Posted on 05 Feb, 2020 6:28 pm

राज्य शासन ने किसान प्रतिनिधियों से निरंतर संवाद बनाये रखते हुए प्राप्त सुझावों के क्रियान्वयन एवं समस्याओं के समाधान के लिये मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कृषि सलाहकार परिषद का गठन किया है। किसान-कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री परिषद के उपाध्यक्ष होंगे। प्रमुख सचिव किसान-कल्याण एवं कृषि विकास को परिषद का सदस्य सचिव नियुक्त किया गया है। परिषद का कार्यकाल अधिकतम 5 वर्ष का होगा। पाँच वर्ष बाद नये सदस्यों के साथ परिषद का पुनर्गठन किया जायेगा।

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार परिषद में 20 सदस्य मनोनीत किये गये हैं। मनोनीत सदस्यों में मुख्य सचिव, कृषि उत्पादन आयुक्त, प्रमुख सचिव किसान-कल्याण तथा कृषि विकास, प्रमुख सचिव उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी, प्रमुख सचिव पशुपालन, प्रमुख सचिव मछुआ कल्याण तथा मत्स्य-पालन, प्रमुख सचिव खाद्य-नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण, राजमाता विजयाराजे सिंधिया विश्वविद्यालय, ग्वालियर के वाइस चांसलर श्री एस.आर. राव और राज्य कृषि विपणन संघ, राज्य सहकारी संघ, राज्य सहकारी विपणन संघ के प्रबंध संचालक और संचालक किसान-कल्याण तथा कृषि विकास, संचालक उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी एवं संचालक कृषि अभियांत्रिकी शामिल हैं। इनके अलावा परिषद में 7 अशासकीय सदस्य मनोनीत किये गये हैं। इन सदस्यों के नाम श्री दिनेश गुर्जर मुरैना, श्री शिवकुमार शर्मा होशंगाबाद, श्री उमराव सिंह गुर्जर नीमच, श्री केदार सिरोही हरदा, श्री विश्वनाथ ओक्टे छिन्दवाड़ा, श्री ताराचंद पाटीदार रतलाम और श्री बृजबिहारी पटेल जबलपुर हैं।

कृषि सलाहकार परिषद खेती को लाभ का धंधा बनाने तथा प्रशिक्षण की आवश्यकताओं के संबंध में किसानों के फीडबेक के आधार पर राज्य सरकार को सुझाव देगी और अनुशंसा करेगी। परिषद कृषक ऋण माफी योजना की मॉनीटरिंग करेगी और इसके क्रियान्वयन में आने वाली कठिनाइयों का फीडबेक तथा निराकरण के सुझाव देगी और अनुशंसा करेगी। परिषद के दायित्वों में केन्द्र सहायतित/राज्य सहायतित योजनाओं के क्रियान्वयन एवं उनका लाभ किसानों तक पहुँचाने के संबंध में समीक्षा करना और प्राप्त सुझावों के बाद अनुशंसा करना भी शामिल है। परिषद फसल मूल्यों, बीज की उपलब्धता, मण्डी की सुविधाओं के संबंध में फीडबेक लेगी और सुझाव देगी।

साभारजनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश​​