Posted on 08 Mar, 2020 3:01 pm

विषय : 'महिलाओं को बराबरी के अवसर'


एंकर
-    सभी श्रोताओं को नमस्कार, जय जोहार।
-    लोकवाणी की आठवीं कड़ी के लिए माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी आकाशवाणी के रायपुर स्टूडियो पधार चुके हैं।
-    माननीय मुख्यमंत्री जी आपका बहुत-बहुत स्वागत है।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
-    जम्मो सुनवइया मन ल जय जोहार, नमस्कार।
-    आज के दिन पूरा संसार महिला दिवस मनावत हे।
-    8 मार्च ल संयुक्त राष्ट्र संघ ह अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस घोषित करे हे।
-    ते पाय के आज मैं जम्मो नोनी मन ल, दीदी-बहिनी मन ल, महतारी मन ल, जोहार करत हौं, परनाम करत हौं। सब्बो मन ल बधाई देवत हौं।
-    बछर म एक दिन महिला दिवस मनाये के ये मतलब नो हे के हमन ल महिला मन के संसो सिरिफ एक दिन करे बर हे। ये दिन के मतलब हे जम्मो संसो ल सकेल के आत्मचिंतन करना अउ नवा रद्दा, नवा सुविधा बर विचार करना हे। ये अवसर नवा सोच-बिचार के घलो हे।
एंकर
-    आज 21वीं शताब्दी में महिलाओं को बराबरी के अवसर पाने के लिए कहीं न कहीं संघर्ष करना पड़ता है। महिलाओं को आधी दुनिया माना जाता है, जो उनकी अहमियत बताता है। इस संबंध में आपके विचार जानना चाहेंगे।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
-    बिल्कुल सही कहा आपने।
-    मातृ-शक्ति के बिना इस संसार की कल्पना नहीं की जा सकती।


जग जननी जय जय,
माँ जग जननी जय जय,
भय हारिणी, भव तारिणी,
भव भामिनी, जय जय।


-    मातृ-शक्ति को हमारे धर्म, अध्यात्म, परम्परा, संस्कार, लोक जीवन में पूज्यनीया का सम्मान प्राप्त है।
-    हमारे छत्तीसगढ़ में तो देवी को अपने हर स्वरूप में माँ माना जाता है।
-    दन्तेवाड़ा में माँ दन्तेश्वरी, डोंगरगढ़ में माँ बम्लेश्वरी, रतनपुर में माँ महामाया, चन्द्रपुर में माँ चन्द्रहासिनी के शक्तिपीठ और हर गांव-हर शहर में कोई न कोई लोक आस्था केन्द्र है, जिसके बारे में व्यापक मान्यता है कि वहाँ विराजी देवी माँ हमारी रक्षा करती हैं, पालन करती हैं, जिनके आशीर्वाद से हम तरक्की करते हैं।
-    मुझे खुशी है कि छत्तीसगढ़ में स्त्री-पुरूष अनुपात राष्ट्रीय औसत से बेहतर है और इसमें सुधार भी हो रहा है।
-    रायगढ़ एवं बीजापुर जिले में ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान’ के तहत सराहनीय कार्य किए जा रहे हैं।
-    आदिवासी अंचलों में तो महिलाओं की संख्या पुरूषों से भी अधिक है, जो देश और दुनिया के लिए एक उदाहरण है।
-    हमारे यहाँ बहुत से समाजों में मातृ-सत्ता की प्रधानता है, लेकिन इन सबके बावजूद,महिला और पुरूषों में बराबरी का सवाल सामयिक है।
-    इस स्थिति को लेकर बहुत से कवि, लेखक, साहित्यकारों ने बहुत कुछ लिखा-पढ़ा है।
-    सुशीला टांकभौंरे की एक कविता के माध्यम से जन भावनाओं की आवाज यहाँ रखना चाहता हूँ।

चक्की में पिसते अन्न की तरह नहीं
उगते अंकुर की तरह जियो
धरती और आकाश सबका है
हवा और प्रकाश सबका है
सब पर अपना हक जताओ
नयी पहचान बनाओ

एंकर
-    माननीय मुख्यमंत्री जी, आज इक्कीसवीं सदी में महिलाओं के आगे बढ़ने के रास्ते में क्या बाधाएं हैं और उनका समाधान कैसे होगा।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
-    बाधाएँ या तो ऐतिहासिक/परम्परागत/सामाजिक/भौगोलिक कारणों से हैं अथवा मनोवृत्ति की वजह से हैं।
-    आजादी की लड़ाई में महिलाओं ने पुरूषों के कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया था और यह साबित कर दिया था कि उन्हें बराबरी का पूरा हक है।
-    जो ऐतिहासिक और परम्परागत कारण रहे हैं, उसका समाधान भारत की आजादी और संविधान निर्माण के साथ हो गया था।
-    लेकिन हम जानते हैं कि मनोवृत्ति बदलने के लिए सामाजिक जागरण की जरूरत पड़ती है।
-    विगत 7 दशकों का इतिहास गवाह है कि हमने महिलाओं को अधिकार देकर ही बहुत बड़े अंतर को पाट दिया है लेकिन देश में कई स्थानों पर ऐसे समूह कार्यरत हैं, जिनकी सोच प्रतिगामीे है और जो महिलाओं को समानता का अधिकार देने के उदार विचारों के खिलाफ खड़े होते हैं। इसलिए महिलाओं का संघर्ष लम्बा हो जाता है।
-    शासन की सोच और पहल यदि महिलाओं के पक्ष में मजबूती से हों तो चीजें तेजी से बदलती हैं।
-    विगत सवा साल से छत्तीसगढ़ में हमारी सरकार है और हमने यह प्रयास किया है कि महिलाओं के सम्मान को मजबूत अधिकार देकर ही मजबूत किया जा सकता है।
-    हमने महिला सम्मान को उनके अधिकारों और स्वावलंबन से जोड़ने की रणनीति अपनाई है।
-    मुझे यह कहते हुए बहुत संतोष होता है कि हमने जहाँ-जहाँ महिलाओं को सुविधाएं दी हैं, वहाँ उन्होंने आगे बढ़कर बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियाँ उठाई हैं और सफलता की नई-नई कहानियाँ लिख रही हैं।


एंकर
-    माननीय मुख्यमंत्री जी, आपकी रणनीति की सफलता की कहानी हितग्राहियों की जुबानी ही सुन लेते हैं।
-    1.    गायत्री, ग्राम कुरूवा (जिला-सूरजपुर) 28 फरवरी (1)
    आपने 9 नवम्बर को सिलफिली में हमारे जिले के सभी 6 विकासखण्डों की ट्रायबल मार्ट दुकानों का उद्घाटन किया था। इससे हम लोगों को बराबरी का अवसर मिला और 1481 परिवारों को रोजगार मिलने से जीने के नई आस जगी। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। अभी तक हम लोगों ने 1 करोड़ रू. का सामान छात्रावासों और खुले बाजारों में बेच लिया हैै। हम सभी महिला स्व-सहायता समूह के लोग बहुत खुश हैं। मुख्यमंत्री जी आपसे निवेदन है कि हम लोगों की दुकान देखने जरूर आइयेगा। हम सबकी तरफ से आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।
    2.    खुशबू, ग्राम समाजवार (जिला-सूरजपुर) 28 फरवरी (3)
    ट्राइबल मार्ट का समूह है जिसमें मैं अध्यक्ष हूँ। मैं जिस समाजवार गांव में रहती हूं, वहां महिलाएं चहार-दीवारी के अंदर रहती हैं। चूल्हा-चौका, पति की सेवा, बाल-बच्चों की सेवा करने को ही पसंद किया जाता है। जो काम पुरूष करते हैं, उन कामों में महिलाओं को किसी भी स्थिति में नहीं लाया जाता है। इसके पीछे कारण यह है कि क्या तुम्हारे घर में कोई पुरूष कमाने वाला नहीं है, इसका परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा था। आर्थिक तंगी के