Posted on 11 Jul, 2018 4:03 pm

मध्यप्रदेश जैव-विविधता रणनीति एवं कार्य-योजना का पुनरीक्षण के लिये आरंभ कार्यशाला का आयोजन आर.सी.वी.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी में किया गया। इस मौक पर अपर मुख्य सचिव श्री के.के. सिंह ने कहा कि पृथ्वी पर जनसंख्या का दबाव बढ़ा है। लोगों के रहन-सहन के तरीके में भी बदलाव आया है। ऐसे में जैव-विविधता के लिये रणनीति और कार्य-योजना का पुनरीक्षण करना जरूरी है। इस अच्छे काम के लिये हर तरह से सहयोग दिया जायेगा।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्री जव्वाद हसन ने कहा कि जैव विविधता की कार्य-योजना में जैव उत्पादों को प्राथमिकता और लोगों की सहभागिता को बढ़ाना आवश्यक है। जैव-विविधता जीवन शैली से जुड़ा विषय है, इसलिये लोगों को उसके फायदे के बारे में अवगत करवाना बेहद जरूरी है।

यू.एन.डी.पी. इंडिया की प्रोग्राम ऐनलिस्ट डॉ. रूचि पंत ने कहा कि जैव-विविधता का एक्शन प्लान बनाने में सभी विभागों की भागीदारी जरूरी है। यह न केवल पर्सनल बल्कि प्रोफेशनल लाइफ से जुड़ा विषय है। इसकी ओर सभी को ध्यान देना होगा। इसके लिये प्लानिंग ही नहीं, इम्प्लीमेंट में भी सभी के सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में स्मार्ट इंडीकेटर का उपयोग होना चाहिए। डेटा और उपलब्धि का भी समावेश होना चाहिए। प्लान को संधारणीय विकास लक्ष्य (एस.डी.जी.) के साथ जोड़ा जाना चाहिए। प्लान का ड्यूरेशन 2018-28 से बढ़ा कर 2030 तक किया जाना चाहिए। उन्होंने शासन की योजनाओं को प्लान से एलाइन करने की जरूरत भी बताई।

पर्यावरणविद् एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. सी.आर. बाबू ने कहा कि स्थानीय मापदण्डों को ध्यान में रखकर नया प्लान तैयार करना होगा। समुदायों की भागीदारी भी सुनिश्चित करनी होगी और तैयार रिपोर्ट को धरातल पर लाना होगा।

म.प्र. राज्य जैव-विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव श्री आर.श्रीनिवास मूर्ति ने स्वागतभाषण में बताया कि क्लाइमेट चेंज का देश में सबसे ज्यादा असर सेंटर इंडिया में होगा। अगले 30 से 50 साल में हरियाली लाना है, तो उसकी कार्य-योजना तैयार कर अभी से काम करना होगा, तबवह बच्चों के भविष्य में काम आयेगा।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश