Posted on 05 Mar, 2020 5:23 pm

आधुनिक पद्धति से लाभकारी फसलों की खेती में कांकेर जिले के किसान भी नई इबारत लिख रहें है। चारामा विकासखण्ड के ग्राम परसोदा के किसान बिसेश्वर साहू ने पिछले वर्ष मात्र ड़ेढ एकड़ में टमाटर की खेती कर 04 लाख रूपये की आमदनी प्राप्त की है, इस वर्ष मात्र 40 डिस्मिल मे बैगन की खेती कर अब तक 50 हजार रूपये तक का बैगन बेच चुका है तथा अभी भी फल लगे हुए है। आधुनिक खेती को अपनाकर बिसेश्वर स्वयं आत्म निर्भर बन चुके है, साथ ही अपने गांव के 10 अन्य लोगों को भी प्रतिदिन रोजगार उपलब्ध करा रहें है।
कलेक्टर श्री के.एल. चौहान जिले के आला अधिकारियों के साथ चारामा विकासखण्ड के ग्राम परसोदा के सेंदार नाला डायर्वसन के नहर-नाली निर्माण के निरीक्षण पर पहुंचे थे, उस समय उन्हें कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस अंचल के किसानों द्वारा आधुनिक पद्धति से नकदी फसलों जैसे- साग-सब्जी, मक्का इत्यादि की खेती की जा रही है। ग्राम परसोदा के किसान बिसेश्वर साहू द्वारा भी आधुनिक पद्धति को अपनाकर खेती किया जा रहा है, उनकी बातों को सुनकर कलेक्टर श्री चौहान तत्काल बिसेश्वर साहू की खेत पर पहुंच गये तथा उनके द्वारा टपक सिंचाई पद्धति सह प्लास्टिक मल्चिंग से की जा रही कलिंदर, बैगन, टमाटर, फुलगोभी, पत्तागोभी, करेला, इत्यादि की खेती का अवलोकन किया। कलेक्टर द्वारा जानकारी लेने पर बिसेश्वर साहू ने बताया कि पिछले वर्षो से उनके द्वारा आधुनिक पद्धति को अपनाकर खेती की जा रही है, इससे पानी की भी बचत होती, लागत कम आती है और आमदनी भी ज्यादा होता है। उन्होंने  बताया कि पिछले वर्ष ड़ेढ एकड़ में टमाटर की खेती की गई थी, जिससे 04 लाख का फायदा हुआ, इस वर्ष मात्र 40 डिस्मिल में बैगन की खेती से अब तक 50 हजार रूपये का फायदा हो चुका है। उनके द्वारा दो एकड़ में पत्तागोभी एवं फुलगोभी, चार एकड़ में कलिंदर(तरबूज), ड़ेढ एकड़ में टमाटर, एक एकड़ में करेला और 40 डिस्मिल में बैगन की खेती की जा रही है। कलेक्टर श्री चौहान ने उनके  द्वारा की जा रही आधुनिक खेती की प्रसंशा की गई, साथ ही कृषि विभाग के उप संचालक एन.के. नागेश को निर्देशित किया गया कि जिले के अन्य किसानों को भी इस प्रकार की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाय, इसके लिए क्षेत्र भ्रमण भी कराया जावे। कलेक्टर से चर्चा के दौरान किसान बिसेश्वर साहू ने कहा कि चार एकड़ में की जा रही कलिंदर की खेती में 40 से 50 टन उत्पादन होने का अनुमान है। उन्हांने अपने खेत में लगे कलिंदर को तोड़कर कलेक्टर सहित अन्य जिला अधिकारियों को भेंट किया।

साभार – जनसम्पर्क विभाग छत्तीसगढ़