Posted on 23 Jul, 2016 5:41 pm

विकासशील, विकसित विश्‍व ने ग्‍लोबल वार्मिंग में बढ़ोतरी को सीमित करने के लिए उच्‍च ग्‍लोबल वार्मिंग क्षमता एचएफसी से दूरी बनाने के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई 

भारत ने एचएफसी पर प्रमाण योग्‍य डाटा रखने के महत्‍व को रेखांकित किया
 

 

विकासशील एवं विकसित विश्‍व के सभी दलों ने ग्‍लोबल वार्मिंग में बढ़ोतरी को सीमित करने के लिए उच्‍च ग्‍लोबल वार्मिंग क्षमता एचएफसी से दूरी बनाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। सभी दलों ने मॉंट्रियल प्रोटोकॉल, जो वियना में वर्तमान में चल रहा है, के प्रति दलों के खुले कार्य समूह की 38वीं बैठक में विचार-विमर्श करना प्रारंभ कर दिया है और यही गैर- अनुच्‍छेद 5 एवं अनुच्‍छेद 5 दलों की आधार रेखा का मुख्‍य मुद्दा है। दलों ने रेखांकित किया है कि प्रमाण योग्‍य ऐतिहासिक डाटा की अनुपस्थिति गैर- अनुच्‍छेद 5 एवं अनुच्‍छेद 5 देशों के लिए आधार रेखा की स्‍थापना करना एक चुनौती है। 

भारतीय शिष्‍टमंडल ने आधार रेखा की गणना करने और आधार रेखा वर्षों पर निर्णय करने के लिए एचएफसी पर प्रमाण योग्‍य डाटा रखने के महत्‍व को रेखांकित किया। चूंकि बिना वस्‍तुपरक प्रमाण योग्‍य डाटा के अतीत में आधार रेखा का रखा जाना तार्किक नहीं है, इसके अभाव में भविष्‍य में मुश्किल पेश आएगी और अनिश्‍चितताओं के साथ कार्य करना पड़ेगा। 

इसके अतिरिक्‍त, भारत ने मॉंट्रियल प्रोटोकॉल के बहुपक्षीय फंड (एमएलएफ) की पारदर्शिता और लचीलेपन को बढ़ाने के लिए एक कॉन्फ्रेंस रूम पेपर (सीआरपी) भी प्रस्‍तुत किया है। एमएलएफ ओजोन क्षरण तत्‍वों से पहले के पारगमन को समर्थन देने में प्रमुख रहा है और इसे पर्यावरण प्रभावों को कम करने के लिए एक मात्र वैश्विक श्रेणी वित्‍तीय हस्‍तांतरण तंत्र के रूप में मिली सफलता के लिए व्‍यापक रूप से जाना जाता है। बहरहाल, विकासशील देशों के पहले के अनुभवों के आधार पर इस बेहद महत्‍वपूर्ण तंत्र के लचीलेपन एवं पारदर्शिता को लेकर आशंकाएं बनी रही है। भारतीय प्रतिवेदन निम्‍नलिखित पर जोर देता है: 

1.लचीलेपन के सिद्धांतों को सम्मिलित करने के लिए दिशानिर्देश विकसित करना, 2. वृद्धि संबंधी लागत की गणना करने के लिए पद्धतियों की समझ को बेहतर करना, 3. ऊर्जा प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए लागत दिशा निर्देश विकसित करना, 4. किसी भी नई प्रतिबद्धता को समर्थन देने के लिए संस्‍थागत मजबूती को बढ़ाना एवं 5. सुरक्षा मुद्दों पर गौर करने हेतु क्षमता निर्माण के लिए तकनीकी सहायता को प्राथमिकता देना। 

एचएफसी के उत्‍पादन एवं उपभोग पर वास्‍तविक डाटा ऐतिहासिक उद्भव को समझने एवं एक आधार रेखा स्‍थापित करने के लिए आवश्‍यक है। आधार रेखा भविष्‍य के उपभोग एवं उत्‍सर्जनों के निर्धारण में सहायक है। कनाडा, नार्वे, जापान एवं ईयू आदि जैसे कई गैर-अनुच्‍छेद 5 दलों ने कहा है कि उनके पास ऐतिहासिक एचएफसी उपभोग के लिए भरोसेमंद डाटा है। ऐसा डाटा सार्वजनिक क्षेत्र में नहीं है, इसके अतिरिक्‍त, अनुच्‍छेद 5 के अधिकांश दलों (विकसित देशों) के लिए डाटा बिल्‍कुल उपलब्‍ध नहीं है। अनुच्‍छेद 5 के कुछ दलों ने गहरी आशंकाएं व्‍यक्‍त की हैं कि इस समूह के कई देशों के पास कोई लेखा प्रणाली और एचएफसी की विस्‍तृत वस्‍तु सूची नहीं है। 

Courtesy – Press Information Bureau, Government of India