बीच जीवन गुजर बसर हो रहा था। इसी संबंध में हमारे गांव में गौठान का निर्माण किया गया है। इसमें महिलाओं के समूह को गौठान में छत्तीसगढ़ सरकार तथा जिले के कलेक्टर के माध्यम से आगे आने के लिए हर संभव मदद दी गई है। महिलाएं पोल, पंचिग तार तथा अन्य कार्य निर्माण कर रही हैं। मशीन पाकर बड़े-बड़े यूनिट कार्य अपने हाथों से कर रही हैं। सभी ग्रामवासी कहते थे पुरूषों के काम को महिलाएं कैसे करेंगी, लेकिन हम लोग हिम्मत नहीं हारी। हमने काम शुरू कर 15 दिन में ही सामान बनाकर बेचा। इसमें हमंे मुनाफा भी अच्छा मिला और हमारा सामान भी आसानी से गौठान में बिक गया। कलेक्टर ने लगातार हम लोगों का उत्साह बढ़ाया और हर-संभव मदद दिलाते रहे। हम लोगों को माननीय मुख्यमंत्री जी से भी मुलाकात कराया। हमारे काम की काफी सराहना भी की, जिससे हमारी महिलाओं को आत्मसंबल मिला। तब हम लोगों को लगा कि जो काम पुरूष कर सकते हैं वह काम महिलाएं भी क्यों नहीं कर सकती हैं। अब हम जिला प्रशासन के सहयोग से आत्मनिर्भर हो गए है। इसके कारण समाज, परिवार और गांव में हमारा आत्मसंबल भी बढ़ा है साथ ही आर्थिक स्थिति ठीक होने से लगता है कि महिलाओं को पुरूषों के काम में बराबरी का अधिकार दिया जाना चाहिए। हमारा संगठन जो बना हुआ है, उसको आज एक वर्ष हो गया है। हम अब-तक 81 लाख 68 हजार 971 रू. की बिक्री कर चुके हैं।
    3.    लालमणी राजवाड़े (जिला-सूरजपुर) 28 फरवरी (4)
    हमारे प्रदेश के लोकप्रिय माननीय मुख्यमंत्री जी को मेरा सादर प्रणाम। मैं आपको जानकारी देना चाहती हूँ कि मैं पहले अपने घर के अंदर तक ही सीमित थी। खाना बनाती थी और घर की देखभाल करती थी। परंतु जब से मैं बिहान योजना से जुड़ी हूं और अपने ग्राम की 186 महिलाओं को मिलाकर ग्राम संगठन का निर्माण किया है तब से हम सभी सदस्यों को आत्मनिर्भर बनने का मौका मिला। हमारे ग्राम में एसईसीएल की खुली खदान में पानी भरने से भी झील का निर्माण हुआ। हमारे जिले के कलेक्टर महोदय के प्रयासों से इस स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में परिवर्तित किया गया। कलेक्टर महोदय के द्वारा हमारे समूह को दो नग बोट मिले। हम लाइफ गार्ड का काम करती है, जिससे हमें आर्थिक लाभ होता है। महोदय हम लोग 14 अक्टूबर 2019 से आज तक हम लोगों को मोटर बोट से भ्रमण कराने का काम कर रही हैं। अभी तक 8 लाख 15 हजार 426 रू. तक की आमदनी हुई है। आज हम इसके माध्यम से अपने परिवार का भरण-पोषण भी कर पा रहे हैं। माननीय मुख्यमंत्री जी की सरकार के द्वारा महिला सशक्तीकरण के लिए कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं। उनका लाभ हमें मिल भी रहा है। इन योजनाओं का लाभ प्रदेश की सभी महिलाएं उठा सकें इसके लिए हमें मार्गदर्शन व दिशा-निर्देश देने की कृपा करें, ताकि हर महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
-    बहुत धन्यवाद। गायत्री जी, खुशबू जी, आपको बता दूं कि सूरजपुर में आप लोगों ने जो उपलब्धियां हासिल कीं, उसका लाभ पूरे राज्य को दिलाने के लिए आदेश जारी कर दिया गया है।
