Posted on 20 Jun, 2019 5:26 pm

श्योपुर जिले की ग्राम पंचायत पानड़ी के ग्राम डाबरसा की कमलेश पत्नि जगदीश बैरवा पाँचवी कक्षा तक पढ़ी है। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर इन्होंने अंबेड़कर स्व-सहायता समूह बनाया और गाँव में आटा चक्की शुरू की। आज कमलेश आटा चक्की का पूरा खर्चा निकालने के बाद सालाना 2 लाख रूपये से अधिक आमदनी प्राप्त कर रही है।

आटा चक्की का व्यवसाय शुरू करने से पहले कमलेश की गरीबी उसके लिये चिन्ता का विषय थी। पैतृक जमीन पर खेती से तीन बच्चों के परिवार का पालन-पोषण कठिन हो गया था। जब इन्हें म.प्र. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से स्व-रोजगार शुरू करने के बारे में मदद मिलने का पता चला, तो इन्होंने गॉव की अन्य महिलाओं के साथ मिलकर 'अम्बेडकर स्व-सहायता समूह' बनाया।

आजीविका मिशन द्वारा कमलेश को व्यवसाय के बारे में प्रशिक्षण दिलवाया गया। गाँव में ही आटा-चक्की लगाने के लिए बैंक से ऋण भी दिलवाया गया। कमलेश और साथी महिलाओं की मेहनत रंग लाई। आटा चक्की में पिसाई का काम दिनों-दिन बढ़ रहा हैं। कमलेश और साथी महिलायें गाँव में सम्मानजनक स्थान प्राप्त कर चुकी हैं। अब कमलेश आर्थिक रूप से आत्म-निर्भर हो गई है।


(सफलता की कहानी)

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश​​

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