Posted on 21 Mar, 2021 2:45 pm

अर्जुन की आँख की तरह सरकार का एक ही लक्ष्य - आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश

एक सच्चे नेतृत्व की पहचान संकट के समय में ही होती है। कोरोना संक्रमण के विश्वव्यापी दौर में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 130 करोड़ भारतीयों को यह संदेश दिया कि यदि देश के आत्म-गौरव की रक्षा करनी है तो एक ही उपाय है - आत्म-निर्भर भारत का निर्माण। आत्म-निर्भरता कोई साधारण शब्द नहीं है - यह पहली बार अपनी ताकत को पहचानने की दिशा में लगाई गई ऊँची छलांग है।

प्रधानमंत्री के इस संदेश के अनुरूप काम करने के लिए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 'चरवैति-चरवैति' को अपना ध्येय वाक्य बनाकर आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप को आकार देना प्रारंभ किया। नीति आयोग, भारत सरकार के सहयोग से पिछले वर्ष अगस्त माह में राष्ट्रीय स्तर के वेबिनार्स किए गए। इन वेबिनार्स में 4 समूहों और 18 उप समूहों में 635 विद्वानों और विषय-विशेषज्ञों द्वारा आत्म-निर्भरता के प्रत्येक पहलू पर गहन चिंतन-मंथन कर 259 अनुशंसाएँ प्रस्तुत की गयीं।

इस विचार-विमर्श से जो अमृत निकला, उन्हीं अनुशंसाओं को समाहित करते हुए आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश का रोडमैप तैयार किया गया। इस तरह मध्यप्रदेश, देश का पहला राज्य बना, जिसने आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण का रोडमैप तैयार कर उसे 12 नवंबर, 2020 से प्रभावशील भी कर दिया। आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण का ताना-बाना सुशासन, भौतिक अधोसंरचना, शिक्षा एवं स्वास्थ्य तथा अर्थ-व्यवस्था एवं रोजगार के चार स्तंभों इर्द-गिर्द बुना गया है। रोडमैप तैयार तैयार होने के समय उसमें इन चारों क्षेत्रों में आउटपुट एवं आउटकम का चिन्हांकन किया गया था। आज की स्थिति में प्रत्येक आउटपुट के लिए गतिविधियों एवं उप गतिविधियों का निर्धारण भी कर लिया गया है।

आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप के नियमित अनुश्रवण एवं समीक्षा के लिए आत्म-निर्भर पोर्टल का भी निर्माण किया गया है। इस प्रकार मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के न भूतो न भविष्यति नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार का समय, संसाधन, सेवाएँ सभी अर्जुन के लिए आँख की भाँति एक ही उद्देश्य, एक ही लक्ष्य की ओर केंद्रित है और वह है आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश का निर्माण।

यहाँ यह उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने वर्ष 21-20 के अपने बजट भाषण में जिन 6 स्तंभों का उल्लेख किया है, आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप के चारों स्तंभ भी उनके ही अनुरूप है।

इसी प्रकार आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के स्तंभ, नीति आयोग की शासी निकाय की बैठक में भारत के ट्रान्सफार्मेशन के लिये रखे गये छह सूत्रीय एजेण्डा के भी अनुरूप है।

आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप के क्रियान्वयन और विभिन्न योजनाओं तथा कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की सतत समीक्षा के लिये एक मजबूत मॉनीटरिंग सिस्टम बनाया गया है। इस सिस्टम के अंतर्गत रोडमैप के क्रियान्वयन की मॉनीटरिंग के लिये आत्म-निर्भर पोर्टल, जिलों में विभिन्न कार्यक्रमों एवं योजनाओं की प्रगति की मानीटरिंग के लिए सीएम डैशबोर्ड और राज्य स्तर पर वृहद परियोजनाओं की मासिक समीक्षा के लिए प्रगति एप बनाया गया है। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यों की स्थिति एवं संभावनाओं की समीक्षा के उद्देश्य से जीआईएस आधारित पोर्टल 'एमएलए डैशबोर्ड बनाया गया है। विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर प्रतिमाह स्वयं मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा कलेक्टर्स, कमिशर्स, आई.जी., एस.पी. आदि के साथ मैराथन समीक्षा की जाती है। इसके अलावा इस सिस्टम में जनता से टोल फ्री नम्बर पर प्राप्त होने वाली शिकायतों एवं समस्याओं का समाधान के लिये सीएम हेल्पलाईन, जिला स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र के रूप में जन-सुनवाई, चिन्हित सेवाएँ 24 घण्टे में उपलब्ध कराने के उद्देश्य से समाधान एक दिन, मोबाईल पर चिन्हित सवाएँ उपलब्ध कराने के लिए सी.एम. जनसेवा और चिन्हित शिकायतों का मुख्यमंत्री की निगरानी में निराकरण के समाधान ऑनलाइन कार्यक्रम भी शामिल है।

आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश रोडमैप में चारों प्रमुख बिंदु - भौतिक अधोसंरचना, सुशासन, स्वास्थ्य एवं शिक्षा तथा अर्थ-व्यवस्था एवं रोज़गार जैसे क्षेत्रों में वर्ष 2023तक किए जाने वाले कार्यों की सूची तय की गई है। इसमें कौन-सा काम कब तक पूरा होगा, इसकी समयावधि भी साथ में निश्चित की गई है। अलग-अलग क्षेत्रों में तय किए गए संकल्प इस प्रकार है: 

भौतिक अधोसंरचना

सड़क: फ्लैगशिप योजनाओं का फास्ट ट्रैक विकास।सड़क विकास के लिये बेहतर विकास योजना एवं राजस्ववृद्धि के लिए 200सड़कों का साइंटिफिक ट्रैफिक सर्वे । अगले 6माह में प्रदेश के सभी टोल प्लाजा का कम्प्यूटीकरण एवं फास्ट टैग के जरिये ऑटोमेशन।अनुबंधों को समय-सीमा में पूरा करने और परियोजना लागत में वृद्धि को नियंत्रित करने संबंधी विवादों के निपटारे के लिए उच्च-स्तरीय बॉडी का गठन।सड़कों की प्राथमिकता तय करने और तकनीकी आधारित स्थिति के आकलन के लिये रोड ऐसेट मैनेजमेंट सिस्टम की स्थापना।

यात्रा एवं पर्यटन

'बफर में सफर' मुहिम के माध्यम से मानसून पर्यटन को बढ़ावा देना।2टाइगर सफारी विकसित करना (कान्हा/पेंच/बाँधवगढ़ में)अमरकंटक, रामायण सर्किट, तीर्थंकर सर्किट, ओंकार सर्किट, नर्मदा परिक्रमा, रूरल सर्किट एवं ट्राइबल सर्किट जैसे थीम सर्किट को विकसित करना।निजी क्षेत्रों/निवेशकों को शामिल करके पर्यटन-स्थलों का वैल्यू एडिशन करना। अनुभव पर्यटन (जैसे रोप-वे. संग्रहालय, डायमंड टूर, साड़ी बनाना, एडवेंचर स्पोर्ट्स, एस्ट्रोनॉमी पार्क आदि के माध्यम से) कराते हुए पर्यटकों को आकर्षित करना।ग्रामीण पर्यटन, ट्राइबल पर्यटन, होम-स्टे आदि को बढ़ावा।पर्यटन स्थलों के आसपास रहने वाले 20हजार सेवाप्रदाताओं का कौशल संवर्धन।

नगरीय विकास एवं आवास

समावेशी शहरी विकास: पर्यावरण सहयोगी संवहनीय विकास सुनिश्चित करना।नगरीय सुशासन के लिए कानूनी और राजकोषीय सुधार।शहरी सेवा प्रदाय की गुणवत्ता में सुधार।नगरीय नियोजन के माध्यम से शहरी अर्थव्यवस्था मेंसुधार।

जल

पेयजल: मार्च 2021तक ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप वॉटर सप्लाई की उपलब्धता को राष्ट्रीय औसत से भी अधिक बढ़ाना। (वर्तमान औसत 17प्रतिशत, राष्ट्रीय औसत 26प्रतिशत)26 लाख घरों को वर्तमान वर्ष में कनेक्शन देना।वर्ष 2024तक मध्यप्रदेश के 100प्रतिशत ग्रामीण घरों में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना।नल, बिजली आदि की मरम्मत के लिए 50हजार मैकेनिकों को तीन वर्षों में प्रशिक्षित करना।

सिंचाई: नर्मदा परियोजनाओं को पूरा करने के लिए आगामी तीन वर्षों में लगभग 15हजार करोड़ रुपये ऑफ बजट ऋण से एनबीपीसीएल द्वारा अतिरिक्त राशि उपलब्ध कराना।चालू वर्ष में 4000करोड़ रुपये के ऋण की व्यवस्था।सिंचाई एवं नर्मदा विकास विभाग द्वारा आगामी एक वर्ष में 30हजार करोड़ रुपये के कार्यों का आवंटन करना।

ऊर्जा

नर्मदा नदी पर बने ओंकारेश्वर बाँध पर टीबीसीबी रूट के माध्यम से 600मेगावॉट के फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट का विकास 3000करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश से किया जाएगा। यह विश्व का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट होगा। मुरैना, छतरपुर, आगर, नीमच, शाजापुर जिलों में 18 हजार करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश किया जाएगा। 4 हजार 500 मेगावॉट के सोलर पार्कों का विकास टीबीसीबी रूट के माध्यम से 35ई.एच.वी. सब-स्टेशन और संबंधित ट्रांसमिशन सिस्टम का अनुमानित 2000 करोड़ रूपये के निजी निवेश से निर्माण।आगामी एक वर्ष में 4000करोड़ रुपये लागत की ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर परियोजना को पूर्ण करना। 45हजार सोलर पंप लगाए जाएंगे।

परिवहन एवं लॉजिस्टिक: मध्यप्रदेश को देश के भंडारण एवं लॉजिस्टिक हब के रूप में विकसित करने के लिये मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क की स्थापना।एंड-टू-एंड इंटीग्रेटेड लॉजिस्टिक संचालन के लिये डिजिटल प्लेटफॉर्म।वर्तमान परिसंपत्तियों का उद्योग अनुकूल मुद्रीकरण, आधुनिकीकरण और उन्नयन।नाशवान सामग्री के लिए एयर कार्गो हब की नीति कानिर्धारण एवं उसकी स्थापना। उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप परिवहन कर निर्धारण। मध्यप्रदेश लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग का गठन।

सुशासन

नागरिकों की सुविधाओं के लिए एकल डेटाबेस। सेवा प्रदाय के लिए एकल पोर्टल। सार्वजनिक सेवा के लिये एम-गवर्नेस का उपयोग। सीएम हेल्पलाइन से CM Citizen Care @MP। सेवा प्रदाय के लिए आवश्यक दस्तावेजों का डिजिटल सत्यापन। सेवाओं के भुगतान के लिए विभिन्न भुगतान प्रणालियों का विकल्प। राज्य में कनेक्टिविटी के बुनियादी ढाँचे का सुदृढ़ीकरण और आईटी कौशल का विकास शासकीय कर्मियों को आईटी के उपयोग के लिए दक्ष बनाना। शासकीय अधिकारियों को नवीनतम तकनीकी/तथ्यों के साथ अपडेट रखना। वल्लभ भवन (मंत्रालय) में ई-ऑफिस/केंद्रीकृत डाक व्यवस्था का क्रियान्वयन। समस्त विभागों और जिला कलेक्टरों के प्रभावी उपयोग के लिए डैशबोर्ड विकसित किया जाना। शिक्षा /टेली-मेडिसिन सेवाएँ ऑनलाइन उपलब्ध कराना। शासन में नवीन प्रौद्योगिकी के उपयोग को प्रोत्साहित करना। हितग्राहियों की सूची का शासन में बेहतर पारदर्शिता के उद्देश्य से डिजिटलीकरण और नॉलेज मैनेजमेंट। जवाबदेह एवं जिम्मेदार प्रशासन के.पी.आई. (Key Performance Indicator), ऑनलाइन मॉनीटरिंग, थर्ड पार्टी मूल्यांकन। एनजीओ, सोशल ऑडिट के जरिए जन-भागीदारी को बढ़ावा। आम नागरिकों की समझ एवं उपयोग के लिए नियमों एवं कानूनों का सरलीकरण। नागरिकों के लिए ईज ऑफ लिविंग (अपनी पात्रता जानें know your entitlement, लैंड टाइटल, लायसेंस/परमिट, फेसलेस संपर्क)व्यापक कैडर समीक्षा। सभी कर्मियों की में मैपिंग। आवश्यक और सक्षमता का आकलन। पदोन्नति के लिए कौशल क्षमता को प्राथमिकता। आंतरिक शिकायत निवारण प्रणाली को मजबूत करना। सेवानिवृत्ति पर देय स्वत्वों का एकमुश्‍त भुगतान।