-    हमने अन्य जिलों में भी यह व्यवस्था करने कहा है कि स्थानीय स्तर पर महिला स्व-सहायता समूह, वो चाहे गौठान से जुड़े हों या किसी अन्य कार्य से, उनके द्वारा निर्मित सामग्री के विपणन के लिए जिला प्रशासन पूरा सहयोग करेगा।
-    सरकार की विभिन्न संस्थाओं, स्कूल, छात्रावास या अन्य शासकीय विभागों में जरूरत के अनुसार खरीदी में ऐसे समूहों को पूरी प्राथमिकता मिलेगी।
-    ‘‘एक दुकान-सब्बो सामान’’ के नवाचार से ग्रामीण महिलाओं को समृद्धि और खुशहाली का नया रास्ता मिला है।
-    सूरजपुर तो एक उदाहरण है। मैं पूरे प्रदेश में कार्यरत हजारों महिला स्व-सहायता समूह से जुड़ी लाखों महिलाओं को सेल्यूट करता हूं।
-    बहनों, आप लोगों ने साबित किया है कि आप सचमुच शक्ति स्वरूपा हो। घर की जिम्मेदारी संभालने के बावजूद आप लोगों ने डेहरी के बाहर कदम रखा।
-    गांव, घर-परिवार को समृद्ध-खुशहाल बनाया है।
-    कारोबार के साथ समाज सुधार तक में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। आज मैं खुले मन से कहना चाहता हूं कि हम सब छत्तीसगढ़ की नारी के आभारी हैं।
-    आप लोगों ने नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने का अलख जगा दिया है। आप सबका वंदन और अभिनंदन है। आपके साहस, मौलिकता, नवाचारों का अभिनंदन है।
एंकर
-    माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को लेकर जो नई पहल की है, उसका व्यापक असर प्रदेश के हर अंचल में हुआ है। आइए सुनते हैं कुछ विचार -
-    नीता ठाकुर, झिरिया, (जिला-नारायणपुर) 28 फरवरी (20)
    मुख्यमंत्री जी को मेरा सादर नमस्कार। आपके द्वारा महिलाओं एवं बच्चों को सुपोषित करने के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान शुरू किया गया है, जिससे मेरे आंगनबाड़ी केन्द्र के अंतर्गत आने वाली महिलाएं एवं बच्चे सुपोषित हो रहे हैं। आने वाले बच्चे एवं महिलाएं आपका आभार मानते हैं। शासन द्वारा अण्डा देने के निर्णय से यहां की महिला एवं बच्चे खुश हैं। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
-    सरला नायर (जिला-नारायणपुर) 28 फरवरी (10)
-    माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा जो सुपोषण अभियान चलाया जा रहा है, वह प्रदेशभर के लिए सराहनीय है, परन्तु इसमें बहुत ही समस्या है, हम कार्यकर्ताओं का बहुत ज्यादा काम हो गया है। सहायिकाओं का भी अधिक काम बढ़ गया है। हम लोगों को अतिरिक्त संख्या देने का कष्ट करे। माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कि सुपोषण अभियान को अच्छे से चलाने के लिए अतिरिक्त संख्या की आवश्यकता है।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
-    नारी का जीवन अपने परिवार की सारी आवश्यकताओं के लिए समर्पित रहता है। नारी को अन्नपूर्णा भी कहा जाता है, क्योंकि वही परिवार के लिए भोजन और पोषण का इंतजाम करती है।
-    हमने महसूस किया कि यदि माँ कुपोषित, एनीमिया की शिकार रहेगी तो उनके शिशु की सेहत कैसे अच्छी रहेगी और इस तरह तो पूरी पीढ़ी जन्मजात कमजोर हो जाएगी।
-    इसलिए हमने कुपोषण को सबसे बड़ी हिंसा, नक्सलवादी और आतंकवादी हमले से ज्यादा नुकसानदायक माना है।
