Posted on 10 Aug, 2018 6:23 pm

 

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने कहा है कि प्रदेश में टी.ओ.डी. और टी.डी.आर. लागू हो जाने से वर्ष 2019 तक प्रदेश के शहरों में विकास की नई इबारत लिखी जाएगी। उन्होंने शहरी नियोजन में स्थानीय संस्थाओं के साथ आमजन की भागीदारी को भी महत्वपूर्ण बताया। श्रीमती माया सिंह आज प्रशासन अकादमी में आयोजित 'मध्यप्रदेश में शहरी नियोजन का अगला चरण' राष्ट्रीय सम्मेलन के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रही थीं। म.प्र.गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल के अध्यक्ष श्री कृष्णमुरारी मोघे ने समारोह की अध्यक्षता की।

श्रीमती सिंह ने कहा कि नगरीय क्षेत्रों के ऐतिहासिक और पुरातत्वीय स्वरूप को बरकरार रखते हुए आधुनिक स्वरूप प्रदान करना ही आज की आवश्यकता है। इसी सोच के साथ मध्यप्रदेश सरकार द्वारा प्रयास किये जा रहे हैं। एक लाख तथा 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के विकास की दूरगामी प्लानिंग की जायेगी। उन्होंने कहा कि यातायात के बढ़ते दबाव, पर्यावरण संतुलन, जनसंख्या का दबाव जैसे महत्वपूर्ण विषयों को ध्यान में रखते हुए नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा हस्तांतरणीय विकास अधिकार (TDR) और पारगमन उन्मुख विकास क्षेत्र(TOD) का नया स्वरूप तैयार किया गया है। इसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिये सम्मेलन के माध्यम से विशेषज्ञों और जन-प्रतिनिधियों के सुझाव आमंत्रित किये गये हैं।

हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष श्री मोघे ने कहा कि शहरों के विकास की योजना भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाई जानी चाहिये। उन्होंने कहा कि इस प्लानिंग में सभी वर्गों की भागीदारी और अन्तर विभागीय समन्वय भी आवश्यक है।

प्रमुख सचिव श्री विवेक अग्रवाल ने बताया कि मध्यप्रदेश में अर्बन प्लानिंग का समृद्ध इतिहास रहा है, जिसका जीता-जागता उदाहरण भोपाल शहर है, जो अपनी खूबसूरती के लिये जाना जाता है। उन्होंने कहा कि अन्य शहरों की बेहतर प्लानिंग के लिये यह सम्मेलन आयोजित किया गया है। सम्मेलन में प्राप्त निष्कर्षों का समावेश आगामी प्लानिंग में किया जायेगा।

सम्मेलन में आयुक्त नगरीय प्रशासन श्री गुलशन बामरा और उत्तरप्रदेश, गुजरात, तमिलनाडू सहित अन्य राज्यों के विषय विशेषज्ञ, नगर निगमों के महापौर, विकास प्राधिकरणों के अध्यक्ष और अधिकारी सम्मिलित हुए। सम्मेलन में संचालक टाउन एण्ड कंट्रीप्लानिग श्री राहुल जैन ने आमंत्रितों का आभार व्यक्त किया।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश