Posted on 08 Dec, 2018 8:30 pm

राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि टी.बी. अब लाइलाज बीमारी नहीं है। नियमित दवाओं के सेवन से इस रोग से मुक्त हुआ जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बीमारी से वर्ष 2030 तक मुक्त होने की बात कही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2025 से भारत को टी.बी. मुक्त करने की घोषणा की है। तय समय सीमा में हम सभी को इस लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रयास करना है। राज्यपाल ने आज राजभवन में आयोजित टी.बी. एसोसियेशन की बैठक में यह बात कही। उन्होंने कहा कि आज जब हम अपना लक्ष्य तय करेंगे, तभी तय समय में तय काम कर पायेंगे।

बैठक में ईदगाह हिल्स टी.बी. अस्पताल के डाक्टर्स के साथ-साथ इंजीनियरिंग संस्थान और एन.जी.ओ. के लगभग बीस प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इन संस्थानों ने लगभग 180 बच्चों को गोद लेकर उन्हें इस रोग से मुक्त कराने का संकल्प  लिया। बैठक में उपस्थित सदस्यों ने सुझाव भी दिये। भोपाल उत्सव मेला समिति के अध्यक्ष श्री संतोष अग्रवाल ने एक जनवरी से आयोजित भोपाल उत्सव मेला में टी.बी. पीड़ित बच्चों और उनके परिजनों को झूला और अन्य मनोरंजन के साधन की नि:शुल्क सेवा देने की पेशकश की। इसके अलावा स्वास्थ्य शिविर लगाने का भी प्रस्ताव रखा। बैठक में तय हुआ कि सभी सदस्य 10 से 20 की संख्या में 14 वर्ष तक के बच्चों को गोद लेकर उनकी देखभाल में सहयोग करेंगे।

उल्लेखनीय है कि श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने राज्यपाल पद की शपथ लेने के बाद सबसे पहले टी.बी. एसोशिएशन की बैठक लेकर टी.बी. पीड़ित बच्चों को गोद लेने की पहल की थी। राजभवन में राज्यपाल सहित वरिष्ठ अधिकारियों ने पाँच बच्चों को गोद लिया था। इसके बाद से यह सिलसिला जारी है। राज्यपाल म.प्र. में जहाँ भी जाती हैं, वहाँ के प्रशासन और गणमान्य नागरिकों से बच्चों को गोद लेने की अपील करती हैं। परिणाम स्वरूप प्रदेश के लगभग 30 जिलों में यह कार्य एक अभियान की तरह चल रहा है। राज्यपाल अपने स्वागत में फूलों की जगह फल लेती हैं और उन्हें आंगनबाड़ी तथा टी.बी. पीड़ित बच्चों में बटवाँ देती हैं। राज्यपाल की इस सकारात्मक पहल की बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों ने सराहना करते हुए उन्हें यथाशक्ति सहयोग का आश्वासन दिया।

बैठक में एल.एन.सी.टी., वैष्णवी ग्रुप, आइपर कॉलेज, मित्तल कॉलेज, आई.ई.एस. ग्रुप, मिलेनियम ग्रुप के अलावा गुरूनानक चेरिटेबल ट्रस्ट, आधार ज्ञान दात्री समिति के सदस्यों ने भी सुझाव दिये।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश​​

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