-    मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान वास्तव में माँ और नवजात शिशु के बेहतर जीवन की शुरूआत के लिए है।
-    मुझे खुशी है कि हमारी बहनों ने बहुत जिम्मेदारी और गंभीरता के साथ इस अभियान के मर्म को समझा है।
-    2 अक्टूबर 2019 अर्थात गांधी जयंती के दिन से प्रदेश के सभी जिलों में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान शुरू किया गया। इसके अन्तर्गत जन्म से 5 वर्ष तक के बच्चों को तथा 15 से 49 वर्ष तक की महिलाओं को खून की कमी और कुपोषण की समस्या से उबारने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में साढे़ पाँच लाख हितग्राहियों को अतिरिक्त पोषण आहार, गर्म भोजन दिया जा रहा है।
-    इसके अलावा पूरक पोषण आहार कार्यक्रम, महतारी जतन योजना, पोषण आहार योजना का संचालन भी किया जा रहा है। इस तरह 30 लाख से अधिक हितग्राहियों को विभिन्न पोषण योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। इसमें गर्भवती भी हैं, शिशुवती भी हैं तथा अन्य आवश्यकताओं वाली बहनें भी हैं।
-    आंगनबाड़ी केन्द्रों, महिला स्व-सहायता समूहों से लेकर जनभागीदारी समितियों तक का सहयोग इस अभियान में मिल रहा है।
-    सुपोषण अभियान बहुत अच्छे से चल रहा है जिसके कारण कुपोषण की दर में कमी की खबरें आनी भी शुरू हो गई हैं।
एंकर
-    माननीय मुख्यमंत्री जी, लोकवाणी में हमने देखा है कि बहुत सारी बहनें जो शिक्षाकर्मी हैं वे अपने नियमितीकरण की मांग करती हैं। इसी प्रकार रोजगार के अवसरों के प्रति बहनों का रूझान बहुत सकारात्मक है, आइए सुनते हैं एक विचार -
-    सुप्रिया शर्मा, धमनी (जिला-बिलासपुर) 28 फरवरी (18)
-    जिन लड़कियों ने स्नातक और स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त कर ली है, अभी तक उनके रोजगार के लिए क्या प्रयास किए गए हैं। उनके आगे के लिए क्या योजनाएं हैं ? उच्च शिक्षित महिलाओं, लड़कियों के स्वावलंबन के लिए, उनको रोजगार देने के लिए आपके द्वारा क्या प्रयास किये गए हैं, ‘जो किए गए हैं, वो क्या काफी हैं’ और उनके आगे की क्या योजना है ?
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
-    आपने शिक्षाकर्मी बहनों की समस्या का जिक्र किया तो आपको बता दूं कि हमने इस मामले को पूरी संवेदनशीलता से, पूरी जिम्मेदारी से देखा है, उनकी सारी समस्याओं का हल किया है।
-    एकमात्र सवाल और मांग यह रह गयी थी कि 2 साल की सेवा पूरी करने वाले शिक्षाकर्मी को भी नियमित कर दिया जाए।
-    अभी हमने वर्ष 2020-21 का बजट विधानसभा में प्रस्तुत किया है, इस बजट में यह मांग भी पूरी कर दी गई है।
-    विधानसभा से बजट पारित होते ही इसकी प्रक्रिया पूरी कर दी जाएगी, इस निर्णय का ज्यादातर लाभ महिलाओं को ही मिलेगा।
-    शिक्षित महिलाओं के रोजगार के अवसरों के बारे में सुप्रिया बहन ने जो प्रश्न किया है उसके लिए बहुत धन्यवाद।
-    आप देखिए कि जब से हमारी सरकार आई है, प्रदेश में किस तरह से रोजगार की बहार आई हुई है।
-    पी.एस.सी., व्यापम, विभागीय परीक्षाओं के माध्यम से होने वाली भर्तियों के दरवाजे खोल दिए गए हैं।
