Posted on 11 Jan, 2018 5:01 pm

उच्च शिक्षा मंत्री श्री जयभान सिंह पवैया ने कहा है कि वेदान्त दर्शन जड़, चेतन और प्राणी मात्र में परमात्मा के दर्शन का सशक्त मार्ग है। साधु-संत चलते-फिरते तीर्थ हैं, उनके एक ही मंच पर दर्शन का सौभाग्य मिलना गौरवपूर्ण क्षण का एहसास कराता है। श्री पवैया महर्षि आश्रम में आयोजित महर्षि महेश योगी जन्म शताब्दी वर्ष पूर्णता समारोह को संबोधित कर रहे थे।

मंत्री श्री पवैया ने विद्यार्थियों और युवाओं का आव्हान किया कि शिक्षा के भौतिक ज्ञान के साथ-साथ विद्यावान बनकर राष्ट्र की सेवा में सक्रिय भागीदारी निभायें। उन्होंने महर्षि योगी द्वारा प्रतिपादित उच्च आदर्शों और ज्ञान की परम्पराओं को आत्मसात करने की जरूरत बताई।

संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री सुरेन्द्र पटवा ने कहा कि मानव जन्म की सार्थकता तभी होगी, जब हम अपनी संस्कृति, परम्पराओं और रीति-रिवाजों को कायम रखते हुए सकारात्मक वातावरण निर्मित कर अपने जीवन का आनंद ले सकें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विकास कार्य के साथ-साथ संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध है। सांसद श्री आलोक संजर ने कहा कि जीवन के आनंद को खोजने के लिए व्यक्ति इधर-उधर भटकता है जबकि आनंद हमारे बीच में ही विद्यमान है, उसकी अनुभूति की आवश्यकता है।

मंत्री द्वय एवं सांसद की मौजूदगी में महर्षि महेश योगी जन्म शताब्दी में हुए पिछले वर्ष 102 कान्फ्रेंस की रिपोर्ट पर आधारित चित्रमय दर्शन पुस्तक, बाल एवं सीट कलेण्डर का विमोचन किया गया। मंत्री द्वय ने पूज्य पाद स्वामी वसुदेवानंद सरस्वती जी महाराज, अयोध्या एवं अन्य धार्मिक स्थलों से आए साधु-संतों से आशीर्वाद प्राप्त किया।

समारोह के सूत्रधार ब्रम्हृचारी डॉ. गिरीश ने जन्म शताब्दी समारोह की उपयोगिता रेखांकित करते हुए बताया कि महर्षि के ब्रम्हृ वाक्य, 'जीवन आनंद है' के फलितार्थ करने के लिए 11 से 13 जनवरी तक आशीर्वाद दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इसमें देश-विदेश से साधु-संत, विद्वान एवं विद्यार्थी शामिल होंगे।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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