स्वास्थ्य एवं शिक्षा

रोडमैप के इस स्तंभ के अंतर्गत यूनिवर्सल स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) प्राप्त किया जायेगा। दिसंबर 2024तक मातृ मृत्यु दर की प्रति एक लाख जीवित जन्म दर को 173से 100तक लाना, प्रति एक हजार जीवित जन्म पर शिशु मृत्यु दर को 48से 35तक लाने और एनएमआर 35को से 25तथा टीएफआर को 2.1करने पर काम किये जायेंगे। स्वास्थ्य और शिक्षा संस्थानों के सुदृढ़ीकरण एवं उन्नयन, सरकारी विभागों का पुनर्गठन और बेहतर सेवा वितरण के लिए एक समन्वय तंत्र के निर्माण किया जाएगा। एकीकृत आईसीटी प्लेटफार्मों के एकीकृत परिनियोजन से स्वास्थ्य और शिक्षा कार्यक्रमों में बेहतर परिणाम लाये जायेंगे। पैरा मेडिकल स्टाफ सहित स्वास्थ्य और शिक्षा पेशेवरों की गुणवत्ता में सुधार, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के साथ ही बीमारियों की रोकथाम और निदान पर जोर दिया जायेगा। स्कूल, उच्च और तकनीकी शिक्षा विभागों के संस्थानों के लिए राष्ट्रीय स्तर की रैंकिंग में प्रत्यायन, सभी क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास और उच्च शिक्षा के छात्रों की रोज़गार क्षमता में सुधार के काम किये जायेंगे। स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों की वृद्धि में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना, सरकारी स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं के उपयोग में सुधार के लिए उनका पुनर्गठन, लिंग समता पर ध्यान केंद्रित करने और उन्हें आकांक्षात्मक बनाने के साथ उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा की पहुँच में सुधार का भी लक्ष्य है। तकनीकी और उच्च शिक्षा में बेहतर उद्योग और अकादमिक इंटरफेस, स्वास्थ्य और शिक्षा संस्थानों में पाठ्यक्रम का पुनरीक्षण और उत्कृष्टता केंद्रों का निर्माण भी इस स्तंभ में शामिल है।

अर्थ-व्यवस्था एवं रोज़गार

कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र: फसलों की उत्पादकता में वृद्धि तथा विविधीकरण।कृषि में जोखिम प्रबंधन के लिए नवीन/उन्नत कृषि तकनीकी के कृषि क्षेत्र में शीघ्र उपयोग को प्रोत्साहित करना औरकृषि अधोसंरचना का विकास ताकि घरेलू और विदेशी उपभोक्ताओं के लिए उत्पादन और कुशल वितरण तंत्र को सहयोग मिले।प्रमाणित जैविक कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी।'एक राष्ट्र एक बाजार' के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कृषि विपणन कानूनों में सुधार।कृषि एवं उद्यानिकी उत्पादकों का मूल्य संवर्धन।पशुपालन विकास। ग्रामों में डेयरी व्यवसाय का विकास।अतिरिक्त रोज़गार के लिए मत्स्य-पालन तथा रेशम पालन विकास।

उद्योग एवं कौशल विकास: प्रदेश में विश्व-स्तरीय औद्योगिक अधोसंरचना का विकास तथा मध्यप्रदेश को सबसे पसंदीदा व्यापार स्थल के रूप में स्थापित करना।व्यापार के लिए सहूलियत को बढ़ावा देना।मध्यप्रदेश को स्टार्ट- अप डेवलपमेंट हब के रूप में स्थापित करना।राज्य में कार्य-बल की कौशल क्षमता को बढ़ाना।

प्राकृतिक संसाधन: वन आधारित आर्थिक गतिविधियों के योगदान में वृद्धि।वन संपदा का संवहनीय उपयोग।खनिज संपदाओं का वैज्ञानिक दोहन कर रोज़गार प्रदान करना।

व्यापार एवं वाणिज्य: व्यापार एवं वाणिज्य में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा।छोटे व्यवसायों तथा परंपरागत उद्योगों के उत्पादों को ई-कॉमर्स प्लेटफार्म से जोड़ना।व्यापार सहायक सेवाओं का सुदृढ़ीकरण।

कहा जा सकता है कि मध्यप्रदेश सरकार का संकल्प सिर्फ आत्म-निर्भरता का दस्तावेज तैयार करना ही नहीं है, बल्कि उसने इसके चरणबद्ध क्रियान्वयन के लिए समय-सीमा भी तय कर दी है। पूरा देश मध्यप्रदेश की संकल्पबद्धता से वाकिफ है। देश ने देखा है कि एक समय पिछड़े और बीमारू कहे जाने वाले इस राज्य ने खुद को जाग्रत और सक्रिय करते हुए कैसे कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी उपलब्धि हासिल कर लगातार कृषि कर्मण सम्मान पाया और कैसे प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान को एक संकल्प के रूप में लेते हुए प्रदेश के शहरों को स्वच्छ करने का बीड़ा उठाया। इंदौर का देश के स्वच्छतम शहरों की सूची में लगातार अव्वल आना और भोपाल सहित प्रदेश के अन्य कई शहरों का स्वच्छता के पैमाने की सूची में प्रमुख स्थान हासिल करना इसका उदाहरण है। यह दर्शाता है कि मध्यप्रदेश यदि ठान ले तो उसके लिए कोई भी काम मुश्किल नहीं है। इस बार मध्यप्रदेश ने खुद को आत्म-निर्भर बनाने का संकल्प लिया है और विश्वास किया जा सकता है कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के गतिशील, कर्मठ और संकल्पसिद्ध नेतृत्व तथा अपनी मेहनत एवं इच्छा-शक्ति के बल पर प्रदेश इस संकल्प को भी सफलतापूर्वक पूरा करेगा।

साभारजनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश