Posted on 10 Aug, 2018 6:26 pm

 

मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना, राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन, मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना आदि से युवा वर्ग स्वयं का रोजगार स्थापित कर तेजी से आत्म-निर्भर बन रहा है। युवाओं को रोजगार के लिये सक्षम बनाने में स्किल डेव्हलपमेंट कार्यक्रम महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। रोजगार योजनाओं से युवा वर्ग में आत्म-निर्भरता और स्वावलम्बन बढ़ने के साथ-साथ आत्म-विश्वास भी बढ़ा है। कहीं-कहीं तो युवा अपने व्यवसायों में अन्य जरूरतमंदों को रोजगार भी दे रहे हैं।

हरदा के राजेश प्रजापति स्वयं का मोटर पार्ट्स एवं रिपेयरिंग व्यवसाय प्रारंभ करना चाहते थे। उन्होंने मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना में ऋण के लिये जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र से सम्पर्क किया। केन्द्र की सहायता से उन्हें बैंक ऑफ बड़ोदा से 4 लाख 70 हजार रुपये का ऋण मिला। इस राशि से राजेश ने कम्प्यूटर, ग्लास मशीन, एसएमडी मशीन आदि खरीदी। सरकार का शुक्रिया अदा करते हुए आज कहते हैं कि अब मेरा टर्न-ओवर 2 लाख रुपये साल से भी अधिक हो चुका है।

दतिया के देभई निवासी मंगल सिंह कुशवाहा रोजगार की तलाश में थे। उन्हें पता लगा कि पंजाब नेशनल बैंक ग्रामीण क्षेत्र में बैंकिंग सुविधा के विस्तार के लिये कियोस्क खोलने जा रहा है। मंगल सिंह ने बैंक के शाखा प्रबंधक से सम्पर्क किया। पंजाब नेशनल बैंक ने रोजगार एवं प्रशिक्षण संस्थान से मंगल सिंह की ट्रेनिंग करवाई, जिसके बाद 62 हजार रुपये लागत से कियोस्क के लिये जरूरी काउंटर और अन्य व्यवस्थाएँ की गईं। इसमें केवल 12 हजार रुपये का अंशदान मंगल सिंह का था, बाकी 50 हजार रुपये की राशि राज्य सरकार की योजना में ऋण स्वरूप मिली थी।

गाँव में कियोस्क की स्थापना के पहले गाँव वालों को बैंक संबंधी कामों के लिये बाहर जाना पड़ता था। अब उन्हें गाँव में ही यह सुविधा मिलने लगी है। मंगल सिंह के परिजन भी काफी खुश हैं कि रोजगार की तलाश में उसे बाहर नहीं जाना पड़ता। मंगल सिंह बैंकिंग से 15 हजार रुपये प्रति माह से भी अधिक कमा लेता है।

 

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

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