Posted on 21 Feb, 2024 3:47 pm

 

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने सार्वजनिक जीवन में स्वच्छता को हमेशा श्रेष्ठ स्थान पर रखा। महात्मा गांधी देश में आधुनिक तरक्की के साथ-साथ स्वच्छ भारत की कल्पना भी करते थे। महात्मा गांधी स्वच्छता को जन आंदोलन बनाना चाहते थे। उनका मानना था कि स्वच्छ भारत से ही पूरी दुनिया में भारत की अच्छी पहचान बनेगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने महात्मा गांधी के इस सपने को पूरा करने के लिए वर्ष 2014 से स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत की। उनके इस जन आंदोलन से स्वच्छ भारत मिशन में कचरे और कचरे में काम करने वाले लोगों के प्रति सोच बदली है। मध्यप्रदेश के सभी शहरों ने इस दिशा में पिछले 9 वर्षो में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास किये हैं। नागरिकों के सकारात्मक प्रयासों से व्यक्तिगत शौचालय, सार्वजनिक शौचालय सुविधा, अपशिष्ट प्रबंधन आदि मध्यप्रदेश में स्वच्छता जनआंदोलन को नई गति मिली है।

स्वच्छता के मामले में इंदौर बना देशभर में ब्रांड अम्बेसडर

देश में जब भी स्वच्छ शहरों की बात होती है तो लोग इंदौर का जिक्र जरूर करते है। इंदौर पिछले 7 वर्षो से सारे हिन्दुस्तान में सर्वश्रेष्ठ शहर के रूप में पहला पुरस्कार प्राप्त कर रहा है। अब इंदौर स्वच्छता के मामले में देश में ब्रांड अम्बेसडर बन गया है। इस पुरस्कार को लगातार प्राप्त करने में इंदौर के नागरिकों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। नागरिक अब शहर की स्वच्छता को लेकर सजग और जागरूक हुये है। शहर को स्वच्छ रखने के महत्वपूर्ण कार्य में वे प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रहे है। पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने के लिए कार्बन उत्सर्जन को सीमित और कम करने के प्रयास किये जा रहे है। इंदौर शहर में इस मामले में आय भी प्राप्त की जा रही है। कार्बन क्रेडिट से राशि अर्जित करने वाला इंदौर देश का पहला शहर है।

स्वच्छ राज्य के रूप में मध्यप्रदेश की पहचान

स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) में मध्यप्रदेश ने वर्ष 2023 में श्रेष्ठ राज्य के रूप में देशभर में दूसरे स्थान की रैकिंग प्राप्त की है। इस वर्ष राज्य के 6 शहरों ने राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किये हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण में सफाई के मापदण्डों के अनुसार केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय द्वारा स्टार रेटिंग भी दी जाती है। राज्य के कई शहरों ने अच्छी रेटिंग प्राप्त कर अपनी जगह बनाई है।

ओडीएफ सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाले शहरों की संख्या बढ़ी

प्रदेश में ओडीएफ डबल प्लस का सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाले निकायों की संख्या वर्ष 2023 में 361 हो गई है। वर्ष 2022 में यह संख्या 324 हुआ करती थी। इसी के साथ मलजल प्रबंधन के मामले में 6 शहरों को वॉटर प्लस प्रमाणीकरण प्राप्त हुआ है। प्रदेश में खुले में शौच को स्थायी रूप से रोकने के लिए 5 लाख 79 हजार से अधिक जरूरतमंद परिवारों को व्यक्तिगत शौचालय तैयार कर प्रदान किये गये हैं। इसके साथ ही प्रदेश में 2 हजार 500 से अधिक सार्वजनिक शौचालय कॉम्पलेक्स का निर्माण भी कराया गया है। स्वच्छता आंदोलन में नगरीय विकास विभाग द्वारा कचरा मुक्त शहरों के रूप में विकसित करने के लिए भी कार्य किया जा रहा है। इस मामले में मध्यप्रदेश के 158 शहरों को यह प्रमाणीकरण प्राप्त हुआ । इस श्रेणी में इंदौर को 7 स्टॉर शहर और भोपाल को 5 स्टॉर शहर का दर्जा प्राप्त हुआ है। प्रदेश के नगरीय निकायों में सिंगल यूज प्लास्टिक और पॉलिथिन को प्रतिबंधित किया जा चुका है। स्थानीय निकायों में अपशिष्ट प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है। वर्तमान में प्रदेश 97 प्रतिशत से अधिक उत्सर्जित अपशिष्ट का प्रसंस्करण करने में सक्षम है।

ठोस अपशिष्ट का प्रबंधन

वर्तमान में मध्यप्रदेश ठोस अपशिष्ट के लिए 2 प्रक्रियाओं पर कार्य कर रहा है। पहला कलस्टर आधारित परियोजनाओं का क्रियान्वयन। जिसमें केन्द्रीय निकाय में अन्य आस-पास के निकायों में कचरा लाकर उसका उचित विधि से प्रसंस्करण किया जा रहा है। इस पद्धति में 5 क्लस्टर्स में 60 नगरीय निकायों को शामिल किया गया है। प्रदेश में गीले कचरे से खाद बनाई जा रही है। रीवा और जबलपुर में प्रतिदिन संग्रहित होने वाले कचरे से बिजली का निर्माण किया जा रहा है। दूसरी पद्धति में नगरीय निकाय के संग्रहित होने वाले कचरे को निकाय स्वयं अपने साधनों से प्रसंस्कृत कर रहे हैं। इंदौर में 550 टन प्रतिदिन गीले कचरे को प्रतिदिन प्रसंस्करण की क्षमता की ईकाई स्थापित की गयी है। स्थापित इकाई से बायो सीएनजी का निर्माण किया जा रहा है। प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में 62 हजार सफाई मित्र स्वच्छता अभियान में दिन-रात सहयोग कर रहे है।

इन प्रयासों से संकल्प के साथ मध्यप्रदेश देश के अन्य प्रमुख राज्यों के लिए आदर्श बनकर उभरेगा और कचरा प्रबंधन क्षेत्र में प्रदेश की आत्मनिर्भरता की संकल्पना को साकार करेगा।

साभार – जनसम्पर्क विभाग मध्यप्रदेश

 

 

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