Posted on 21 Feb, 2018 4:37 pm

 

राज्य शासन द्वारा प्रदेश के कमजोर वर्गों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। रुपये-पैसे के अभाव में कोई गरीब व्यक्ति अपने को असहाय और लाचार न महसूस करे, इसके लिये विभिन्न योजनाएँ संचालित हैं। योजनाओं में बच्चों और बड़े लोगों के नि:शुल्क इलाज की व्यवस्था की गई है।

जन-भागीदारी से 19 बच्चों को मिली हार्निया से मुक्ति:- बैतूल जिले के कलेक्टर की पहल से जन-भागीदारी से ढाई साल से 18 वर्ष तक की उम्र के 19 बच्चों के जिला चिकित्सालय में हार्निया का नि:शुल्क ऑपरेशन कराकर उन्हें तकलीफ से मुक्ति दिलाई गई। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में हुए स्वास्थ्य शिविर में इन बच्चों में हार्निया की जानकारी मिली थी। आरबीएसके दल द्वारा चिन्हित किये जाने के बाद भी बच्चों के माता-पिता भ्राँतियों के चलते ऑपरेशन के लिये राजी नहीं हो रहे थे। चिकित्सक दल द्वारा उन्हें लगातार हार्निया के खतरों के बारे में आगाह करते हुए समझाइश दी गई। आज वही माता-पिता स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को दुआएँ देते नहीं थक रहे हैं।

जिला चिकित्सालय में जिन बच्चों की हार्निया सर्जरी हुई, उनमें ग्राम आठनेर का 11 वर्षीय सचिन, 8 वर्षीय योगीराज और 12 वर्षीय राजकुमार, चिचोली का साढ़े सात वर्षीय गणेश, 5 वर्षीय सागर, 7 वर्षीय विकास और 5 वर्षीय विराट, बोंदरी-पाढर का अमित, डोंगरी भीमपुर का 7 वर्षीय सुमित, आमला का साढ़े आठ वर्षीय कुणाल और साढ़े चार वर्षीय सिद्धार्थ, भीमपुर की तीन वर्षीय दुर्गा, ढाई वर्षीय भाग्यश्री, नौ वर्षीय निवेश, 11 वर्षीय मोनू, 18 वर्षीय राजू बिसोने, मुलताई का 7 वर्षीय बलराम, घोड़ाडोंगरी का ढाई वर्षीय कुणाल धुर्वे और साढ़े चार वर्षीय रतिराम शामिल हैं।

दूर हुईं जन्मजात विकृतियाँ:- राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम से देवास जिले के गाँव उतावली के तीन वर्षीय सतीश अपने जन्म से कटे होंठ की शल्य-चिकित्सा होने से आम बच्चों की तरह दिखने लगा है। उसके पिता प्रहलाद कहते हैं मुझको यही चिंता सताती थी कि सतीश जब बड़ा होगा तो दूसरे बच्चों से अपनी तुलना कर परेशान होगा। पर अब हम सब बहुत खुश हैं कि हमारी कमजोर आर्थिक स्थिति इसमें आड़े नहीं आई। आरबीएसके की टीम की सहायता से मेरे बच्चे का इंदौर में नि:शुल्क सफल ऑपरेशन हो चुका है। अब वह पूर्णरूपेण स्वस्थ है। गाँव वाले कहते हैं यह योजना गरीब बच्चों के लिये ईश्वर के वरदान जैसी है।

सक्सेस स्टोरी (बैतूल, देवास)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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