-    शासकीय सेवाओं में महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत पद आरक्षित किए गए हैं। वहीं आयु सीमा में भी 10 वर्ष की विशेष छूट दी गई है।
-    इस तरह सभी नियमों का पालन करते हुए जितने पुराने रिक्त पद थे, उन सब पर भर्ती हुई है और हो रही है।
-    नई प्रशासनिक इकाइयों, नए कार्यालयों, नए स्कूल-कॉलेजों के लिए भी लगातार निर्णय लिए जा रहे हैं और मुझे खुशी है कि नियमित भर्ती प्रक्रिया में भी बड़ी संख्या मंे बेटियाँ और बहनें परीक्षाओं के माध्यम से चयनित हो रही हैं।
-    जब प्रशासनिक इकाइयाँ बनती हैं तो वहां काम करने के लिए नए पद भी सृजित होते हैं।
-    स्कूल हो या कॉलेज, शिक्षकों, प्राध्यापकों, खेल शिक्षकों आदि पदों पर लम्बे अरसे से संविदा/एडहॉक आदि तरीके से अस्थाई नियुक्ति की जाती थी, हमने स्थायी नियुक्ति का रास्ता अपनाया है ताकि युवाओं को हर साल रिनीवल की चिन्ता न करना पड़े कि आज तो नौकरी पर हैं, कल क्या होगा, पता नहीं।
-    ऐसी परिस्थितियों से हमने युवाओं को, बेटियों को, बाहर निकाला है ताकि वे अपने भविष्य की पक्की योजना बना सकें।
एंकर
-    माननीय मुख्यमंत्री जी, महिलाओं की सुरक्षा को लेकर निरन्तर चर्चा होती है, कहीं कोई घटना हो जाती है तो चर्चाएं जोर पकड़ने लगती हैं। एक सवाल लेते हैं और उसके बाद आपसे निवेदन है कि महिलाओं और उनके अधिकारों की सुरक्षा को लेकर प्रदेश में जो व्यवस्थाएं की गई हैं, उसके संबंध में जानकारी प्रदान करें।
-    उत्तरा विदानी (जिला-महासमुंद) फरवरी 28 (6)
-    महासमुंद में महिलाओं के लिए कोई भी महिला डेस्क नहीं है थाने में। जिले में कहीं भी महिला डेस्क नहीं है। महिलाओं की सुनवाई पुरूषों के बीच में ठीक से नहीं हो पाती है। महिलाएं अपनी समस्याएं थाने में ठीक से नहीं बता पाती हैं। महिला सशक्तीकरण की दिशा में यह काम होना चाहिए।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
-    प्रश्न करने के लिए धन्यवाद।
-    आपकी जानकारी के लिए बताना चाहता हूँ कि महासमुन्द जिले में हर थाने में महिला डेस्क स्थापित है। इसके अलावा 1091 महिला हेल्प लाइन नम्बर भी है। यदि किसी को आवश्यकता पड़े तो उन्हें तत्काल मदद मिल सकती है।
-    महिलाओं की सुरक्षा के लिए हमारी सरकार ने हर स्तर पर कदम उठाए हैं।
-    महिला हेल्प लाइन 181, सखी वन स्टॉप सेन्टर, महिला-पुलिस स्वयंसेविका योजना, महिला जागृति शिविर, स्व-आधार योजना, उज्ज्वला गृह योजना, कामकाजी महिला हॉस्टल योजना, महिला शक्तिकेन्द्र योजना आदि सुरक्षा तथा सहयोग के लिए काम कर रहीं हैं।
-    जहाँ तक थानों में महिला डेस्क स्थापित करने का सवाल है तो मैं बता दूं कि प्रदेश के 374 थानों में महिला डेस्क स्थापित किए जा चुके हैं तथा 8 जिलों में महिला विरूद्ध अपराध विवेचना इकाई भी संचालित की जा रही है।
-    4 हजार 255 सार्वजनिक स्थानों पर सी.सी.टी.वी. कैमरे स्थापित किए गए हैं तथा स्थानीय स्तर पर संगठनों को प्रेरित किया जा रहा है कि वे भी अपने स्तर पर सी.सी.टी.वी. कैमरे सार्वजनिक स्थानों पर लगाएं।
-    महिलाओं से संबंधित अपराधों की विवेचना के लिए 6 जिलों में प्ण्न्ण्ब्ण्।ण्ॅण् का गठन किया गया है। चार जिलों में महिला थाने स्थापित किए गए हैं।
-    इसके अतिरिक्त पारिवारिक विवाद एवं महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों के लिए महिला परामर्श केन्द्र, महिला पुलिस वालंटीयर्स तथा बालिका आश्रम व छात्रावास में सुरक्षा हेतु महिला होमगार्ड की तैनाती की गई है।
-    अपराध से पीड़ित महिलाओं के लिए क्षतिपूर्ति राशि का प्रावधान किया गया है।
-    महिलाओं की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी ही नहीं सर्वोच्च प्राथमिकता है।
-    मैं माताओं-बहनों से अपील करता हूँ कि वे इस संबंध में स्वयं भी जागरूक हों और अन्य लोगों को इसके बारे में बताएं।
-    अपने कानूनी अधिकारों और राज्य सरकार द्वारा संचालित की जा रही योजनाओं के बारे में आपस में चर्चा करना बहुत जरूरी है ताकि किसी संकट पर यह याद रहे कि कहां से क्या मदद मिल सकती है।
-    महिला सुरक्षा के संबंध में यदि किसी का कोई सुझाव हो तो उसे बेधड़क होकर, बिना संकोच किए मुझे प्रेषित कीजिए।
-    हम पूरी प्राथमिकता से उस पर विचार करेंगे और जल्दी से जल्दी अमल करेंगे।
-    यह विषय सिर्फ एक बार चर्चा करने का नहीं है बल्कि निरंतर सावधानी बरतने का और इसके बारे में बातचीत करते रहने का है।
एंकर
-    माननीय मुख्यमंत्री जी, आप गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के जनक हैं, जिला निर्माता हैं। इस नए जिले से एक सवाल लेते हैं।
-    विनती, पेंड्रा 4 नम्बर वार्ड से मैं यहां पार्षद हूँ। 27 फरवरी (24)
-    पेंड्रा क्षेत्र को जिला बनाने की सौगात के लिए आपका धन्यवाद। हमारे यहां महिलाओं की प्रेगनेंसी और अन्य चीजों के लिए सेन्टोरियम हॉस्पिटल है। यहां कोई भी क्रिटिकल केस आता है तो विशेषज्ञ डॉक्टर की कमी है। यहां से केस को बिलासपुर या रायपुर रेफर कर दिया जाता है। आपसे प्रार्थना है कि कोई विशेषज्ञ डॉक्टर यहां नियुक्त करें। महिलाओं की शिक्षा हेतु अच्छे कॉलेज की स्थापना भी यहां आवश्यक है।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
-    मुझे नए जिले की आवाज सुनकर बहुत खुशी हुई।
-    आपकी जागरूकता को सलाम, बहुत धन्यवाद विनती जी।
-    आपने जिन समस्याओं का जिक्र किया है, उनके निराकरण के लिए ही तो नया जिला बनाया गया है।
-    अब गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही को जिले के रूप में नए पंख मिल गए हैं। हम पूरी तैयारी कर रहे हैं कि जल्दी से जल्दी यहाँ सारी प्रशासनिक सुविधाएं, सारी सेवाएं काम करने लगें।
-    नयी प्रशासनिक इकाई बनाने से आपके अंचल के लिए पूरा अमला उपलब्ध होगा और जनहित की सारी सुविधाएं नए रूप मंे व्यवस्थित की जाएंगी। आपका जिला अब मेरा जिला है। इसकी चिन्ता मैं स्वयं करूंगा। देखिएगा, जल्दी ही आपके जिले में बदलाव दिखाई पड़ेगा।

एंकर
-    माननीय मुख्यमंत्री जी, आखिरी में 2 सवाल, कृपया सुनकर जवाब दीजिएगा।
-    खेलन्ती, ओड़गी 27 फरवरी (15)
-    समूह की महिलाओं को बड़ा उद्योग चलाने के लिए बैंक लोन के अलावा और भी कोई फंड मिल सकता है क्या जो कम ब्याज में हो?
-    लीला देवांगन, बस्तर 27 फरवरी (9)
-     एक महिला यदि कुछ करना चाहती है तो मायके से पूरा सपोर्ट मिलता है लेकिन बाकी जगहों से उसे लोग सपोर्ट क्यूं नहीं करते?
माननीय मुख्यमंत्री का जवाब
-    खेलंती बहन, यदि महिला समूह बड़ा उद्योग लगाना चाहते हैं तो उनके लिए हमारी सरकार ने बहुत सी सुविधाएं दी हैं।
-    हर विभाग में उन्हें प्राथमिकता और सुगमता से काम करने की सुविधा है। बहुत से नियम शिथिल किए गए हैं। आपको हमारी नई उद्योग नीति के बारे में पूरी जानकारी लेनी चाहिए। वहां आपको वह सब मिलेगा, जो आपके सपने साकार कर सके।
-    लीला बहन, मायका तो प्यारा होता ही है और हर बेटी मायके में राजकुमारी होती है, लेकिन बाकी जगह भी आपको सुगमता मिले, यह तो जनचेतना का विषय है। मैं कहना चाहता हूं कि वक्त तेजी से बदल रहा है और बेटियां खुद अपने लिए अनुकूल वातावरण बनाने में सफल हो रही हैं।
-    मुझे विश्वास है कि क्या घर-क्या बाहर, हर जगह बेटियों का राज होगा। मेरी शुभकामनाएं।
-    दो दिन बाद होली है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार है। साथ ही रंगों में रंग मिलाने का अर्थात हर इंसान के बीच समन्वय, सद्भाव और सौहार्द्र का त्यौहार है।
    (छत्तीसगढ़ी फाग गीत........)
-    आप सबको होली की शुभकामनाएं।
-    20 मार्च को ‘भक्त माता कर्मा जयंती’ तथा वीरांगना रानी अवंतीबाई लोधी का बलिदान दिवस है। एक ओर त्याग, भक्ति और अध्यात्म का शिखर तो दूसरी ओर पराक्रम और सर्वोच्च बलिदान। मातृ-शक्ति के इन दोनों स्वरूपों को नमन। नवरात्र और चैट्रीचंड पर्व की बधाई।
-    मैं कामना करता हूं कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हम सबको नए संकल्प और ऊर्जा देगा।
-    और हां, इन दिनों ‘कोरोना वायरस’ की बहुत चर्चा है। आप डरें नहीं। बचाव के उपायों को समझें और अपनाएं। सरकार ने उपचार की पूरी तैयारी कर रखी है।
-    आप सबको पुनः शुभकामनाएं।
एंकर
-    मैं एक बार फिर यह बताना चाहता हूं कि लोकवाणी के लिए बहुत से सवाल मिले लेकिन समय-सीमा में सभी सवालों को लेना संभव नहीं था। इसलिए कुछ प्रतिनिधि सवालों के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी के विचार जानने का प्रयास किया गया। हमें लगता है कि मुख्यमंत्री जी ने काफी विस्तार से अपनी बात कही है, जिससे लगभग हर सवाल का जवाब मिल गया है।
-    अब लोकवाणी का आगामी प्रसारण 12 अप्रैल, 2020 को होगा। विषय होगा ‘पानी की परवाह’ इस विषय पर हमारे श्रोता अपने विचार 25, 26 एवं 27 मार्च 2020 के बीच रख सकेंगे। पहले की तरह ही आप दिन में 3 से 4 बजे के बीच फोन करके अपने सवाल रिकार्ड करा सकते हैं।
-    फोन नम्बर हैं- 0771-2430501, 2430502, 2430503
-    और इसी के साथ ये कार्यक्रम अब सम्पन्न होता है।


नमस्कार, जय-जोहार।

साभार – जनसम्पर्क विभाग छत्तीसगढ़

 

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