Posted on 07 Nov, 2019 8:56 pm

राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने आज राजभवन में जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर और राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के कुलपतियों के साथ कृषि विकास एवं विस्तार और कृषि से होने वाली आमदनी को बढ़ाने के संबंध में विस्तार से चर्चा की। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय संचालन में आने वाली समस्याओं से अवगत होते हुए उसके समाधान के लिए कुलपतियों को आश्वस्त किया। बैठक में प्रमुख सचिव कृषि श्री अजीत केसरी, राज्यपाल के सचिव श्री मनोहर दुबे और विधि अधिकारी श्री भरत पी. महेश्वरी उपस्थित थे।

राज्यपाल ने कहा कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश विभिन्न फसलों के उत्पादन में पहले स्थान पर है। राज्यपाल ने कहा अब हमें मल्टी क्रॉप पद्धति को अपनाते हुए खेती करनी चाहिए क्योंकि लगातार एक ही फसल बोये जाने से उत्पादन और मूल्यों में गिरावट आती है, जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है। उन्होंने कहा कि विभिन्न फसलों के उत्पादन से एक उपज में हानि होने से अन्य उपज से भरपाई संभव है।

राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि विश्वविद्यालय को अध्ययन और शोध के द्वारा निर्धारित करना चाहिए कि कितने प्रतिशत स्थान में कौन-सी फसल बोई जाए। साथ ही वैज्ञानिक पद्धति से खेती करने के लिए किसानों को प्रेरित भी करना चाहिए। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को समय-समय पर किसानों से विचार विमर्श करना चाहिए, जिससे वैज्ञानिक और पारंपरिक खेती के बीच तालमेल बन सके। उन्होंने जैविक खेती, जीरो बजट खेती और बागवानी के द्वारा किसानों को आर्थिक रूप से सम्पन्न बनाने और कृषि विश्वविद्यालय में नवाचार करने पर जोर दिया। राज्यपाल ने किसानों को गोबर, गोमूत्र, बेसन और गुड़ से बनने वाली जीवामृत खाद का उपयोग करने की सलाह देने की जरूरत बताई। श्री टंडन ने कहा कि अन्य राज्यों की फसलों को मध्यप्रदेश में वैज्ञानिक पद्धति से उत्पादित करने के लिये कृषि विश्वविद्यालय पहल करें। अपने प्रचलित पाठ्यक्रमों के अलावा अन्य रोजगारमूलक पाठ्यक्रम भी शुरू करें।

बैठक में जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के कुलपति डॉ. प्रदीप कुमार बिसेन एवं राजमाता विजयराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के कुलपति डॉ. एस.के. राव ने उपलब्धियों और समस्याओं से राज्यपाल को अवगत कराया। राज्यपाल ने उपस्थित वरिष्ठ अधिकारियों को यथाशीघ्र इन समस्याओं का निराकरण कर उन्हें अवगत कराने के निर्देश दिए।

साभार – जनसम्पर्क विभाग छत्तीसगढ़

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