Posted on 05 Nov, 2019 8:31 pm

 राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एन.जी.टी) भोपाल के द्वारा पारित आदेश के अनुक्रम में प्रदेश के आवास एवं पर्यावरण विभाग नया रायपुर के द्वारा संपूर्ण राज्य में फसल अवशेशों को जलाने पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाया गया है। शासन में इस आदेश के परिपालन में कलेक्टर श्रीमती शिखा राजपूत तिवारी द्वारा जिलें में फसल अवशेश न जलाये जाने हेतु फसल आगजनी घटनाओं में अनुश्रवण एवं स्थल निरीक्षण करने हेतु अनुभागीय अधिकारी राजस्व की अध्यक्षता में अनुश्रवण एवं स्थल निरीक्षण दल का गठन किया है इस दल में अनुविभागीय अधिकारी पुलिस, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत, तहसीलदार, पशु चिकित्सा सहायक संल्यज्ञ, वरिश्ठ कृशि विकास अधिकारी, सहकारिता विस्तार अधिकारी आदि अधिकारी सम्मिलित है इस दल का कार्य अपने-अपने कार्य क्षेत्र के अंतर्गत किसी भी प्रकार की फसल अवशेश के जलाने की घटना की सुचना प्राप्त होने पर तत्काल मौके पर जाकर आगजनी के कारणों की विवेचना कर फसल अवशेश जलाने की पुष्टि होने के उपरांत अर्थदण्ड संबंधित पर नियमानुसार अधिरोपित करेंगे। इस कारण कलेक्टर ने जिले के किसानों से अपील की है कि वे खरीफ फसलों के अवशेष खेतो में न जलावें बल्कि गौठान समितियों को पैरा दान करें। 
उप संचालक कृषि ने फसल अवशेशों को जलाने से पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बताया कि फसल अवशिष्ट जलाने से निकलने वाले धुंये में मौजुद जहरीली गैसों से न सिर्फ मानव स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव पड़ता है। साथ ही वायु प्रदूशण का स्तर भी बढ़ रहा है। फसल अवशिष्ट जलाने से मृदा का तापमान बढ़ने के कारण मृदा की संरचना बिगड़ जाती है, तथा लाभदायक सूक्ष्म जीवियो की संख्या कम हो जाती है। जीवांश पदार्थ की मात्रा कम हो जाने से मृदा की उत्पादकता कम हो जाती है। फसल अवशिष्ट जलाने से केचुए, मकड़ी जैसे मित्र कीटों की संख्या कम हो जाने से हानिकारक कीटों का प्राकृतिक नियंत्रण नही हो पाता, फलस्वरूप मजबुरन महंगे तथा जहरीले कीटनाशकों का इस्तेमाल करना आवश्यक हो जाता है। उप संचालक कृषि द्वारा खेत में फसल अवशेष के प्रबंधन के बारे में बताते हुये बताया कि फसल कटाई के उपरंात खेत में पड़े हुये फसल अवशिष्ट के साथ ही जुताई कर हल्की सिंचाई/पानी का छिड़काव करने के पश्चात् ट्रायकोडर्मा का भुरकाव करने से फसल अवशिष्ट 15 से 20 दिन पश्चात् कम्पोश्ट में परिवर्तित हो जायेंगे जिससे अगली फसल के लिए मुख्य एवं सूक्ष्म तत्व प्राप्त होंगे। फसल अवशिष्ट को कम्पोष्ट में परिवर्तित होने के गति बढ़ाने के लिए सिंचाई उपरांत यूरिया का छिड़काव भी किया जा सकता है। फसल अवशिष्ट के कम्पोश्ट में परिवर्तित होने से जीवांश की मात्रा मृदा में बढ़ जाती है। जिससे मृदा की जलधारण क्षमता तथा लाभदायक सूक्ष्म जीवों-सूक्ष्म तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है तो रासायनिक उर्वरकों के उपयोग क्षमता को बढ़ा देती है। ऐसा करने से कम रासायनिक उर्वरक डालकर अधिक पैदावार ली जा सकती है। फसल कटाई उपरांत खेत में बचे हुए फसल अवशिष्ट को इकट्ठा कर गढ्ढे में डालकर गोबर का छिड़काव करें तत्पश्चात् ट्रायकोडर्मा या अन्य अपघटक डालकर कम्पोष्ट तैयार करें। फसल कटाई उपरांत फसल अवशिष्ट खेत में ही पड़े रहने तथा इन्हे बिना जलाये भी उपयुक्त कृषि यंत्रों द्वारा बोनी की जा सकती है। ऊपर बिछे हुए अवशिष्ट नमी संरक्षण, खरपतवार नियंत्रण एवं बीज के सही अंकुरण के लिए मल्चिंग (पलवार) के रूप में कार्य करेंगे। फसल अवशिष्ट का उपयोग मशरूम उत्पादन के लिए किया जा सकता है। धान के पैरे को यूरिया से उपचार कर पशुओ के सुपाच्य एंव पौष्टिक चारे के रूप में उपयोग किया जा सकता है। फसल अवशिष्ट का उपयोग अन्य कार्यो जैसे कार्ड बोर्ड एवं खुरदुरे कागज निर्माण हेतु कच्चे माल के रूप में किया जा सकता है। फसल अवशेषो के प्रबधंन के लिये उपयोगी कृषि यंत्रो के बारे में विस्तृत जानकारी कृषि विज्ञान केन्द्र बेमेतरा के वैज्ञानिक श्री जितेन्द्र जोशी (मोबाईल नं. 78050-39366) या कृशि विभाग बेमेतरा से सम्पर्क किया जा सकता है। जिला प्रशासन द्वारा किसानों से खेत में फसल अवशिष्ट न जलाने की अपील करते हुए गौठान समितियों को पैरा दान करने का आव्हान किया है।

साभार – जनसम्पर्क विभाग छत्तीसगढ़