी टेंपोरल बोन की बीमारी से पीड़ित मरीजों को इलाज के लिये राज्य से बाहर जाना पड़ता है। इस लैब के शुरू हो जाने से प्रदेश में ही प्रशिक्षित चिकित्सक की सेवा से मरीज का इलाज हो सकेगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार देश में करीब 6.3 प्रतिशत लोग बहरेपन का शिकार होते हैं। बहरेपन के कारण 0.1 प्रतिशत लोग विकलांगता में जीवन व्यतीत करते हैं। बहरेपन के बहुत से कारण है, जिन्हें रोका जा सकता है। कई बार इलाज के लिये ऑपरेशन की आवश्यकता होती है। कान शरीर का ऐसा भाग है, जो मस्तिष्क में महत्वपूर्ण कोशिकाओं से घिरा है। कान के जटिल ऑपरेशन के लिये स्कल में टेंपोरल बोन नामक हड्डी में ड्रिल कर कान के भीतरी भाग में पहुँचा जाता है। यह प्रक्रिया बहुत ही सावधानी से की जाती है, जिससे कान के आसपास के अंदरूनी नाजुक भाग को चोट नहीं पहुँचे।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश