Posted on 30 Jul, 2019 4:08 pm

स्तनपान को बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य की आधारशिला माना जाता है। प्रत्येक वर्ष स्तनपान की महत्ता को समझने और इसके प्रति जागरूकता के लिये एक से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। इस वर्ष सप्ताह की थीम "जागरूक सहयोगी परिवार-सफल स्तनपान'' रखी गयी है।

कोलोस्ट्रम इस तरह करता है शिशु की मदद

  • कोलोस्ट्रम शिशु के सबसे शुरूआती आहार के लिये उत्तम भोजन है, क्योंकि उसका पेट इसे आसानी से पचा लेता है।

  • कोलोस्ट्रम शिशु के पाचन तंत्र को परिपक्व दूध के लिये तैयार करता है, जो अगले कुछ दिनों में उसे प्राप्त होता है।

  • कोलोस्ट्रम में सफेद रक्त कोशिकाओं की उच्च मात्रा होती है, जो अनेक संक्रमणों से शिशु की रक्षा करती है।

  • कोलोस्ट्रम शिशु को पीलिया होने की संभावनाओं को घटाता है।

  • कोलोस्ट्रम में मौजूद शर्कराएँ शिशु के बढ़ते हुए शरीर की ऊर्जा संबंधी जरूरतों को पूरा करती है।

जब किसी घर-परिवार में नवजात शिशु का जन्म होता है तो पूरा घर शिशु की मीठी किलकारी से गूँजने लगता है़, सभी उसकी बलाएँ लेते है। परिवार में जन्म लेने वाला शिशु अपने साथ खुशियाँ लेकर आता है। सभी चाहते है कि नवजात को कोई बीमारी न हो। वह तन्दुरूस्त और बुद्धिमान बने लेकिन जरा सी लापरवाही नवजात शिशु को कमजोर और कुपोषित बना देती है।

वर्तमान में मध्यप्रदेश में प्रति वर्ष जन्म लेने वाले 14 लाख बच्चों में से केवल 4 लाख 8 हजार बच्चों को जन्म के तुरंत बाद जीवन-रक्षक खीस (कोलोस्ट्रम) मिलता है। यानी लगभग 9 लाख 2 हजार से ज्यादा बच्चे इससे वंचित रह जाते हैं। माँ का दूध शिशु के लिये प्रथम प्राकृतिक आहार है, जो सभी पोषक तत्वों को प्रदान करता है। यह बच्चे का पहला टीका है नवजात शिशु के लिये कोलोस्ट्रम, पीला, चिपचिपा, गाढ़ा दूध जन्म के तुरंत बाद एक घंटे के अंदर ही शुरू किया जाना चाहिये। डाक्टर्स इस पहले घन्टे को गोल्डन अवर कहते है। मानव जीवन में केवल एक ही बार जन्म के तीन दिनों तक ही बच्चें की माँ से खीस(कोलोस्ट्रम)मिलता है। यदि यह मौका निकल गया तो जीवन भर इसका कोई विकल्प नहीं। बच्चों को छ: माह तक स्तनपान करना चाहिये, परंतु अभी 8 लाख 2 हजार बच्चों को ही माँ का दूध दिया जाता है। लगभग 5 लाख 8 हजार बच्चे इससे वंचित रहते हैं। इसकी मुख्य वजह स्तनपान के बारे में सही जानकारी का अभाव है। स्तनपान को बढ़ावा देकर शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। जन्म से 24 घंटे के बाद स्तनपान शुरू कराने से मौत का खतरा 2.4 गुना बढ़ जाता है। स्तनपान एवं ऊपरी आहार से शिशु मृत्यु दर में 19 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती है।

