Posted on 02 Jan, 2018 3:02 pm

हमाई तरफ देखे बिटबा'' जब यह शब्द पहली बार चतुर सिंह के कान में पड़े, तो हतप्रत होकर देखने लगा। चतुर सिंह जन्म से बधिर था। उसने 9 साल की उम्र में पहली बार माँ की प्यार और स्नेह से भरी आवाज सुनी थी। कटनी जिले के बहोरीबंद की ग्राम पंचायत मझगवां निवासी राम प्रसाद का नाती चतुर सिंह' जन्म से ही आवाज सुनने में असमर्थ था।

चतुर सिंह के दादा राम प्रसाद को पहले श्रवण यंत्र के बारे में पता नहीं था। एक दिन उन्हें जिले में लगने वाले दिव्यांग परीक्षण शिविर के बारे में पता लगा तो पोते चतुर सिंह को शिविर में ले गये और परीक्षण कराया। तब डाक्टरों ने परीक्षण कर बताया कि इसके कान में श्रवण यंत्र लगेगा, तभी सुनाई देगा। उसे अब यह श्रवण यंत्र मिला है। चतुर सिंह को इस यंत्र से आवाजें सुनाई दे रही हैं।

चतुर सिंह के परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी नहीं थी कि इसका इलाज बेहतर अस्पतालों में करायें और यह उपकरण दिला सकें। सामाजिक न्याय विभाग द्वारा दिव्यांगों के लिये आयोजित शिविर में इसे नि:शुल्क श्रवण यंत्र मिला है।

अब राम प्रसाद खुश हैं कि उनका पोता चतुर सिंह सुनता है, हंसता है और खूब बोलता है।

 सफलता की कहानी (कटनी)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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