Posted on 09 Jun, 2018 9:28 pm

 

खरगोन जिले की कसरावद तहसील के महेंद्र पाटीदार ने परंपरागत खेती छोड़ कर, कृषि में आधुनिक तरीके अपनाकर अपने 5 एकड़ खेत को एक प्रयोगशाला का रूप दे दिया है। महेंद्र बताते है कि खरगोन में मिर्च लगाने वाला हर किसान हमेशा इस बात से डरता रहता था कि उनकी फसल पर लीपकर्ल (कूकढ़ा, चुर्रा-मुर्रा) वायरस नामक अटैक न हो जाये। बस इस कूकढ़ा वायरस को ध्यान में रखकर ही मैंने मिर्च सीड की नर्सरी लगाई है। नर्सरी में वायरस रहित मिर्च सीड को खरगोन के 45-46 डिग्री तापमान में पैदा कर रहे हैं।

अब महेंद्र ने एक एकड़ खेत में शासन से प्राप्त अनुदान पर वायरस रहित मिर्च रोप कर नई अंतरवर्ती फसल का प्रयोग प्रारंभ कर दिया है। वर्ष 2013-14 में उद्यानिकी विभाग की मदद से खरगोन जिले में पहली बार मल्चिंग विधि से कम लागत में तरबूज की फसल ली है। इससे उन्हें शुद्व रूप से करीब 6 लाख रूपए का मुनाफा हुआ है।

युवा कृषक महेन्द्र को वर्ष 2013-14 में मुख्यमंत्री विदेश अध्ययन यात्रा में फिलीपींस और ताईवान की नवीन कृषि तकनीक जानने का अवसर मिला। उन्होंने इस दौरान जैविक खेती, अंतरवर्ती खेती और जीरो बजट खेती का अध्ययन किया। उन्हें कसरावद स्थित परदेशी भटयाण में प्रतिभा सिंटेक्स प्रायवेट लिमिटेड कंपनी के 400 एकड़ के शोध केंद्र में सुपरवायजर का कार्य करने के लिए चुना गया।

महेंद्र ने शोध केन्द्र में जीवाअमृत और अंजीवामृत बनाने की हस्त-चलित तकनीक को स्व-चलित रूप में परिवर्तित कर दिखाया। इस फार्म पर महेंद्र ने केला, जामुन, पपीता, चीकू, नींबू, जाम, अनार, सीताफल, आम और आँवला की नई-नई किस्म तैयार करने में ड्रिप सिंचाई से भरपूर योगदान दिया। प्रतिभा कंपनी अब महेंद्र को 20 हजार रूपए प्रति माह मानदेय भी देती है।

कृषि तकनीकी में महारथ हासिल कर चुके महेंद्र को वर्ष 2016 में नई दिल्ली में महिंद्रा इंडिया एग्री अवार्ड में 2 लाख 11 हजार रूपए, वर्ष 2013 में गुजरात में एग्रो समिट कार्यक्रम में 51 हजार और म.प्र. शासन की आत्मा योजनांतर्गत 51 हजार रूपए का राज्य पुरस्कार भी मिल चुका है।

सक्सेस स्टोरी (खरगोन)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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