प्रदेश में लगभग 80 प्रतिशत से ज्यादा प्रसव संस्थागत होते हैं। शहरी क्षेत्रों में 42.7 एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 38 प्रतिशत सिजेरियन प्रसव होते हैं। शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण की तुलना में सिजेरियन का प्रतिशत ज्यादा है। सामान्यत: यह देखा गया है कि प्री-टर्म बेबी एवं सिजेरियन प्रसव के दौरान कुछ न कुछ कारणों से जन्म के तुरंत बाद स्तनपान नहीं कराया जाता है। ऐसे में प्रसव के दौरान या बाद में सहयोगी नर्सिंग स्टॉफ को एवं गर्भावस्था के अंतिम त्रैमास में परिवार को जन्म के तुरंत बाद स्तनपान की शुरूआत की आवश्यकता एवं जानकारी और व्यवहार परिवर्तन पर विशेष प्रयास किये जाने चाहिये।

नवजात के लिये स्तनपान के लाभ

  • बच्चे को स्तनपान से प्रोटीन, वसा, कैलोरी, लैक्टोज, विटामिन, आयरन, पानी और जरूरी एंजाइम पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं।

  • माँ का दूध जल्दी और आसानी से पचता है।

  • बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ उसे कई प्रकार के संक्रमण से भी बचाता है।

  • माँ का दूध बच्चे के मस्तिष्क विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है।

  • माँ के दूध में मिलने वाले तत्व मेटाबोलिज्म को बेहतर बनाते हैं। इसमें पाये जाने वाले फैटी एसिड मस्तिष्क की कोशिकाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

माँ और समाज के लिये स्तनपान का लाभ

स्तनपान माँ के स्तन एवं डिम्ब ग्रंथि (ओवेरियन कैंसर) की संभावनाओं को कम करता है। यह माँ को अपनी पुरानी शारीरिक संरचना वापस प्राप्त करने में सहायक होता है। सामाजिक दृष्टिकोण से स्तनपान बच्चों में मृत्यु-दर को कम करता है।

आज स्तनपान के बारे में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। लोग स्तनपान के फायदों से अवगत होंगे, तभी हम सफल स्तनपान के उद्देश्यों में सफल हो पायेंगे। इस वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान प्रदेश के महिला-बाल विकास विभाग द्वारा अनेक कार्यक्रम किये जा रहे हैं। जिला स्तर पर मीडिया कार्यशाला, निजी अस्पतालों के डॉक्टर, नर्सिंग स्टॉफ का ओरिएन्टेशन, एनसीसी, एनएसएस की छात्राओं का जिलों के मेटरनिटी होम्स में भ्रमण आदि कार्यक्रम होंगे । विभाग ने विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान 4 अगस्त को फ्रेण्डशिप-डे को अलग तरीके से मनाये जाने का निर्णय लिया है। इसमें आम लोगों को सप्ताह की थीम "जागरूक/सहयोगी परिवार-सफल परिवार-सफल स्तनपान'' को ध्यान में रखकर नवजात से दोस्ती कर त्यौहार मनाया जायेगा।

आगँनवाड़ी स्तर पर पूरे सप्ताह रैली का, किशोरी-बालिकाओं से स्तनपान को बढ़ावा देने का संदेश देते दीवार लेखन, अंतिम त्रैमास की गर्भवती महिलाओं के घर जाकर जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान की समझाइश, परिवारजनों को फ्रेंडशिप बैंड बॉधना,सरपंच और पंचायत प्रतिनिधियों की उपस्थिति में जन्म के तुरंत बाद स्तनपान की शुरूआत की जरूरत संबंधी जानकारी देना, स्तनपान के दौरान आने वाली समस्याओं और परेशानियों पर चर्चा तथा उन महिलाओं से भी चर्चा की जाएगी, जो सफल स्तनपान करा रही है। सप्ताह के दौरान आयोजित होने वाली गतिविधियों के प्रभावी क्रियान्वयन में यूनिसेफ, न्यूट्रीशन इन्टरनेशनल, क्लिंटन फाउंडेशन द्वारा सहयोग किया जा रहा है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश